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रूपक अलंकार – Rupak Alankar | रूपक अलंकार की परिभाषा,भेद और उदाहरण

Akhilesh Kumar
Last updated: 2023/08/08 at 8:03 AM
Akhilesh Kumar Published July 31, 2023
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Rupak Alankar: रूपक अलंकार अर्थालंकारों में से एक है, अर्थालंकार की निर्भरता शब्द पर न होकर अर्थ पर होती है। आज के लेख में हम आपके लिये रूपक अलंकार की परिभाषा Rupak Alankar ki Paribhasha, रूपक अलंकार के भेद और रूपक अलंकार के उदाहरण Rupak Alankar Ke Udaharan पर विस्तार से चर्चा करेगें।

Contents
रूपक अलंकार का अर्थरूपक अलंकार की परिभाषा | Rupak Alankar ki Paribhashaरूपक अलंकार के उदाहरण | Rupak Alankar ke Udaharanरूपक अलंकार के 10 उदाहरणरूपक अलंकार के भेद(i) सांगरूपक(ii) निरंग रूपक(iii) परम्परित रूपकयह भी पढ़े…रूपक अलंकार के महत्वपूर्ण प्रश्नें FAQsरूपक अलंकार का क्या अर्थ है ?रुपक अलंकार का उदाहरण कौन सा है ?रूपक अलंकार का क्या अर्थ है ?रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है ?सांगरूपक का उदाहरण क्या है ?

हम आपके लिये परीक्षा के दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण रूपक अलंकार के 10 उदाहरण अपने लेख के अंत मे दर्शायेंगे जिनका आप एक बार अध्ययन जरूर करें।

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रूपक अलंकार का अर्थ

रूपक का अर्थ होता है— एकता। रूपक अलंकार में पूर्ण साम्य होने के कारण प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप कर अभेद की स्थिति को स्पष्ट किया जाता है। इस प्रकार जहाँ ‘उपमेय’ और ‘उपमान’ की अत्यधिक समानता को प्रकट करने के लिए ‘उपमेय’ में ‘उपमान’ का आरोप होता है, वहाँ ‘रूपक अलंकार’ उपस्थित होता है।

रूपक अलंकार की परिभाषा | Rupak Alankar ki Paribhasha

जहाँ उपमेय और उपमान में असमानता दिखाई गई हो अर्थात छोटे को बड़ा बताया गया हो, वहाँ पर रूपक अलंकार Roopak Alankar होता है।

साधारण शब्दो में जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।

रूपक अलंकार के उदाहरण | Rupak Alankar ke Udaharan

उदाहरण “चरण कमल बन्दौ हरिराई।”

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इस काव्य पंक्ति में उपमेय 'चरण' पर उपमान 'कमल' का आरोप कर दिया गया है। दोनों में अभिन्नता है, पर दोनों साथ-साथ हैं। इस अभेदता के कारण यहाँ रूपक अलंकार है।

उदाहरण उति उदयगिरि मंच पर, रघुबर बाल पतंग। विकसे संत सरोज सब, हरखे लोचन भृंग ।।

इस पंक्तियों में रघुबर, मंच, सन्त लोचन आदि उपमेयों पर बाल सूर्य, उदयगिरि, भृंग, सरोज आदि उपमानों का आरोप होने के कारण रूपक अलंकार है।

उदाहरण पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।

इस पंक्ति में राम रतन को ही धन बता दिया गया है। 'राम रतन' उपमेय पर 'धन' उपमान का आरोप है एवं दोनों में अभिन्नता है।

उदाहरण वधपुरी अमरावती दूजी । दशरथ दूजो इंद्र मही पर

इस पंक्ति में अवधपुरी को दूसरी अमरावती बताया है और राजा दशरथ को भी इस धरती पर दूसरे इंद्र की संज्ञा दी है, इसलिए यह रूपक अलंकार है ।

उदाहरण मुख दूसरा चांद है।

इस पंक्ति में मुख को दूसरा चंद्रमा कहा गया है, इसलिए यहां रूपक अलंकार लागू होता है।

उदाहरण प्रेम अतिथि है खड़ा द्वार पर हृदय कपाट खोल दो तुम।

इस पंक्ति में भी रूपक अलंकार है।

उदाहरण मुख कमल है।

यहां मुख को ही कमल माना गया है, इसलिए यह रूपक अलंकार है ।

उदाहरण अवधेस के बालक चारि सदा, तुलसी मन-मंदिर में विहरें

इस पंक्ति में उपमेय (मन) में उपमान (मंदिर) का निषेध रहित अभेद आरोप है, इसलिए यह रूपक अलंकार है ।

उदाहरण अवधपुरी अमरावती दूजी, दशरथ दूजो इंद्र मही पर।

इस वाक्य में अवधपुरी को दूसरी अमरावती बताया है और राजा दशरथ को भी इस धरती पर दूसरे इंद्र की संज्ञा दी है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

उदाहरण अपर धनेश जनेश यह, नहिं पुष्पक आसीन।

इस पंक्ति में जनेश (राजा) को दूसरा धनेश (कुबेर) कहा गया है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है ।

उदाहरण महिमा मृगी कौन सुकृति का, खल-वच विसिख न बांची

इस पंक्ति में महिमा में मृगी का आरोप, दुष्ट वचन में बाण के आरोप के कारण पड़ा है, इसलिए यह रूपक अलंकार है।

उदाहरण गोपी पद पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे ।

उदाहरण में पैरों को ही कमल बता दिया गया है। पैरों' उपमेय पर 'कमल' - उपमान का आरोप है। उपमेय और उपमान में अभिन्नता दिखाई जा रही है।

उदाहरण प्रभात यौवन है वक्ष सर में कमल भी विकसित हुआ है कैसा ।

यहाँ यौवन में प्रभात का वक्ष में सर का निषेध रहित आरोप हुआ है। यहां हम देख सकते हैं की उपमान एवं उपमेय में अभिन्नता दर्शायी जा रही हैं।

उदाहरण मन-सागर, मनसालहरि, बूड़े बहे अनेक

इस उदाहरण में मन (उपमेय) पर सागर (उपमान) का और मनसा यानी इच्छा (उपमेय) पर लहर (उपमान) का आरोप है, इसलिए यह रूपक अलंकार है।

उदाहरण गोपी पद पंकज पावन कि रज जामे सिर भीजे

इस पंक्ति में पैरों उपमेय पर कमल- उपमान का आरोप है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

उदाहरण मुनि पद कमल बंदिदोउ भ्राता।

मुनि के चरणों (उपमेय) पर कमल (उपमान) का आरोप है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

उदाहरण शशि- मुख पर घूंघट डाले अंचल में दीप छिपाये ।

इस पंक्ति में मुख-उपमेय पर चंद्रमा यानी शशि-उपमान का आरोप है।

उदाहरण भजमन चरण कंवल अविनाशी।

इस पंक्ति में यहां पर ईश्वर के चरणों (उपमेय) पर कंवल (कमल) उपमान का आरोप है इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

उदाहरण सिंधु – बिहंग तरंग – पंख को फड़काकर प्रतिक्षण में।

इस पंक्ति में सिंधु (उपमेय) पर विहंग (उपमान) का और तरंग (उपमेय) पर पंख (उपमान) का आरोप है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

उदाहरण अपलक नभ नील नयन विशाल।

यहां आकाश (उपमेय) पर अपलक नयन (उपमान) का आरोप है, इसलिए यह रूपक अलंकार है।

उदाहरण पायो जी मैंने रतन धन पायो।

यहां पर राम रतन (उपमेय) पर धन (उपमान) का आरोप है और दोनों में अभिन्नता है, इसलिए यहां रूपक अलंकार होगा।

उदाहरण अपर धनेश जनेश यह, नहिं पुष्पक आसीन ।

इस पंक्ति में जनेश (राजा) को दूसरा धनेश (कुबेर) कहा है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

रूपक अलंकार के 10 उदाहरण

  1. मुख चंद्रमा है।
  2. चरण कमल बंदौ हरि राई ।
  3. बीती विभावरी जाग री। अम्बर- पनघट में डुबो रही तरा घट ऊषा – नागरी ।।
  4. मैया मैं तो चन्द्र खिलौना लैहों ।
  5. मुख रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया।
  6. ये तेरा शिशु जग है उदास
  7. उदित उदयगिरी-मंच पर, रघुवर बाल – पतंग। विकसे संत सरोज सब हर्षे लोचन भंग ।
  8. शशि- मुख पर घूँघट डाले अंचल में दीप छिपाये।
  9. वधपुरी अमरावती दूजी । दशरथ दूजो इंद्र मही पर
  10. मन-सागर, मनसालहरि, बूड़े बहे अनेक

रूपक अलंकार के भेद

रूपक अलंकार को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया जाता है जो निम्नलिखित है।

(i) सांगरूपक

इसमें अवयवों के साथ उपमेय पर उपमान आरोपित किए जाते हैं।

उदाहरण नित भृंग घंटावली, झरति दान मधु-नीर । मन्द मन्द आवत चल्यौ, कुंजर कुंज-समीर ।।

उक्त पंक्तियों में समीर में हाथी का, भृंग में घण्टे का और मकरन्द में दान का आरोप किया गया है। यहाँ वायु के अवयवों पर हाथी का आरोप होने के कारण सांगरूपक अलंकार है।

(ii) निरंग रूपक

इसमें अवयवों के बिना ही उपमेय पर उपमानं आरोपित किए जाते हैं।

उदाहरण इस हृदय-कमल का घिरना, अलि-अलकों की उलझन में।आँसू, मरन्द का गिरना, मिलना निःश्वास पवन में ।।

उक्त पंक्तियों में उपमेय हृदय पर, उपमान कमल का, उपमेय अलकों पर उपमान अलि का, उपमेय आँसू पर, उपमान मरन्द का, उपमेय निःश्वास पर, उपमान पवन का आरोप होने से निरंग रूपक अलंकार है।

(iii) परम्परित रूपक

इसमें उपमेय पर प्रयुक्त आरोप ही दूसरे आरोप का कारण बनता है।

उदाहरण बाडव-ज्वाला सोती थी, इस प्रणय सिन्धु के तल में। प्यासी मछली-सी आँखें थीं विकल रूप के जल में।।

उक्त पंक्तियों में उपमेय आँखों पर, उपमान मछली का आरोप, उपमेय रूप पर, उपमान जल का आरोप होने से यहाँ परम्परित रूपक अलंकार है।

यह भी पढ़े…

  • हिंदी वर्णमाला
  • चौपाई के उदाहरण और परिभाषा
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रूपक अलंकार - Rupak Alankar | रूपक अलंकार की परिभाषा,भेद और उदाहरण

रूपक अलंकार के महत्वपूर्ण प्रश्नें FAQs

रूपक अलंकार का क्या अर्थ है ?

जहां पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर दिखाई नहीं देता वहां रूपक अलंकार होता है जहां पर उपमेय और उपमान के बीच का भेद समाप्त होकर उसे एक कर दिया जाता है वहां रूपक अलंकार होता है।

रुपक अलंकार का उदाहरण कौन सा है ?

चरण कमल बंदों हरि राई रूपक अलंकार का उदारण है।

रूपक अलंकार का क्या अर्थ है ?

रूपक का अर्थ होता है— एकता। रूपक अलंकार में पूर्ण साम्य होने के कारण प्रस्तुत में अप्रस्तुत का आरोप कर अभेद की स्थिति को स्पष्ट किया जाता है।

रूपक अलंकार की परिभाषा क्या है ?

साधारण शब्दो में कहें तो जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।

सांगरूपक का उदाहरण क्या है ?

नित भृंग घंटावली, झरति दान मधु-नीर । मन्द मन्द आवत चल्यौ, कुंजर कुंज-समीर ।।

आशा करते है आपको हमारा लेख रूपक अलंकार – Rupak Alankar | रूपक अलंकार की परिभाषा,भेद और उदाहरण पसन्द आया होगा अगर आप इस लेख पर अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहते है तो कॉमेंट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते है। धन्यवाद…

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