Sortha chhand ki paribhasha : नमस्कार दोस्तों ! आज हम हिंदी के महत्वपूर्ण अध्याय सोरठा छंद की परिभाषा, सोरठा छंद का उदाहरण के बारे विस्तार से चर्चा करने बाले है, आज हम कोई भी प्रतियोगी परीक्षा देने जाए तो हमे एक या दो नंबर के प्रश्न छंद से देखने को मिलते है, अगर आप इस अध्याय का अच्छे से अध्ययन कर लेंगे तो आपके परीक्षा में एक से दो अंक पक्के हो जायेगे।
हम लेख अंत मे सभी छन्दों की PDF लिंक दे रहे है जिसके माध्यम से आप सोरठा छंद की परिभाषा, Sortha chhand ki paribhasha के अलावा अन्य सभी छन्दों का अध्ययन कर सकते है। अब ज्यादा देर न करते हुये हम सोरठा के बारे में जानते है ;
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सोरठा छंद की परिभाषा | Sortha chhand ki paribhasha
Sortha chhand ki paribhasha : दोहे का उल्टा रूप सोरठा कहलाता है। यह एक अर्द्धसम छन्द है अर्थात् इसके पहले तीसरे तथा दूसरे चौथे चरणों में मात्राओं की संख्या समान रहती है। इसके विषम चरणों (पहले और तीसरे) में 11-11 और सम चरणों (दूसरे और चौथे) में 13-13 मात्राएँ होती हैं। तुक विषम चरणों में ही होता है तथा सम चरणों के अन्त में जगण (151) का निषेध होता है।
सोरठा छंद का उदाहरण
सोरठा छंद का उदाहरण हम लघु और गुरु के संकेत चिन्हों के साथ बता रहे है जिससे आपको सोरठा की मात्राएं (पहले और तीसरे) में 11-11 और सम चरणों (दूसरे और चौथे) में 13-13 मात्राएँ समझने में आसानी होगी।
उदाहरण
- ऽ । ऽ। ऽ ऽ । ऽ।। ऽ।।।।।।।
- “मूक होइ वाचाल, पंगु चढ़े गिरिवर गहन ।
- ऽ । । ऽ ।। ऽ।। ऽ।।। ।।।। ।।।
- जासु कृपा सु दयाल, द्रवौ सकल कलिमल दहन।।”
इस उदाहरण के पहले चरण (मूक होई वाचाल) और तीसरे चरण (जासु कृपा सु दयाल) में 11-11 मात्राएँ हैं तथा दूसरे (पंगु चढ़े गिरिवर गहन) और चौथे चरण (द्रवौ सकल कलिमल दहन) में 13-13 मात्राएँ हैं। विषम चरणों में तुक है तथा सम चरण के अन्त में जगण (151) नहीं है। अतः यह सोरठा छन्द का उदाहरण है।
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सोरठा छंद का अपवाद
रोला छंद और सोरठा छंद, दोनों में 24-24 मात्राएँ होती है। इसमें 11 व 13 मात्राओं पर विराम भी होती है। रोला छंद और सोरठा छंद के मध्य यह अन्तर है कि रोला छंद सममात्रिक छन्द के अंतर्गत आता है, जबकि सोरठा छंद अर्द्धसममात्रिक छन्द के अन्तर्गत आता है।
सोरठा छंद के नियम
सोरठा छंद के लिये कुछ नियम निर्धारित किये गए है जो निम्नलिखित है।
- सोरठा छंद में प्रथम चरण तथा तृतीय चरण में 11-11 मात्राएँ और द्वितीय चरण तथा चतुर्थ चरण में 13-13 मात्राएँ होती है।
- सोरठा छंद में प्रथम चरण तथा तृतीय चरण के अंत में 1 लघु स्वर होना आवश्यक है।
- सोरठा छंद में द्वितीय छंद तथा चतुर्थ चरण के आरम्भ में जगण नहीं होता है।
सोरठा छंद के उदाहरण | Sortha chhand ka udaharan
हम आपके लिये सोरठा छंद के 20 से अधिक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है जो आपके लिये उपयोगी साबित होंगे आप इनका एक बार अध्ययन जरूर करें।
उदाहरण बन्दहुँ विधि पद रेनु, भव सागर जेहि कीन्ह यह । सन्त सुधा ससि धेनु, प्रगटे खल विष वारुनी ॥
उदाहरण मूक होइ वाचाल, पंगु चढ़इ गिखिर गहन । जासु कृपा सु दयाल, द्रवहु सकल कलिमल दहन ।।
उदाहण रहिमन हमें न सुहाय, अमिय पियावत मान विनु। जो विष देय पिलाय, मान सहित मरिबो भलो ।।
उदाहरण जानि गौरि अनुकूल, सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल, मूल बाम, अंग फरकन लगे।।
उदाहरण तुलसी-सूर- विहारि कृष्णभट्ट भारवि-मुखाः । भाषाकविताकारि-कवयः कस्य न सम्भताः ॥
उदाहरण जो सुमिरत सिधि होय, गननायक करिबर बदन । करहु अनुग्रह सोय, बुद्धि रासि सुभ गुन सदन ॥
उदाहरण आए तेरे काम, मित्र अगर संकट सुनें । लेकर हरि का नाम, भाई सम उसको चुने ।।
उदाहरण कोई एक विचार, नेक आपके पास है। दो होगें तैयार, किसी मित्र से बदलिए ।
उदाहरण संकट के दौरान, सदा मित्र का साथ हो। रहती है मुस्कान, कट जाते हैं कष्ट सब ॥
उदाहरण अभी दुखी है देश, राजनीति करना नहीं । कोई भी परिवेश, सबक सिखाना शत्रु को ।।
उदाहरण पनिपटाओ गद्दार, पहले भारत देश में । इनका प्रथम सुधार नेता हो या मजहबी ॥
उदाहरण पपाक परस्ती गान, हरदम उनकी बात करें। सबको बंद जुवान, पहले उनकी चाहिए ॥
उदाहरण कमी निकालें खोज, माल बाँटिए मुफ़्त में। बिक जाता है रोज कचरा जाओ बेचनें ।।
उदाहरण बहुत मिलेगें दाम छाया के सँग फल मिलें। जब हों कच्चे आम, पत्थर को मत मारिए ।
उदाहरण उतरे हल को ठान, हम समझे हालात को । कड़वा पाया पान, हाथ जलाकर आ गए।
उदाहरण तरह-तरह के रोग, माना इस संसार में। दाँव पेंच के योग, सबके अपने रोग है |
उदाहरण नहीं कोई नादान ज्ञानी अब सब लोग है। अपना ज्ञान बखान, जगह-जगह हैं बाँटते ।।
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तालिका में सभी मात्रिक और वर्णिक छंद की लिंक दी हुई है आप लिंक के माध्यम से सभी छंदों का आसानी से अध्ययन कर सकते है।
मात्रिक छंद | वर्णिक छंद |
दोहा छंद | सवैया छंद |
सोरठा छंद | कवित्त छंद |
रोला छंद | द्रुतविलम्बित छंद |
गीतिका छंद | मालिनी छंद |
हरिगीतिका छंद | मंद्रक्रांता छंद |
उल्लाला छंद | इंद्रवजा छंद |
चौपाई छंद | उपेंद्रवज्रा छंद |
बरवै (विषम) छंद | अरिल्ल छंद |
छप्पय छंद | लावनी छंद |
कुंडलियाँ छंद | राधिका छंद |
दिगपाल छंद | त्रोटक छंद |
आल्हा या वीर छंद | भुजंग छंद |
सार छंद | वियोगिनी छंद |
तांटक छंद | वंशस्थ छंद |
रूपमाला छंद | शिखरिणी छंद |
त्रिभंगी छंद | शार्दुल विक्रीडित छंद |
मत्तगयंग छंद |
सोरठा छंद के महत्वपूर्ण प्रश्न
सोरठा का उदाहरण क्या है
सोरठा छंद का उदाहरण स्पष्टीकरण सहित।
“मूक होइ वाचाल, पंगु चढ़े गिरिवर गहन ।
जासु कृपा सु दयाल, द्रवौ सकल कलिमल दहन।।”
इस उदाहरण के पहले चरण (मूक होई वाचाल) और तीसरे चरण (जासु कृपा सु दयाल) में 11-11 मात्राएँ हैं तथा दूसरे (पंगु चढ़े गिरिवर गहन) और चौथे चरण (द्रवौ सकल कलिमल दहन) में 13-13 मात्राएँ हैं। विषम चरणों में तुक है तथा सम चरण के अन्त में जगण (151) नहीं है। अतः यह सोरठा छन्द का उदाहरण है।
सोरठा का उल्टा क्या होता है ?
सोरठा एक मात्रिक छंद है इसका ठीक विपरीत दोहा होता है।
सोरठा में कितने चरण होते हैं?
सोरठा चौबीस मात्रिक छंद है। चार चरण होते हैं। दोहे से उलट – विषम चरण ११ मात्रिक और सम चरण १३ मात्रिक होते हैं।
सोरठा की परिभाषा क्या है ?
सोरठा छंद का उदाहरण हम लघु और गुरु के संकेत चिन्हों के साथ बता रहे है जिससे आपको सोरठा की मात्राएं (पहले और तीसरे) में 11-11 और सम चरणों (दूसरे और चौथे) में 13-13 मात्राएँ समझने में आसानी होगी।
सोरठा का अपवाद क्या है ?
रोला छंद और सोरठा छंद, दोनों में 24-24 मात्राएँ होती है। इसमें 11 व 13 मात्राओं पर विराम भी होती है। रोला छंद और सोरठा छंद के मध्य यह अन्तर है कि रोला छंद सममात्रिक छन्द के अंतर्गत आता है, जबकि सोरठा छंद अर्द्धसममात्रिक छन्द के अन्तर्गत आता है।
हमने अपने लेख में सोरठा छंद की परिभाषा, सोरठा छंद का उदाहरण (Sortha chhand ki paribhasha) को सरल भाषा मे समझाने की कोशिश की आशा करते है आपको हमारा लेख पसन्द आया होगा।
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