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Reading: संस्कृत में समास | samas in sanskrit – समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
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संस्कृत

संस्कृत में समास | samas in sanskrit – समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण

Akhilesh Kumar
Last updated: 2023/07/23 at 12:16 PM
Akhilesh Kumar Published July 23, 2023
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संस्कृत में समास | samas in sanskrit: आज का लेख हमारा संस्कृत के प्रमुख अध्याय समास  के विषय मे है, इस लेख में हम समास का अर्थ,परिभाषा,भेद और सभी समास के उदाहरण के बारे में चर्चा करेंगे।

Contents
समास की परिभाषासमास के भेद1. अव्ययीभाव समास2. तत्पुरुष समास(i) कर्म तत्पुरुष(ii) करण तत्पुरुष(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष(iv) अपादान तत्पुरुष(v) सम्बन्ध तत्पुरुष(vi) अधिकरण तत्पुरुषनञ् तत्पुरुष समास3. कर्मधारय समास4.द्विगु समास5. द्वन्द्व समास(i) इतरेतर द्वन्द्र समास के उदाहरण(ii) समाहार द्वन्द्व समास के उदाहरण(iii) एकशेष द्वन्द्व समास के उदाहरण6.बहुव्रीहि समासयह भी पढ़े…समास के महत्वपूर्ण प्रश्नें1. समास को संस्कृत में क्या कहते है ?2. समास कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित बताइए?3. संस्कृत में पीतांबर में कौन सा समास है?5. अजन्मा में कौन सा समास है ?6. गगनचुम्बी में कौन सा समास है ?7. विद्यारत्न में कौन सा समास है ?8. हरिशंकर में कौन सा समास है ?9. युधिष्ठिर में कौन सा समास है ?10. चतुर्भुज में कौन सा समास है ?

अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आपके लिये यह लेख बहुत ही उपयोगी साबित होगा इसलिए आप इसके अंत तक बनें रहें।

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समास की परिभाषा

संस्कृत में समास | samas in sanskrit: ‘अस्’ (एक साथ रखना) धातु में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ‘समास’ शब्द बनता है। अनेक पदों को एक साथ समाहार करके या मिलाकर समस्तपद बना देना ही समास है— ‘समसनं समास:‘;

उदाहरण— पीतम् अम्बरं यस्य सः (पीले हैं वस्त्र जिसके) । 

समस्तपद समास के नियम से मिले हुए शब्द या पद समूह को ‘समस्तपद’ कहा जाता है; जैसे- ‘पीताम्बरः’ समस्तपद है। विग्रह समास के अर्थ-बोधक वाक्य को ‘विग्रह’ कहते हैं; जैसे— पीतम् अम्बरं यस्य सः ।

समास के भेद

समास के प्रमुख छः भेद होते हैं;

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द्वन्द्वो द्विगुरपि मद्गेहे नित्यमव्ययीभावः । तत्पुरुष कर्मधारय येनाऽहं स्यां बहुव्रीहिः ।

  • 1. अव्ययीभाव समास
  • 2. तत्पुरुष समास
  • 3. कर्मधारय समास
  • 4. द्विगु समास
  • 5. द्वन्द्व समास
  • 6. बहुव्रीहि समास

1. अव्ययीभाव समास

जिस समास में पूर्वपद अव्यय हो और उसी के अर्थ की प्रधानता हो, उसे ‘अव्ययीभाव’ समास कहते हैं। इसमें पहला पद अव्यय होता है और दूसरा संज्ञा। समस्तपद अव्यय हो जाता है। अव्ययीभाव का नपुंसकलिङ्ग एकवचन में रूप बनता है।

उदाहरण

समस्तपदसमास-विग्रहहिन्दी-अर्थ
अनुदिनम्दिनस्य पश्चात्दिन के पश्चात
प्रतिदिनम्दिनं दिनं प्रतिप्रत्येक दिन
उपगङ्गम्गङ्गायाः समीपम्गंगा के समीप
उपतटम्तटस्य समीपेतट के समीप
सहरिहरेः सादृश्यम्हरि के सदृश
प्रत्यक्षंअक्ष्णः प्रतिआंखों के सामने
अनुरूपम्रूपस्य योग्यम्रूप के योग्य
यथाशक्तिःशक्तिम् अनतिक्रम्यशक्ति के अनुरूप
प्रत्येकःएक-एक प्रतिहर एक
यथाकामम्कामम् अनतिक्रम्यकाम के अनुसार

2. तत्पुरुष समास

जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे तुलसीदासकृत तुलसीदास द्वारा कृत (रचित)। ज्ञातव्य विग्रह में जो कारक चिह्न प्रकट हो, उसी कारक वाला का वह समास होता है।

विभक्तियों के नाम के अनुसार, तत्पुरुष समास के छः भेद हैं

(i) कर्म तत्पुरुष

इसके विग्रह में द्वितीया विभक्ति लगती है; जैसे-

  • कृष्णाश्रितः – कृष्णम् आश्रितः
  • दुःखं अतीतः – दुःखातीतः
  • प्रलयंगतः – प्रलयं गतः

(ii) करण तत्पुरुष

इसके विग्रह में तृतीया विभक्ति प्रयुक्त होती है; उदाहरण

  • अकालपीडितः – अकालेन पीडितः
  • गुणहीन: – गुणेन हीनः
  • कष्टसाध्यः – कष्टेन साध्यः

(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष

इसके विग्रह में चतुर्थी विभक्ति लगती है; जैसे

  • विद्यागृहः – विद्यायै गृहः
  • देशभक्तिः – देशाय भक्तिः
  • कृष्णार्पण: – कृष्णाय अर्पणः

(iv) अपादान तत्पुरुष

इसके विग्रह में पञ्चमी विभक्ति लगती है, जैसे-

  • धर्मविमुखः – धर्मात् विमुखः
  • पथभ्रष्टः – पथात् भ्रष्टः
  • लोकोत्तर: – लोकात् उत्तर:

(v) सम्बन्ध तत्पुरुष

इसके विग्रह में षष्ठी विभक्ति लगती है; जैसे-

  • राजपुरुष: – राज्ञः पुरुषः
  • देवालयः – देवस्य आलयः
  • पराधीन: – परस्य अधीनः

(vi) अधिकरण तत्पुरुष

इसके विग्रह में सप्तमी विभक्ति लगती है; जैसे-

  • कलाप्रवीणः – कलासु प्रवीणः
  • कविश्रेष्ठः – कविषु श्रेष्ठः
  • गृहस्थ: – गहेषु स्थः

नञ् तत्पुरुष समास

जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो, उसे नञ् तत्पुरुष समास कहते हैं; जैसे-

संस्कृत में समास | samas in sanskrit - समास की परिभाषा, भेद और उदाहरण
समस्तपदसमास-विग्रह
असभ्यःन सभ्यः
अनादि:न आदि:
अनन्तःन अंतः
असम्भवःन सम्भवः

3. कर्मधारय समास

जिस समास में पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है, वहाँ ‘कर्मधारय समास’ होता है। हम आपको अपने लेख संस्कृत में समास | samas in sanskrit में कर्मधारय समास के प्रमुख उदाहण बताने जा रहे है जिनका आप ध्यानपूर्वक अध्ययन जरूर करें।

समस्तपदसमास-विग्रहहिंदी-अर्थ
कृष्णसर्प:कृष्णः सर्पःकाला साँप
नीलकमलम्नीलम् कमलम्नीला कमल
श्वेताम्बरंश्वेतम् अम्बरम्सफेद वस्त्र
घनश्याम:घन इव श्यामःघन के समान श्याम
पुरुषव्याघ्र:पुरुष एव व्याघ्रःपुरुषरूपी व्याघ्र
सज्जनःसत्यः जनःसच्चा व्यक्ति
कुपुत्रःकुत्सित पुत्रःबुरा पुत्र
रक्तवस्त्रंरक्तम् वस्त्रम्लाल वस्त्र
नीलाश्व:नील: अश्वःनीला घोड़ा
पीताकमलंपीतम् कमलम्पीला कमल
रक्ताम्बरम्रक्तं अम्बरम्लाल वस्त्र
पीतवस्त्रम्पीतं वस्त्रम्पीला वस्त्र
नीलाम्बुजम्नीलं अम्बुजम्नीला कमल
महाजनःमहान् चासौ जनःमहान जन
विद्याधनम्विद्या एव धनम्विद्या रूपी धन
महात्मामहान् चासौ आत्मामहान आत्मा

4.द्विगु समास

जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक और उत्तरपद संज्ञा होता है, उसे द्विगु समास कहते हैं। उदाहरणार्थं

समस्तपदसमास-विग्रहहिन्दी अर्थ
पञ्चगुपञ्चानाम् गव समाहारःपाँच गायों का समूह
पञ्चपात्रम्पञ्चानाम् पात्राणां समाहारःपाँच पात्रो का समूह
त्रिलोकीत्रयाणा लोकानाम् समाहारःतीनों लोक
त्रिभुवनम्त्रयाणाम् भुवनानाम् समाहारःतीनो भुवन (लोक) का समूह

अन्य उदाहरण त्रिफला, चतुर्जातम्, दशार्ह, त्रिवेणी, सप्तशती, नवरात्रम्, दशमूलम् दशानाम् आदि।

5. द्वन्द्व समास

जिस समास में आए हुए सभी पद समान विभक्ति वाले होते हैं तथा प्रत्येक पद के बाद विग्रह की अवस्था में ‘च’ वर्ण आता है और अन्तिम पद की विभक्ति शब्दों की संख्या पर निर्भर करती है, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।

द्वन्द्व समास के भेद

द्वन्द्व समास के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं

  • (i) इतरेतर द्वन्द्र
  • (ii) समाहार द्वन्द्व
  • (iii) एकशेष द्वन्द्वा

(i) इतरेतर द्वन्द्र समास के उदाहरण

  • माता-पिता = माता और पिता
  • दादी-दादा = दादी और दादा
  • भाई-बहन = भाई और बहन
  • देवासुर = देव और असुर
  • सीताराम = सीता और राम
  • शिव-पार्वती = शिव और पार्वती
  • हरिहर = हरि और हर
  • कुशलव = कुश और लव

(ii) समाहार द्वन्द्व समास के उदाहरण

  • पच्चीस = पाँच और बीस का समाहार
  • अड़तीस = आठ और तीस का समाहार
  • चौबीस = चार और बीस का समाहार
  • पचासी = पाँच और अस्सी का समाहार

(iii) एकशेष द्वन्द्व समास के उदाहरण

  • सुख-दुःख = सुख या दुःख
  • जीवन-मरण = जीवन या मरण
  • शीतोष्ण = शीत या उष्ण
  • लाभ-हानि = लाभ या हानि
  • उन्नतावनत = उन्नत या अवनत

6.बहुव्रीहि समास

जब दोनों समस्तपदों में से किसी भी पद के अर्थ की प्रधानता नहीं होती, वरन् ये किसी अन्य पद के विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं और उसी पद के अर्थ की प्रधानता होती है, तब वहाँ ‘बहुव्रीहि समास होता है। इसमें विग्रह करते समय ‘यत्’ शब्द के रूपों (यस्थ, येन, यस्मै आदि) का प्रयोग किया जाता है।

संस्कृत में समास | samas in sanskrit में बहुव्रीहि समास के उदाहण निम्नलिखित है।

समस्तपदसमास-विग्रहहिन्दी-अर्थ
महात्मामहान आत्मा यस्य स:जिसकी आत्मा महान हो वह
त्रिनेत्र:त्रय नेत्राणि यस्य स:तीन नेत्र है जिसके
लम्बोदर:लम्बम् उदरं यस्य सःलम्बा उदर है जिसका
गजानन:गजः इव आनन: यस्य सःगज के समान मुख है जिसका
महाधन:महान् धन: यस्य सःमहान धन है जिसका वह
गदाहस्त:गदा हस्ते यस्य सःगदा है हाथ मे जिसके वह
पीताम्बर:पीतम् अम्बरं यस्य सःपीले है वस्त्र जिसके
दशानन:दश आननानि यस्य सःदस मुख है जिसके
यशपाणी:यशं पाणौ यस्य सःयश है हाथ मे जिसके
जितेंद्रयःजितानि इन्द्रियाणि येन सःजीत ली है इंद्रियां जिसने
चक्रपाणिचक्रं पाणौ यस्य सःचक्र है हाथ मे जिसके
चन्द्रशेखर:चन्द्रः शेखरे यस्य सःचन्द्र है जिसके मस्तक पर
नीलकण्ठ:नीलः कण्ठः यस्य सःनीला है कण्ठ जिसका
वीणापाणि:वीणा पाणौ यस्य सःवीणा है हाथ मे जिसके

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समास के महत्वपूर्ण प्रश्नें

1. समास को संस्कृत में क्या कहते है ?

समास संस्कृत में ‘ मिश्र शब्द ‘ कहलाने वाली रचना को प्रावधान है। शब्द “समास” स्वयं “सम्यक आस्यते इति वाक्यांश का एक यौगिक शब्द है जिसका अर्थ है ‘उपयुक्त रूप से परस्पर जुड़ा हुआ’।

2. समास कितने प्रकार के होते हैं उदाहरण सहित बताइए?

अव्ययीभाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वन्द्व समास और बहुव्रीहि समास यह समास के ६ भेद हैं। जब दो या दो से अधिक शब्दों के बीच में से विभक्ति हटाकर उन्हें मिलाया जाता है, तो उस मेल को समास कहते हैं।

3. संस्कृत में पीतांबर में कौन सा समास है?

पीतांबर में ‘बहुब्रीहि समास है। इसका समास विग्रह होगा – पीत है ‘अम्बर जिसका अर्थात् ‘कृष्ण’, ‘पीतांबर’ का समास विग्रह करने पर पीत है अम्बर जिसका अर्थात् ‘कृष्ण” होगा। इसमें सांकेतिक अर्थ (कृष्ण) को इंगित किए जाने के कारण ‘बहुब्रीहि समास’ है।

5. अजन्मा में कौन सा समास है ?

आजन्म शब्द में अव्ययीभाव समास है और इसका समास विग्रह जन्म तक या जन्म से होता है। आजन्म शब्द में समास की पहचान आसानी से कर सकते है आजन्म शब्द में आ उपसर्ग है जिसके कारण इसमें अव्ययीभाव समास है।

6. गगनचुम्बी में कौन सा समास है ?

गगनचुम्बी’ का समास विग्रह करने पर ‘गगन को चूमने वाला’ होगा। इसमें ‘को’ कारक का प्रयोग किए जाने के कारण ‘तत्पुरुष समास’ है।

7. विद्यारत्न में कौन सा समास है ?

विद्यारत्न में कर्मधारय समास है।

8. हरिशंकर में कौन सा समास है ?

हरिशंकर में द्वंद्व समास है * विष्णु और शंकर*

9. युधिष्ठिर में कौन सा समास है ?

युधिष्ठिर शब्द में बहुव्रीहि समास होता है युधिष्ठिर शब्द का समास विग्रह युद्ध में स्थिर रहता है जो धर्मराज होता है। युधिष्ठिर शब्द का समास विग्रह मृत्यु को जीतने वाला धर्मराज।

10. चतुर्भुज में कौन सा समास है ?

चतुर्भुज’ द्विगु और बहुव्रीहि समास का उदाहरण-
है।

आशा करते है आपको हमारा लेख (संस्कृत में समाज, Samas in sanskrit) पसन्द आया होगा अगर आप इस लेख पर अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहते है तो कॉमेंट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते है।

अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आपके लिये सभी विषयों के महत्वपूर्ण नोट्स हमारी वेबसाइट AKstudyHub पर उपलब्ध है जिनका आप आसानी से अध्ययन कर परीक्षा में अच्छे अंक हासिल कर सकते है । धन्यवाद…

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