Atishyokti Alankar अतिश्योक्ति अलंकार : नमस्कार दोस्तों ! स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट AKstudyHub में आज हम आपके लिये अर्थालंकार के सबसे महत्वपूर्ण और रोचक अलंकार Atishyokti Alankar अतिश्योक्ति अलंकार के बारे में विस्तार से जानेंगे।
इस लेख में हम अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा, अतिशयोक्ति अलंकार का अर्थ और अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण विस्तार पूर्वक बता रहे है।
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अतिश्योक्ति अलंकार का अर्थ
अतिश्योक्ति शब्द मुख्यतः दो शब्दों से मिलकर बना है- अतिशय+उक्ति | ‘अतिशय ‘ का अर्थ है बहुत अधिक और ‘उक्ति’ अर्थ है कह दिया अर्थात जब कोई बात बहुत बढ़ा चढ़ाकर या लोकसीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
दूसरे शब्दों में कहें तो काव्य या किसी पंक्ति में जब किसी वस्तु, व्यक्ति, या रूप सौंदर्य के गुणों का वर्णन उसकी वास्तविकता से बहुत बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाए, तब वहां पर अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा | Atishayokti Alankar Ki Paribhasha
जब किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थिति की प्रशंसा करते हुए कोई बात बहुत बढ़ा-चढ़ा कर अथवा लोक सीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ ‘अतिश्योक्ति अलंकार’ उपस्थित होता है।।
हमने यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा को स्पष्ट करने के लिये उदाहरण दिए है जिनके माध्यम से आप अच्छे से समझ जायेंगे की अतिश्योक्ति अलंकार क्यों है।
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उदाहरण “आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा उतरे कैसे पार । राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार ।। “
उक्त काव्यांश में राणा अभी नदी पार करने की सोच ही रहे थे कि उनका घोड़ा चेतक नदी के पार भी हो गया। यहाँ वेग (गति) के विषय में बहुत बढ़ा-चढ़ा कर कहने से अतिश्योक्ति अलंकार परिपुष्ट हुआ है।
उदाहरण हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग ।।
इन पंक्तियों में दर्शाया गया है कि हनुमान जी की पूँछ आग भी नहीं लगाने पाई थी कि उससे पूर्व ही लंका जल गई। लोक सीमा का उल्लंघन होने के कारण यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार है।
अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण | Atishayokti Alankar Ke Udaharan
हम आपके लिये अतिश्योक्ति अलंकार के उदाहरण व्याख्या या स्पष्टीकरण के साथ लाये है जो निम्नलिखित है।
उदाहरण बाण न पुग्नै अंग लौ, अरि पहले मर जाई ।
इस पंक्ति में यहाँ पर धनुर्धर के कौशल की प्रशंशा की जा रही है। जिसमें कहा जा रहा कि बाण पहुंचने से पहले ही दुश्मन की मृत्यु हो जाती है। यह असंभव बात है। जब यहाँ पर कोई असम्भव बात को कहा जा रहा है तो यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार प्रकट हो रहा है ।
उदाहरण पंखुरी लगे गुलाब की परि हैगात खरोट ।
इस पंक्ति में गुलाब की पंखुड़िया के छूने मात्र से शरीर पर खरोच लग जाती है। इसलिए यहां अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार ।
इस पंक्ति में महाराणा प्रताप के सोचने से पहले ही उनके घोड़े ने वह कार्य कर दिया जोकि असंभव बात है। यहां अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था।
इस पंक्ति में महाराणा प्रताप की आँखों की पुतली फिरने से पहले ही उनका घोड़ा चेतक मुड़ जाता था। यहां घोड़े की चपलता को व्यक्त करने के लिए अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण छुअत टूट रघुपति न दोषु मुनि, बिका करिअकत रोषु ।
इस पंक्ति में कवि ने लक्ष्मण स्वयंवर में पिनाक धनुष टूटने पर परशुराम जी को कह रहे है की घनुष टूटने में श्रीराम का कोई दोष नहीं है। यह तो उनके छूने मात्र से ही टूट गया। यहां पर धनुष छूने मात्र से टूट जाने की बात अतिश्योक्ति अलंकार प्रकट कर रहा है।
उदाहरण पानी परात को छुयो नहीं, नैनन के जल सोंपग धोए ।
इस पंक्ति में यहाँ पर पानी के बिना, आंसुओ से पैरो को धोने की बात पर जोर दिया गया है। जो असमान्य बात है इसलिये यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होगा।
उदाहरण लहरें व्योम चूमती उठतीं ।
यहाँ समुद्र की लहरों को आकाश चूमते हुए कहकर उनकी अतिशय ऊँचाई का उल्लेख अतिश्योक्ति के माध्यम से किया गया है। इसलिये यहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार होगा।
उदाहरण तुम्हारी ये मधुर मुस्कान, मृत में भी फूँक देगी जान ।
इस पंक्ति में किसी की मुस्कान इतनी मनमोहक कैसे हो सकती है। जो किसी मृत व्यक्ति के शरीर में जान फूंक सके। इसलिए यहां अतिश्योक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया है।
उदाहरण इतना रोया था मैं उस दिन, ताल-तलैया सब भर डाले
इस पंक्ति में किसी व्यक्ति के रोने से तालाब का भरना बताया गया है अतः कोई व्यक्ति इतना कैसे रो सकता है कि उसके आंसुओ से ताल-तलैया सब भर जाए। इसी बात को लेकर यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार उत्पन्न होता है।
उदाहरण देख लो यह साकेत नगरी है यही, स्वर्ग से मिलने गगन को जा रही ।
इस पंक्ति में साकेत नगरी को स्वर्ग से मिलते हुए दिखाना अतिशयोक्ति है। क्योंकि कोई भी नगर स्वर्ग में कैसे जा सकता है यह असंभव है। इसलिये यहाँ अतिश्योक्ति अलंकार प्रकट हो रहा है।
अतिशयोक्ति अलंकार के 10 उदाहरण
हम आपके लिये ऊपर अतिश्योक्ति अलंकार के प्रमुख उदाहरण स्पष्टीकरण के साथ बताए है जो परीक्षा की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है , अब हम आपके लिये अतिशयोक्ति अलंकार के 10 उदाहरण बिना व्यख्या के बता रहे है जिनका आप एक बार अध्ययन जरूर करें।
- उदाहरण मैं बरजी कैबार तू, इतकत लेती करौं । पंखुरी लगे गुलाब की परि है गात खरौं ।
- उदाहरण बाँधा था विधु को किसने इन काली ज़ंजीरों में, मणिवाले फणियों का मुख क्यों भरा हुआ है हीरों से।
- उदाहरण भूप सहस दस एकहिं बारा लगे उठावन टरत न टारा।।
- उदाहरण परवल पाक, फाट हिय गोहूँ।
- उदाहरण चंचला स्नान कर आये, चन्द्रिका पर्व में जैसे उस पावन तन की शोभा आलोक मधुर थी ऐसे ।।
- उदाहरण चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल ।।
- उदाहरण मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार. दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार ।
- उदाहरण कढ़त साथ ही म्यान तें, असि रिपु तन तें प्राण ।
- उदाहरण पत्रा ही तिथि पाइए, वा घर के चहुँ पास। नित प्रति पून्यौई रहत, आनन ओप उजास ।।
- उदाहरण संधानेउ प्रभु बिसिख कराला, उठी उदधि उर अंतर ज्वाला ।।
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अतिश्योक्ति अलंकार के महत्वपूर्ण प्रश्न FAQs
प्रश्न 1. अतिश्योक्ति अलंकार की परिभाषा क्या है ?
उत्तर– जब किसी वस्तु, व्यक्ति अथवा स्थिति की प्रशंसा करते हुए कोई बात बहुत बढ़ा-चढ़ा कर अथवा लोक सीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ ‘अतिश्योक्ति अलंकार’ उपस्थित होता है।।
प्रश्न 2. अतिश्योक्ति अलंकार का अर्थ क्या है ?
उत्तर– अतिश्योक्ति शब्द मुख्यतः दो शब्दों से मिलकर बना है- अतिशय+उक्ति | ‘अतिशय ‘ का अर्थ है बहुत अधिक और ‘उक्ति’ अर्थ है कह दिया अर्थात जब कोई बात बहुत बढ़ा चढ़ाकर या लोकसीमा का उल्लंघन करके कही जाए, तब वहाँ अतिश्योक्ति अलंकार होता है।
प्रश्न 3. अतिश्योक्ति अलंकार का उदाहरण क्या है ?
उत्तर- तुम्हारी ये मधुर मुस्कान, मृत में भी फूँक देगी जान ।
प्रश्न 4. “आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा उतरे कैसे पार । राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार ।। ” में कौन सा अलंकार है ?
उत्तर- “आगे नदिया पड़ी अपार, घोड़ा उतरे कैसे पार । राणा ने सोचा इस पार, तब तक चेतक था उस पार ।। ” में अतिश्योक्ति अलंकार है।
प्रश्न 4. हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग ।। में कौन सा अलंकार है ?
उत्तर- हनुमान की पूँछ में लगन न पाई आग। लंका सारी जल गई, गए निशाचर भाग ।। में अतिश्योक्ति अलंकार है।
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