दृष्टान्त अलंकार (Drashtant Alankar) : नमस्कार दोस्तों ! आज हम अर्थालंकार के बहुत ही महत्वपूर्ण अलंकार दृष्टान्त अलंकार (Drashtant Alankar) के बारे में विस्तार से चर्चा करने बाले है, हम दृष्टान्त अलंकार (Drashtant Alankar) की परिभाषा, अर्थ और उदाहरण स्पष्टीकरण के साथ प्रस्तुत करेंगे, जिससे आपके मन मे इस अलंकार से जुड़ा हुआ एक भी सवाल वाकी नही रहेगा।
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दृष्टान्त अलंकार का अर्थ
जिस अलंकार के दो सामान्य या दो विशेष वाक्यों में बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव होता हो वहाँ पर दृष्टान्त अलंकार होता है। इसमें किसी एक बात को कह कर दूसरी बात उसके उदाहरण के रूप में दी जाती है तथा पहले वाक्य में कही गयी बात की पुष्टि दूसरे वाक्य में की जाती हैं, वहाँ दृष्टान्त अलंकार होता है। यह अलंकार उभयालंकार का भी एक अंग है।
दृष्टान्त अलंकार की परिभाषा
उपमेय एवं उपमान के साधारण धर्म में भिन्नता होने पर भी बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव से कथन करने को ‘दृष्टान्त अलंकार’ कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो दृष्टान्त अलंकार के अन्तर्गत पहले एक बात कहकर उसको स्पष्ट करने के लिए उससे मिलती-जुलती अन्य बात कही जाती है।
उदाहरण बसै बुराई जासु तन, ताहि को सम्मान । भलो भलो कहि छाँड़िये, खोटे ग्रह जप दान ।।
इस दोहे में प्रथम पंक्ति उपमेय वाक्य और द्वितीय पंक्ति उपमान वाक्य है। सम्मान करना और जप-दान करना दोनों ही बातें समान हैं। अतः यहाँ दृष्टान्त अलंकार है।
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दृष्टान्त अलंकार के उदाहरण
उदाहरण परी प्रेम नंदलाल के, हमहिं न भावत जोग । मधुप राजपद पाय के, भीख न मांगत लोग ।।
इस दोहे में कृष्ण के प्रेम में मोहक होकर गोपियों को योग का न भाना वैसा ही है, जैसा राजपद पाकर भीख न माँगना है। यहाँ पर पहले वाक्य 'उपमेय' है, जबकि दूसरे वाक्य 'उपमान' है। पहले वाक्य की सत्यता के निश्चय के लिए दूसरे वाक्य की योजना हुई है। इसलिए, यह दृष्टान्त अलंकार प्रकट हो रहा है।
उदाहरण एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकती है। किसी और पर प्रेम नारियाँ पति का क्या सह सकती है।
इस दोहे में एक म्यान में दो तलवारों का रहना वैसे ही असंभव है, जैसे कि एक पति का दो नारियों पर अनुरक्त रहना असंभव है। इसलिये यहाँ बिम्ब-प्रतिबिम्ब भाव दृष्टिगत हो रहा है। इसलिए, यहाँ दृष्टान्त अलंकार उत्पन्न हो रहा है।
उदाहरण पापी मनुज भी आज मुख से राम-नाम निकालते। देखो भयंकर भेड़िये भी आज आँसू ढालते।
इस पंक्ति में यहाँ पापी मनुष्य का प्रतिबिम्ब भेड़िये में तथा राम-नाम का प्रतिबिम्ब आँसू से पड़ रहा इसलिये यहाँ दृष्टांत अलंकार है।
उदाहरण परी प्रेम नंदलाल के, हमहिं न भावत जोग। मधुप राजपद पाय के, भीख न मांगत लोग ।।
उदाहरण पानी मनुज भी आज मुख से राम नाम निकालते। देखो भयंकर भेङिये भी, आज आँसू ढालते ।।
उदाहरण मनुष जनम दुरलभ अहै, होय न दूजी बार।पक्का फल जो गिरि परा, बहुरि न लागै डार ।।
उदाहरण श्रम ही सो सब मिलत है, निन श्रम मिलै न काहि । सीधी अंगुरी घी जम्यो, क्यों हू निकसत नाहि ।।
उदाहरण कन कन जोरै मन जुरै, खावत निबरे सोय। बूँद-बूँदे तें घट भरै, टपकत रीतो होय ।।
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दृष्टान्त अलंकार के महत्वपूर्ण प्रश्नें
दृष्टांत अलंकार की परिभाषा और अर्थ क्या है?
किसी सत्य, धार्मिक सिद्धांत या नैतिक पाठ को चित्रित करने या
सिखाने के लिए बनाई गई एक लघु रूपक कहानी। एक बयान या टिप्पणी जो तुलना, सादृश्य या इस तरह के उपयोग से अप्रत्यक्ष रूप से एक अर्थ बताती है।
दृष्टान्त अलंकार का उदाहरण क्या है ?
सिव औरंगहि जिति सकै, और न राजा-राव ।
हस्थि-मत्थ पर सिंह बिनु, आन न घालै घाव।। यह दृष्टान्त अलंकार का उदाहरण है।
दृष्टान्त अलंकार का संस्कृत में उदाहरण दीजिये ?
त्वयि दृष्ट एव तस्या निर्वाति मनो मनोभवज्वलितम् ।। आलोक ही हिमांशोर्विकसति कुसुमं कुमुद्वत्याः ।
आशा करते है आपको हमारा लेक दृष्टान्त अलंकार (Drashtant Alankar) की परिभाषा और उदाहरण – Hindi Notes पसन्द आया होगा अगर आप इस लेख पर अपनी कोई प्रतिक्रिया या सुझाव देना चाहते है तो कॉमेंट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते है। धन्यवाद…