Prateep Alankar प्रतीप अलंकार : नमस्कार दोस्तों आज हम हिंदी के महत्वपूर्ण अध्याय अर्थालंकार के महत्वपूर्ण भाग प्रतीप अलंकार Prateep Alankar के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे अगर आप Prateep Alankar प्रतीप अलंकार का अर्थ, परिभाषा और उदाहरण जानना चाहते है तो इस लेख के अंत तक बने रहें।
अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आप हमारी वेबसाइट से सभी विषयों के महत्वपूर्ण नोट्स बिल्कुल फ्री में प्राप्त कर सकते है।
- Advertisement -
प्रतीप अलंकार का अर्थ
प्रतीप का अर्थ ‘उल्टा’ होता है। जहाँ पर उपमा के अंगों में उलटफेर करने से अर्थात उपमेय को उपमान के समान न कहकर उलटकर उपमान को ही उपमेय कहा जाता है, तो वहाँ पर ‘प्रतीप अलंकार’ होता है।
प्रतीप अलंकार में दो वाक्य ‘उपमेय वाक्य’ तथा द्वितीय ‘उपमान वाक्य’ होते है। लेकिन, इन दोनों वाक्यों में सदृश्य का साफ कथन नहीं होता है और वह व्यंजित रहता है। इन दोनों में साधारण धर्म एक ही होता है, लेकिन उसे अलग-अलग प्रकार से कहा जाता है।
यह उपमा अलंकार का उल्टा होता है क्योंकि इस अलंकार में उपमान को लज्जित, पराजित या छोटा दिखाया जाता है और उपमेय को श्रेष्ट या उत्तम बताया जाता है।
प्रतीप अलंकार की परिभाषा
जहाँ उपमेय को उपमान और उपमान को उपमेय बना दिया गया हो तो वहाँ ‘प्रतीप अलंकार’ होता है। प्रतीप अलंकार में उपमा अलंकार की विपरीत स्थिति होती है।
- Advertisement -
उदाहरण ‘चन्द्रमा मुख के समान सुन्दर है।’
उक्त पंक्ति में प्रसिद्ध उपमान चन्द्रमा को उपमेय और उपमेय मुख को उपमान बनाकर, उपमान को तुच्छ और उपमेय को श्रेष्ठ बताया गया है। यहाँ प्रतीप अलंकार है, क्योंकि 'प्रतीप' उपमा का उल्टा होता है।
प्रतीप अलंकार के उदाहरण
उदाहरण सिय मुख समता किमि करै चंद वापुरो रंक ।
इस पंक्ति में सीताजी के मुख की तुलना बेचारा चन्द्रमा नहीं कर सकता । उपमेय (सीताजी) को श्रेष्ठ बताया है इसलिए यह प्रतीप अलंकार है ।
उदाहरण बिदा किये बहु विनय करि, फिरे पाइ मनकाम। उतरि नहाये जमुन- जल, जो शरीर सम स्याम ।।
इस पंक्ति में श्यामल शरीर की उपमा यमुना के नीले जल से की जा रही है, लेकिन यहाँ श्री राम के श्यामल शरीर की भांति यमुना का जल बताया गया है। अतः यह 'प्रतीप अलंकार' का उदाहरण है।
उदाहरण काहे करत गुमान ससि! तव समान मुख मंजु ।
उदाहरण ‘दृग आगे मृग कछु न ये !’
उदाहरण मुख आलोकित जग करै, कहो चन्द केहि काम?
उदाहरण ‘लोचन से अंबुज बने मुख सो चंद्र बखानु !
उदाहरण तीछन नैन कटाच्छ तें मंद काम के बान !
उदाहरण बहुत विचार कीन्ह मन माहीं, सीय वदन सम हिमकर नाहीं ।
उदाहरण सखि! मयंक तव मुख सम सुन्दर ।
उदाहरण गर्व करउ रघुनंदन घिन मन माँहा । देखउ आपन मूरति सिय के छाँहा ।।
उदाहरण जग प्रकाश तब जस करै । बृथा भानु यह देख ।।
उदाहरण उसी तपस्वी से लंबे थे, देवदार दो चार खड़े ।
उदाहरण ‘अति उत्तम दृग मीन से कहे कौन विधि जाहि !
उदाहरण गर्व कर रघुनन्दन जिन मन माह । देखउ आपनि मूरति सिय के छाँह ।।
उदाहरण सखि! मयंक तव मुख सम सुन्दर । गरब करति मुख को कहा चंदहि नीकै जोई
यह भी पढ़ें…
अलंकार | भ्रांतिमान अलंकार |
अनुप्रास अलंकार | अतिश्योक्ति अलंकार |
यमक अलंकार | अनन्वय अलंकार |
उपमा अलंकार | प्रतीप अलंकार |
श्लेष अलंकार | दृष्टांत अलंकार |
रूपक अलंकार | रस |
उत्प्रेक्षा अलंकार | समास |
प्रतीप अलंकार के महत्वपूर्ण प्रश्नें
प्रतीप अलंकर का अर्थ क्या है ?
प्रतीप का अर्थ है “उल्टा” या इसके विपरीत। जहां बड़े
को छोटा और छोटे को बड़ा बताया जाता है, यानी जब उपमान को उपमान और उपमान को उपमेय बनाया जाता है, तब वहां प्रतीप अलंकार होता है।
प्रतीप अलंकार का दूसरा नाम क्या है?
प्रतीप का अर्थ ही होता है विपरीत या उल्टा। यदि कहा जाए कि, ‘कमल के समान नेत्र है।’ तो यह उपमा अलंकार के अंतर्गत आएगा।
प्रतीप अलंकार की परिभाषा क्या है ?
जहाँ उपमेय को उपमान और उपमान को उपमेय बना दिया गया हो तो वहाँ ‘प्रतीप अलंकार’ होता है। प्रतीप अलंकार में उपमा अलंकार की विपरीत स्थिति होती है।
प्रतीप अलंकार का उदाहरण क्या है ?
तीछन नैन कटाच्छ तें मंद काम के बान !
आशा करते है आपको हमारा लेख प्रतीप अलंकार की परिभाषा और उदाहरण | Prateep Alankar ke Udaharan पसन्द आया होगा और हमारे द्वारा दी हुई जानकारी से आप सन्तुष्ट होंगें, अगर आप इस लेख पर अपनी कोई प्रतिक्रिया या सुझाव देना चाहते है तो कॉमेंट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते है। धन्यवाद…