आज हम महान साहित्यकार कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी अपने लेख कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय | Kanhaiyalal Mishra prabhakar ka jeevan parichay – PDF Notes 2023 के माध्यम से देे रहे है
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कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय
संक्षिप्त परिचय

नाम | कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर |
जन्म | 1906 ई० |
जन्म स्थान | देवबन्द सहारनपुर |
पिता का नाम | पण्डित रमादत्त मिश्र |
शिक्षा | हिंदी,अंग्रेजी तथा संस्कृत का स्वयं अध्ययन तथा खुर्जा की संस्कृत पाठशाला से शिक्षा ग्रहण की |
लेखन विधा | रेखाचित्र, निबन्ध और संस्मरण |
भाषा | तत्सम में प्रधानता, शुद्ध तथा साहित्यिक खड़ी बोली |
शैली | वर्णात्मक, भाववात्मक, चित्रात्मक तथा नाटकीय |
साहित्यिक पहचान | साहित्यकार और पत्रकार |
साहित्य में स्थान | प्रभाकर जी हिंदी साहित्य में एक महान गद्यकार के रूप में प्रसिद्ध है |
मृत्यु | 1995 ई० |
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ का जन्म 1906 ई. में देवबन्द (सहारनपुर) के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम पं. रंमादत्त मिश्र था। वे कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे। प्रभाकरजी की आरम्भिक शिक्षा ठीक प्रकार से नहीं हो पाई; क्योंकि इनके घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
इन्होंने स्वाध्याय से ही हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेजी भाषाओं का गहन अध्ययन किया तथा कुछ समय तक खुर्जा की संस्कृत पाठशाला में शिक्षा प्राप्त की। वहाँ पर राष्ट्रीय नेता आसफ अली का व्याख्यान सुनकर ये इतने अधिक प्रभावित हुए कि परीक्षा बीच में ही छोड़कर राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े। तत्पश्चात् इन्होंने अपना शेष जीवन राष्ट्रसेवा के लिए अर्पित कर दिया।
भारत के स्वतन्त्र होने के बाद इन्होंने स्वयं को पत्रकारिता में लगा दिया। लेखन के अतिरिक्त अपने वैयक्तिक स्नेह और सम्पर्क से भी इन्होंने हिन्दी के अनेक नए लेखकों को प्रेरित और प्रोत्साहित किया। 9 मई, 1995 को इस महान् साहित्यकार का निधन हो गया।
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साहित्यिक सेवा
हिन्दी के श्रेष्ठ रेखाचित्रकारों, संस्मरणकारों और निबन्धकारों में प्रभाकरजी का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनकी रचनाओं में कलागत आत्मपरकता, चित्रात्मकता और संस्मरणात्मकता को ही प्रमुखता प्राप्त हुई है।
स्वतन्त्रता आन्दोलन के दिनों में इन्होंने स्वतन्त्रता सेनानियों के अनेक मार्मिक संस्मरण लिखे। इस प्रकार संस्मरण, रिपोर्ताज और पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रभाकर जी की सेवाएँ चिरस्मरणीय हैं।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की रचनाएँ
- रेखाचित्र नई पीढ़ी के विचार, जिन्दगी मुस्कुराई, माटी हो गई सोना, भूले-बिसरे चेहरे।
- लघु कथा आकाश के तारे, धरती के फूल ।
- संस्मरण दीप जले-शंख बजे।
- ललित निबन्ध क्षण बोले कण मुस्कराये, बाजे पायलिया के घुँघरू ।
- सम्पादन प्रभाकर जी ने ‘नया जीवन’ और ‘विकास’ नामक दो समाचार-पत्रों का सम्पादन किया। इनमें इनके सामाजिक, राजनैतिक और शैक्षिक समस्याओं पर आशावादी और निर्भीक विचारों का परिचय मिलता है। इनके अतिरिक्त, ‘महके आँगन चहके द्वार’ इनकी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कृति है।
भाषा शैली
प्रभाकर जी की भाषा सामान्य रूप से तत्सम प्रधान, शुद्ध और साहित्यिक खड़ी बोली है। उसमें सरलता, सुबोधता और स्पष्टता दिखाई देती है। इनकी भाषा भावों और विचारों को प्रकट करने में पूर्ण रूप से समर्थ है।
मुहावरों और लोकोक्तियों के प्रयोग ने इनकी भाषा को और अधिक सजीव तथा व्यावहारिक बना दिया है। इनका शब्द संगठन तथा वाक्य-विन्यास अत्यन्त सुगठित है। इन्होंने प्रायः छोटे-छोटे व सरल वाक्यों का प्रयोग किया है। इनकी भाषा में स्वाभाविकता, व्यावहारिकता और भावाभिव्यक्ति की क्षमता है।
प्रभाकर जी ने भावात्मक, वर्णनात्मक, चित्रात्मक तथा नाटकीय शैली का प्रयोग मुख्य रूप से किया है। इनके साहित्य में स्थान-स्थान पर व्यंग्यात्मक शैली के भी दर्शन होते हैं।
हिन्दी साहित्य में स्थान
कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ मौलिक प्रतिभासम्पन्न गद्यकार थे। इन्होंने हिन्दी-गद्य की अनेक नई विधाओं पर अपनी लेखनी चलाकर उसे समृद्ध किया है। हिन्दी भाषा के साहित्यकारों में अग्रणी और अनेक दृष्टियों से एक समर्थ गद्यकार के रूप में प्रतिष्ठित इस महान् साहित्कार को, मानव मूल्यों के सजग प्रहरी के रूप में भी सदैव स्मरण किया जाएगा ।
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धन्यवाद….