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Jainendra kumar ka jeevan parichay | जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय – Exam 2023-24

Akhilesh Kumar
Last updated: 2023/06/13 at 9:16 AM
Akhilesh Kumar Published June 13, 2023
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जैनेंद्र कुमार हिंदी के महान निबन्धकार, उपन्यास कार और कहानी लेखक थे कहानी लेखक के तौर पर जैनेंद्र कुमार का नाम मुंशी प्रेमचंद के बाद आता है ।

Contents
जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचयजैनेंद्र कुमार की रचनायेंभाषा शैलीहिंदी साहित्य में स्थानसाहित्यिक सेवाएँयह भी पढ़े…

जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय

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आज हम अपने लेख Jainendra kumar ka jeevan parichay | जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय – Exam 2023-24 में इस महान लेेखक के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करेंगे।

जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय

Jainendra kumar ka jeevan parichay | जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय - Exam 2023-24
नामजैनेंद्र कुमार
जन्म1905 ई०
जन्म स्थानजिला अलीगढ़ के कोडियागंज नामक कस्बे में
पिता का नामश्री प्यारेलाल
माता का नामश्रीमती रामादेवी
शिक्षामेट्रिक,उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
लेखन विधाउपन्यास,कहानी,निबन्ध
साहित्यिक पहचानप्रसिद्ध विचारक,उपन्यास कार, कथाकार और निबन्धकार
भाषासरल,स्वाभाविक तथा सीधी सादी
शैलीविचारात्मक,वर्णात्मक तथा व्याख्यायतमक
साहित्यिक स्थानजैनेंद्र कुमार हिंदी साहित्य जगत में एक श्रेष्ठ कथाकार व साहित्यकार के रूप में प्रतिष्ठित है ।
मृत्यु1988 ई०
जैनेंद्र कुमार का जीवन परिचय

प्रसिद्ध विचारक, उपन्यासकार, कथाकार और निबन्धकार जैनेन्द्र कुमार का जन्म 1905 ई. में जिला अलीगढ़ के कौड़ियागंज नामक कस्बे में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री प्यारेलाल और माता का नाम श्रीमती रामादेवी था। जैनेन्द्र जी के जन्म के दो वर्ष पश्चात् ही इनके पिता की मृत्यु हो गई। माता एवं मामा ने इनका पालन-पोषण किया। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा ‘ऋषि ब्रह्मचार्याश्रम’ जैन गुरुकुल, हस्तिनापुर में हुई। इनका नामकरण भी इसी संस्था में हुआ।

आरम्भ में इनका नाम आनन्दीलाल था, किन्तु जब जैन गुरुकुल में अध्ययन के लिए इनका नाम लिखवाया गया, तब इनका नाम जैनेन्द्र कुमार रख दिया गया। 1912 ई. में इन्होंने गुरुकुल छोड़ दिया। 1919 ई. में इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पंजाब से उत्तीर्ण की। इनकी उच्च शिक्षा ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ में हुई। 1921 ई. में इन्होंने विश्वविद्यालय की पढ़ाई छोड़ दी और असहयोग आन्दोलन में सक्रिय हो गए।

1921 ई. से 1923 ई. के बीच जैनेन्द्र जी ने अपनी माता जी की सहायता से व्यापार किया, जिसमें इन्हें सफलता भी मिली। 1923 ई. में ये नागपुर चले गए और वहाँ राजनैतिक पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य करने लगे। उसी वर्ष इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और तीन माह के बाद छोड़ा गया। दिल्ली लौटने पर इन्होंने व्यापार से स्वयं को अलग कर लिया और जीविकोपार्जन के लिए कलकत्ता (कोलकाता) चले गए। वहाँ से इन्हें निराश लौटना पड़ा। इसके बाद इन्होंने लेखन कार्य आरम्भ किया।

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इनकी पहली कहानी 1928 ई. में ‘खेल’ शीर्षक से ‘विशाल भारत’ में प्रकाशित हुई। 1929 ई. में इनका पहला उपन्यास ‘परख’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ, जिस पर ‘हिन्दुस्तानी अकादमी’ ने पाँच सौ रुपये का पुरस्कार प्रदान किया। 24 दिसम्बर, 1988 को इस महान् साहित्यकार का स्वर्गवास हो गया।

जैनेंद्र कुमार की रचनायें

जैनेन्द्र जी मुख्य रूप से कथाकार हैं, किन्तु इन्होंने निबन्ध के क्षेत्र में भी यश अर्जित किया है। उपन्यास, कहानी और निबन्ध के क्षेत्रों में इन्होंने जिस साहित्य का निर्माण किया है, वह विचार, भाषा और शैली की दृष्टि से अनुपम है।

इनकी कृतियों का विवरण इस प्रकार है।

  • उपन्यास – परख, सुनीता, त्यागपत्र, कल्याणी, विवर्त, सुखदा, व्यतीत, जयवर्धन, मुक्तिबोध |
  • कहानी – संकलन फाँसी, जयसन्धि, वातायन, नीलम देश की राजकन्या, एक रात, दो चिड़ियाँ, पाजेब ।
  • निबन्ध संग्रह प्रस्तुत प्रश्न, जड़ की बात, पूर्वोदय, साहित्य का श्रेय और प्रेय, मन्थन, सोच-विचार, काम, प्रेम और परिवार।
  • अनुवाद मन्दाकिनी (नाटक), पाप और प्रकाश (नाटक), प्रेम में भगवान (कहानी )
  • स्मरण के और वे

भाषा शैली

जैनेन्द्र जी की भाषा सरल, स्वाभाविक तथा सीधी-सादी है, जो विषय के अनुरूप स्वयं बदलती रहती है। इनके विचार जिस स्थान पर जैसा स्वरूप धारण करते हैं, इनकी भाषा भी उसी प्रकार का स्वरूप धारण कर लेती है। यही कारण है कि गम्भीर स्थलों पर इनकी भाषा गम्भीर हो गई है। इनकी भाषा में संस्कृत शब्दों का प्रयोग अधिक नहीं हुआ है, किन्तु उर्दू, फारसी, अरबी, अंग्रेजी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग प्रचुर मात्रा में हुआ है।

इन्होंने मुहावरों तथा कहावतों का प्रयोग यथास्थान किया है। इनके निबन्धों में विचारात्मक तथा वर्णनात्मक शैली के दर्शन होते हैं, साथ ही इनके कथा-साहित्य में व्याख्यात्मक शैली का प्रयोग भी हुआ है।

हिंदी साहित्य में स्थान

श्रेष्ठ उपन्यासकार, कहानीकार एवं निबन्धकार जैनेन्द्र कुमार अपनी चिन्तनशील विचारधारा तथा आध्यात्मिक एवं सामाजिक विश्लेषणों पर आधारित रचनाओं के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे। हिन्दी कथा-साहित्य के क्षेत्र में जैनेन्द्र कुमार का विशिष्ट स्थान है। हिन्दी साहित्य जगत् में ये एक श्रेष्ठ साहित्यकार तथा युग प्रवर्तक व मौलिक कथाकार के रूप में भी जाने जाते हैं।

साहित्यिक सेवाएँ

जैनेन्द्र कुमार जी का साहित्य सेवा क्षेत्र बहुत अधिक विस्तृत है। मौलिक कथाकार के रूप में ये जितने अधिक निखरे है, उतने ही निबन्धकार और विचारक के रूप में भी इन्होंने अपनी प्रतिभा का अद्भुत परिचय दिया है।

यह भी पढ़े…

वासुदेव शरण अग्रवाल जीवन परिचय | Hindi Notes 2023

Samanya Hindi Notes PDF | सामान्य हिन्दी नोट्स पीडीफ – Free Download 2022

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