नमस्कार दोस्तों आज हम बाल-विकास शिक्षा शास्त्र के महत्वपूर्ण अध्याय बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे, इस आर्टिकल के माध्यम से हम बालक को प्रभावित करने बाले सभी छोटे बड़े कारको पर बिंदु बार चर्चा करेंगे।
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बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक
बालक के विकास को प्रभावित करने वाले अनेक बाह्य एवं आन्तरिक कारक होते हैं। कुछ कारक स्वतन्त्र रूप से बालक के शारीरिक विकास को प्रभावित करते हैं तथा कुछ कारकों की पारस्परिक अन्तःक्रियाएँ बालक के शारीरिक विकास को प्रभावित करती हैं। इसी प्रकार बालक का मानसिक विकास प्रभावित होता है।
बालक के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों के मुख्य आधार निम्न प्रकार
अभिप्रेरणा और व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक

अभिप्रेरणा और व्यवहार को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं
परिपक्वता
बालक की प्रारम्भिक अवस्था में परिपक्वता का अधिक महत्त्व अभिप्रेरणा से सम्बन्धित मानव व्यवहार के अधिगम में परिपक्वता का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है;
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जैसे- यदि आठ माह के बालक को ट्राइसिकिल चलाना कितना भी क्यों न सिखाया जाए वह शारीरिक परिपक्वता के अभाव में ट्राइसिकिल चलाना नहीं सीख पाएगा।
सीखना
सीखना मानवीय व्यवहार और मानसिक क्रियाओं के अनेक पहलुओं को प्रभावित करता है। सीखने की क्षमता के विकास के साथ-साथ बालक भूख, प्यास, नींद अभिप्रेरणा से सम्बन्धित व्यवहार को सीखता है।
इसके बाद सामूहिकता,संग्रहशीलता, आक्रमकता आदि अभिप्रेरणाओं से सम्बन्धित इस व्यवहार को नकल या अनुकरण द्वारा सीखता है।
बुद्धि
अभिप्रेरणाओं से सम्बन्धित व्यवहार के बालक का बुद्धि स्तर महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रभावित होता है। जिन बालकों का बौद्धिक स्तर उच्च होता है, उन्हें वह अभिप्रेरणा के माध्यम से जल्दी सीख लेता है।
मनोवैज्ञानिक कारण
जिन समूहों या समाज में शक्ति, अभिप्रेरणा और आक्रमकता को महत्त्व दिया जाता है, वहाँ के बालकों में भी इनसे सम्बन्धित व्यवहार अधिक पाया जाता है। अत: बालक मनोवैज्ञानिक वातावरण का अनुकरण करके सीखता है।
अन्तर्नाद व प्रलोभन
अन्तर्नाद व्यक्ति को क्रियाशील बनाते हैं। प्रलोभन बालक को भिन्न-भिन्न तरह से आकर्षित करता है। बालक के लिए एक प्रलोभन जितना अधिक मूल्यवान होता है,
निर्देशन व शिक्षा
उतना ही वह अन्तर्नाद सम्बन्धी व्यवहार को प्रबल कर देता है। यह कारक भी बालकों में अभिप्रेरणाओं के विकास को प्रभावित करता है। बालक को जिन अभिप्रेरणाओं को सीखने की शिक्षा दी जाएगी तथा निर्देशन दिया जाएगा उतना ही बालक जल्दी सीखेगा।
गर्भकालीन शिशु के विकास को प्रभावित करने वाले कारक
गर्भकाल में शिशु के विकास को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं।
माँ का स्वास्थ्य
गर्भधारण के समय माँ का स्वस्थ होना अति आवश्यक है। यदि माँ का स्वास्थ्य उस दौरान ठीक नहीं है या किसी दीर्घकालीन रोग से ग्रस्त है, तो शिशु के स्वास्थ्य पर भी उसका बहुत प्रभाव पड़ता है।
शराब एवं निकोटीन युक्त पदार्थ
गर्भवती स्त्री यदि मादक पदार्थों का सेवन करती है, तो उसका प्रतिकूल प्रभाव निश्चित रूप से शिशु पर पड़ता है। इससे शिशु की धड़कनें तेज हो जाती हैं तथा उसे बेचैनी होने लगती है।
माता-पिता की आयु
प्रायः यह आम धारणा है कि माता-पिता की अधिक आयु में पैदा होने वाली सन्तानें अधिक बुद्धिमान होती हैं पर यह धारणा अधिक सत्य नहीं है। सन्तान पैदा होने के सम्बन्ध में हरलॉक ने स्त्री की आयु 21 वर्ष से 28 वर्ष तथा पिता की आयु 30 से 34 वर्ष तक होना सही माना है। इससे कम या अधिक आयु होने पर उनकी सन्तानें प्रभावित होती है।
शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
बालक के शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक इस प्रकार हैं
वंशानुक्रम
प्राणी की शारीरिक विशेषताएँ; जैसे— रंग, रूप, कद तथा शारीरिक अनुपात सभी को वंशानुक्रम कारक प्रभावित करते हैं।
भौतिक वातावरण
जिस प्रकार अधिक सर्दी, गर्मी और वर्षा में पौधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, उसी प्रकार बालकों को उपयुक्त हवा, पानी व प्रकाश न मिलने पर उनका शारीरिक विकास नहीं हो पाता।
आहार
बालक को पौष्टिक आहार देने से उसकी शारीरिक वृद्धि एवं विकास सामान्य से अच्छा होता है, जबकि कुपोषण से बालक शारीरिक एवं मानसिक दोनों प्रकार से कुप्रभावित होता है।
रोग
रोगग्रस्त बालक का सभी तरह का विकास प्रभावित होता है। रोगी बालक को उपचार हेतु दवाएँ दी जाती हैं, जो रोग को दूर तो कर देती हैं, किन्तु दवाइयों के दूरगामी प्रभाव होते हैं, जिससे बालक के विकास में बाधाएँ आती हैं।
यौन
जन्म के समय बालक बालिकाओं की अपेक्षा कुछ अधिक लम्बे होते हैं। लड़कियों में वयः सन्धि अवस्था के जल्दी प्रारम्भ होने से उनका शारीरिक विकास लड़कों की अपेक्षा लगभग दो वर्ष पहले होता है। इस प्रकार के निरीक्षणों से यह निष्कर्ष निकाला। जा सकता है कि बालकों के शारीरिक विकास पर यौन का प्रभाव भी पड़ता है।
विटामिन्स एवं खनिज
यद्यपि ये सभी कारक आहार एवं पोषण में आते हैं तथापि कुछ विशेष विटामिन ऐसे होते हैं, जो बालक की हड्डी, दाँत आदि से सम्बन्धित होते हैं। ये विटामिन-डी तथा सूर्य की किरणों के रूप में होते हैं। बालक के विकास में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
पारिवारिक प्रभाव
हरलॉक (1990) के अनुसार, “प्रत्येक आयु पर वातावरण का प्रभाव लम्बाई की अपेक्षा वजन पर अधिक पड़ता है।” परिवार का वातावरण तथा पारिवारिक वातावरण से सम्बन्धित कारकों की अन्तःक्रियाएँ बालक के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।
सामाजिक-आर्थिक स्तर
निम्न सामाजिक-आर्थिक स्तर के बालकों का शारीरिक और मानसिक विकास, उच्च आर्थिक और सामाजिक स्तर के परिवारों के बालकों की अपेक्षा हीन होता है। परिवार के सामाजिक-आर्थिक स्तर का सीधा सम्बन्ध खाने-पीने, रहने आदि की सुविधाओं से है। ये सुविधाएँ यदि कम होंगी, तो निश्चय ही बालक का शारीरिक विकास प्रभावित होगा।
प्रत्यय विकास को प्रभावित करने वाले कारक प्रत्यय
विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्न प्रकार हैं
ज्ञानेन्द्रियाँ
यदि एक बालक को कम सुनाई पड़ता है, तो सुनने से सम्बन्धित जो प्रत्यय विकसित होंगे वे त्रुटिपूर्ण होंगे। इसी प्रकार रंग-वर्णान्धता से पीड़ित बालक में रंगों से सम्बन्धित प्रत्यय दोषपूर्ण ढंग से विकसित होंगे।
बौद्धिक क्षमताएँ
बौद्धिक क्षमताओं में बालक की बुद्धि, तर्क, चिन्तन, कल्पना और स्मृति आदि। योग्यताओं का विकास यदि सामान्य ढंग से हुआ है, तो बालक अपने चारों ओर के वातावरण के ज्ञान को सामान्य रूप से अर्जित करेगा अन्यथा अल्प योग्यता के कारण बालक निश्चित रूप प्रत्यक्षीकरण करेगा। उद्दीपकों का गलत अर्थ लगाकर गलत
समायोजन
जिन बालकों के जीवन में विभिन्न क्षेत्रों में समायोजन अच्छा होता है, उनके प्रत्यय अधिक शुद्ध व वास्तविक होते हैं, जबकि इसके विपरीत ये प्रत्यय कम शुद्ध व कम वास्तविक होते हैं।
सामाजिक वातावरण
बालक में प्रत्ययों का विकास उसी प्रकार का होता है, जैसा उसका सामाजिक वातावरण होता है। यदि उसके घर और समाज में पूजा और धर्म पर अधिक बल दिया जाता है, तो उसमें धर्म और पूजा के प्रति धनात्मक और अपेक्षाकृत जल्दी प्रत्यय निर्मित होंगे। यदि समाज में धोखेबाजी, बेईमानी और जालसाजी जैसे प्रचलित हैं, तो बालक इन मूल्यों से सम्बन्धित प्रत्यय जल्दी सीखता है। मूल्य
चिन्ता
जिन बालकों में चिन्ता की मात्रा अधिक होती है, उनमें प्रत्ययों का निर्माण शीघ्र होता है और कम चिन्ता वाले बालकों में प्रत्ययों का विकास अपेक्षाकृत देर से होता है।
सम्बन्ध का अवबोधन
वस्तुओं के पारस्परिक सम्बन्धों को बालक जैसे-जैसे सीखता जाता है वैसे-वैसे उसमें बोध का विकास होता जाता है। इन पारस्परिक सम्बन्धों के आधार पर ही बालक सामान्यीकरण (Generalisation) करना सीखता है।
नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक
नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक इस प्रकार हैं
बुद्धि
बालकों के नैतिक विकास को बुद्धि महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करती है। जिन बालकों की बुद्धि अधिक होती है, उनमें मन्द बुद्धि बालकों की अपेक्षा नैतिक विकास शीघ्र होता है। यदि अधिक बुद्धि वाले बालक में चारित्रिक दोष उत्पन्न हो भी जाते हैं, तो उन्हें समझा-बुझा देने से शीघ्र समाप्त हो जाते हैं।
आयु
आयु बढ़ने के साथ-साथ भले-बुरे, उचित और अनुचित के ज्ञान की वृद्धि होती जाती है। आयु बढ़ने के साथ-साथ वह सत्य और असत्य के अन्तर को भी समझने लगता है। सहानुभूति, सहनशीलता, ईमानदारी, भक्ति, सत्यवादिता आदि गुणों का विकास भी बढ़ने के साथ-साथ होता जाता है।
परिवार
जिन परिवारों का वातावरण दूषित होता है, उन परिवारों के बालक मिथ्याभाषी, चोर, डरपोक, ईर्ष्यालु, घर से भागने वाले, बाल अपराधी, क्रोधी और दुराचारी आदि कुछ भी हो सकते हैं। यदि परिवार के सदस्य शराबी, जुआरी, वेश्यागामी या दुराचारी आदि हैं तथा पति-पत्नी का आपस में एक-दूसरे पर कोई नियन्त्रण नहीं है, तो ऐसे परिवारों की सन्तानों को अनैतिकता का व्यवहार अपने ही परिवार से सीखने में बहुत बड़ी प्रेरणा मिलती है।
विद्यालय
यदि विद्यालय का अनुशासन सामान्य और व्यवस्था ठीक होती है, तो वहाँ पढ़ने वाले बालकों को चारित्रिक विकास के लिए सुन्दर वातावरण मिलता है। विद्यालयों में बालकों के नैतिक विकास पर उसके साथी समूह का भी महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए बालक के साथी यदि दुराचारी हैं, तो निश्चय ही बालक में भी इसी प्रकार के व्यवहार प्रतिमान विकसित होंगे।
सिनेमा एवं टेलीविजन
बालकों और किशोरों की मानसिक योग्यता सीमित होने के कारण वे सिनेमा के उद्देश्यों और कहानी को कम समझ पाते हैं। वे सिनेमा से गन्दी बात ही अधिक सीखते हैं। सिनेमा की भाँति टेलीविजन का प्रभाव भी पड़ता है। रेडियो में भी अनेक प्रकार के प्रोग्राम प्रसारित किए जाते हैं, परन्तु बच्चे अक्सर फिल्मी गीतों को अधिक सुनते हैं। इस प्रकार के प्रोग्राम का उनके नैतिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
साथी समूह
जिस प्रकार के चरित्र वाले बालकों या साथी समूह के बीच बालक रहता है उसी प्रकार के नैतिक मूल्य वह भी अनुकरण के आधार पर सीखता है। उसके मित्रगण यदि उच्च नैतिक मूल्यों वाले हैं, तब बालक भी इसी प्रकार के मूल्यों को सीखता है।
बालक के साथी चोरी करने वाले तथा झूठ बोलने वाले हैं, तो वह भी इसी प्रकार के व्यवहारों या चरित्र को सीखता है। अत: हम कह सकते हैं कि बालक का चारित्रिक विकास उसके साथी समूह से प्रभावित होता है।
सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
बालक के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्न प्रकार हैं
- स्वास्थ्य एवं शारीरिक संरचना
- परिवार का वातावरण
- पड़ोस एवं विद्यालय की शिक्षा एवं वातावरण
- मनोरंजन के साधन एवं घूमना-फिरना
- बालकों का व्यक्तित्व (बहिर्मुखी अथवा अन्तर्मुखी)
- मित्र, मण्डली एवं अन्य समूह
- संवर्द्धन अभिप्रेरक
- हीनता की भावना
- संवेगात्मक विकास
- रिश्ते एवं नातेदारी
बाल-संवेगात्मकता को प्रभावित करने वाले कारक
बालकों में संवेगों की उत्पत्ति एवं विकास परिपक्वता और अधिगम पर आधारित हैं। इसको प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक हैं
- शारीरिक स्वास्थ्य लिंग
- बुद्धि
- पिता-पुत्र सम्बन्ध
- जन्म-क्रम
- अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी व्यक्तित्व
- सामाजिक वातावरण • परिवार का छोटा-बड़ा आकार
- आर्थिक स्थिति,
- आत्म-विश्वास
खेल के विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
बालकों में खेल के विकास को निम्नलिखित तत्त्व प्रभावित करते हैं।
- बालक का स्वास्थ्य क्रियात्मक विकास’
- बुद्धि
- सामाजिक एवं आर्थिक स्तर
- आस-पास का वातावरण
- आयु
- खेल के साधन
- साथी समूह
- खाली समय
- क्रियात्मक विकास
- लिंग
उपरोक्त कारक बालक के खेल के विकास को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
प्रमुख आधारों (जैसे—पारिवारिक, व्यावहारिक, नैतिक एवं सामाजिक) के विभिन्न कारक व इनसे प्रभावित होने वाले तत्त्वों का संक्षिप्तीकरण इस प्रकार हैं।
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बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारकों से सम्बंधित प्रश्न
बच्चों के सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
आर्थिक तत्व
सामाजिक-पर्यावरणीय तत्व
शारीरिक तत्व
वंशानुगत तत्व
बालक के विकास पर किसका सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है?
परिवार की स्थिति का बच्चे के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। युवाओं में काफी अंतर होता है। इसका एक कारण किसी की पारिवारिक विरासत है। एक बच्चे के संतुलित व्यक्तित्व के विकास के लिए माता-पिता और बच्चों को मिलकर काम करना चाहिए।
विकास को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक क्या है?
प्रथम, जन्मजात या प्रकृतिदत्त प्रभाव तथा दूसरा जन्म के उपसन्त प्रभावित करने वाले बाह्य कारक व्यक्तित्व में भिन्नता प्रकृतिजन्य कारकों तथा पर्यावरण का पोषण सम्बन्धी कारणों से होती है।
बाल स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं?
छोटे बच्चे: बाल स्वास्थ्य के लिए जोखिमों में जन्म के समय कम वजन, कुपोषण, स्तनपान न कराना, भीड़भाड़ की स्थिति, असुरक्षित पेयजल और भोजन और खराब स्वच्छता प्रथाएं शामिल हैं।
बाल विकास का जनक कौन है?
बाल मनोविज्ञान का जनक पेस्टालॉजी को माना जाता है। -बाल विकास
का जनक स्टेनली हॉल है।
बाल विकास को कितने भागों में बांटा गया है?
रूसो ने बालकों की तीन अवस्थाओं की कल्पना की थी: शैशवावस्था, जो
एक 01 से 06 तक रहती है, बाल्यावस्था जो 06 वर्ष से 12 वर्ष तक रहती है और किशोरावस्था जो 12 वर्ष से 18 वर्ष तक रहती है।
बाल विकास में जैविक कारक क्या हैं?
जैविक कारकों में आनुवंशिक प्रभाव, मस्तिष्क रसायन, हार्मोन स्तर, पोषण और लिंग शामिल हैं। यहां पोषण और लिंग पर बारीकी से नजर डाली गई है और वे विकास को कैसे प्रभावित करते हैं।
विकास के 4 कारक कौन से हैं?
अर्थशास्त्री आम तौर पर इस बात से सहमत हैं कि आर्थिक विकास और वृद्धि चार कारकों से प्रभावित होती है: मानव संसाधन, भौतिक पूंजी, प्राकृतिक संसाधन और प्रौद्योगिकी। अत्यधिक विकसित देशों में ऐसी सरकारें हैं जो इन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
विकास के कौन से कारक हैं विस्तार से बताएं?
वे स्थितियाँ और चर जो गर्भाधान से परिपक्वता तक भावनात्मक, बौद्धिक, सामाजिक और शारीरिक विकास को प्रभावित करते हैं। उदाहरणों में माता-पिता का रवैया और उत्तेजना, सहकर्मी रिश्ते, सीखने के अनुभव, मनोरंजक गतिविधियाँ और वंशानुगत प्रवृत्तियाँ शामिल हैं।
बाल विकास कब प्रारंभ हुआ?
1975 में लॉन्च किया गया, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस) एक अद्वितीय प्रारंभिक बचपन का विकास कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य कुपोषण, स्वास्थ्य और युवा बच्चों, गर्भवती और नर्सिंग माताओं की विकास आवश्यकताओं को संबोधित करना है।
आशा करते है आपको हमारा आर्टिकल बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक पसन्द आया होगा, अगर आप इस आर्टिकल पर अपना कोई सुझाव देना चाहते है तो कॉमेट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते है।