शिक्षण एवं अधिगम शिक्षण प्रक्रिया के दो महत्त्वपूर्ण घटक हैं। दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ शिक्षण होगा, वहाँ अधिगम अवश्य होगा। शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को समझने के लिए दोनों का अर्थ समझना जरूरी हो जाता है।
शिक्षण Teaching | शिक्षण का अर्थ, परिभाषा, शिक्षण के सिद्धांत, शिक्षण की विशेषताएं और शिक्षण की प्रमुख विधियाँ
- Advertisement -
शिक्षण शब्द संस्कृत भाषा के ‘शिक्ष’ धातु से मिलकर बना है जिसका अर्थ है सीख देना या जानकारी देना या सिखाना। शिक्षण में अध्यापक और छात्र के बीच अन्तः क्रिया सम्पन्न होती है जिससे सीखने वाले के व्यवहार में परिवर्तन करने की कोशिश की जाती है।
शिक्षण Teaching
शिक्षण का अर्थ है सीखने में सहायता करना, लेकिन प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के प्रयासों तथा अनुभवों के आधार पर सीखता है। शिक्षक अपने छात्र को सीखने में प्रेरणा दे सकता है, रुचि उत्पन्न कर सकता है, लेकिन वह स्वयं छात्र से कुछ नहीं सीखता ।
शिक्षण का शिक्षा से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य परम्परा रही है जिसमें गुरु, प्यार एवं स्नेह से अपने शिष्यों को आरम्भ में पढ़ाता था। जैसे-जैसे समाज बदलता रहा शिक्षा का अर्थ भी बदलता रहा।
अतः शिक्षण की कोई एक परिभाषा नहीं दी जा सकती क्योंकि शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है। साथ ही, शिक्षण की प्रक्रिया अधिगम के बिना पूरी नहीं होती, अर्थात् शिक्षण और अधिगम में गहरा सम्बन्ध होता है।
- Advertisement -

शिक्षण की परिभाषा
शिक्षण की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ इस प्रकार हैं
- स्मिथ के अनुसार, “शिक्षण, उद्देश्य-केन्द्रित क्रिया है।”
- मोरीसन के अनुसार, “शिक्षण एक परिपक्व व्यक्ति व कम परिपक्व व्यक्ति के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है जिसमें अधिक परिपक्व व्यक्ति कम परिपक्व व्यक्ति को शिक्षित करता है।”
- बर्टन के अनुसार, “शिक्षण, अधिगम हेतु प्रेरणा, पथ-प्रदर्शन व प्रोत्साहन है।”
- थाइन के अनुसार, “अधिगम में वृद्धि करना ही शिक्षण है।”
- हफ तथा डंकन के अनुसार, “शिक्षण चार चरणों वाली एक प्रक्रिया है। योजना, निर्देशन, मापन तथा मुल्यांकन
शिक्षण की विशेषताएँ
- शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है।
- शिक्षण आमने-सामने होने वाली प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक विकास की प्रक्रिया है।
- शिक्षण कला और विज्ञान दोनों है।
- शिक्षण एक भाषायी प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक उपचार विधि है।
- शिक्षण एक अन्तःक्रिया है।
- शिक्षण एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक त्रिध्रुवी प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक निर्देशन की प्रक्रिया है।
- शिक्षण औपचारिक व अनौपचारिक प्रक्रिया है।
- शिक्षण एक कौशलपूर्ण प्रक्रिया है।
शिक्षण के सिद्धांत
- निश्चित उद्देश्य का सिद्धान्त शिक्षक को पहले अपने उद्देश्य निश्चित कर लेने चाहिए।
- लचीलेपन का सिद्धान्त यदि आवश्यक हो, तो पूर्व निर्धारित विषय-वस्तु, समय, स्थान और विधियों में परिवर्तन लाया जाना चाहिए।
- पूर्व अनुभवों को जोड़ने का सिद्धान्त छात्र ने पूर्व में जो भी सीखा है; आगे का पाठ उससे जोड़कर पढ़ाया जाय
- बाल केन्द्रितता का सिद्धान्त शिक्षण बाल केन्द्रित होना चाहिए न कि शिक्षक केन्द्रित ।
- व्यक्तिगत विभिन्नता का सिद्धान्त चूंकि विभिन्न बालकों की क्षमताएँ भी भिन्न-भिन्न हैं, अतः शिक्षण सभी को ध्यान में रखकर ही होना चाहिए।
- वास्तविक जीवन से जोड़ने का सिद्धान्त पाठ्य वस्तु को छात्रों के जीवन से जोड़ देने से वह पाठ आसानी से और रुचिपूर्वक सिखाया जा सकता है।
- अन्य विषयों के साथ समवाय समन्वय का सिद्धान्त शिक्षण में एक विषय पढ़ाते समय उसका सम्बन्ध अन्य विषयों से भी जोड़ा जाना चाहिए।
- प्रभावशाली व्यूह रचना शिक्षण के लिए प्रभावशाली विधियों, सहायक सामग्री आदि का चुनाव कक्षा में जाने से पूर्व में ही कर लेना चाहिए।
- सक्रिय सहयोग और क्रियाशीलता का सिद्धान्त पाठ के विकास में बच्चों का सहयोग लिया जाए और उन्हें क्रियाशील रखा जाए।
शिक्षण विधियाँ
- आगमन विधि
- निगमन विधि
- हरबर्ट प्रणाली
- प्रोजेक्ट विधि
- डाल्टन विधि
- किंडरगार्टन विधि
- मॉन्टेसरी पद्धत
- मनोविज्ञान क्या है , अर्थ :10 परिभाषायें New Tips and Tricks Psychology in hindi
- शिक्षा मनोविज्ञान और बालविकास के 100 महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ट प्रश्नोत्तर | 100+ Psychology Questions in Hindi | Free PDF Notes
- Educational Psychology | शिक्षा मनोविज्ञान – 2022
आशा करते है आपको हमारा आर्टिकल पसन्द आया होगा अगर आप हमारे द्वारा दी हुई जानकारी से संतुष्ट है तो कॉमेंट के माध्यम से सम्पर्क कर सकते है। धन्यवाद…