
दोस्तो आज हम पारिस्थितिकी तंत्र |अर्थ,परिभाषा,घटक और खाद्य श्रंखला के बारे में विस्तार से जानने बाले है । पारिस्थितिकी जीव विज्ञान की ही एक शाखा है जिसमे किसी जीव समूह तथा उनके वातावरण के बीच होने बाले परस्पर सम्बन्धो का अध्यन करते है ।
पारिस्थितिकी का अर्थ
पारिस्थितिकी शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1865 में रेटर (Reiter) ने किया था । अर्नेस्ट हैकल ने पारिस्थितिकी Ecology शब्द का प्रयोग Oikologie के नाम से किया और इसकी विस्तार से व्यख्यान भी किया Oikologie शब्द ग्रीक भाषा से लिया गया है ।
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वर्तमान समय मे पारिस्थितिकी को व्यापक आयाम प्रदान कर दिया गया है अब पारिस्थितिकी के अंर्तगत जन्तुओं, वनस्पतियों, जलवायु के अलावा मनुष्यों, उनके समाज और मनुष्यों के भौतिक पर्यावरण की कार्य विधियों का भी अध्ययन किया जाता है
ए०जी० टांसले द्वारा सर्व प्रथम पारिस्थितिकी तंत्र की संकल्पना प्रस्तावित की गई– टांसले के अनुसार पारिस्थितिकी तंत्र भौतिक तंत्रो का एक ही प्रकार होता है जिसकी रचना जैविक ओर अजैविक घटको से मिलकर होती है ।टांसले के अनुसार पारिस्थितिकी तंत्र एक खुला तंत्र है यह आकर में अलग-अलग होते है । इसकी सरंचना या आकार में परिवर्तन होता रहता है ।
पारिस्थितिकी तंत्र का आकार पानी की एक बूंद जितना छोटा और किसी महासागर की तरह बड़ा हो सकता है अगर मानो तो हमारी पूरी पृथ्वी ही एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है ।
पारिस्थितिकी की परिभाषा
अर्नेस्ट हैकल के अनुसार- जीवधारियों के कार्बनिक ओर अकार्बनिक वातावरण और पारस्परिक सम्बन्धो के अध्ययन को पारिस्थितिकी विज्ञान कहते है ।
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यूजीन ओडम के अनुसार- पारिस्थितिकी,प्रकृति की संरचना एवं प्रक्रिया का अध्ययन है ।
महत्वपूर्ण बिन्दु….
- पृथ्वी का सबसे बड़ा पारिस्थितिकी तंत्र – जैवमंडल
- वन,झील,समुद्र,नदी आदि प्राकृतिक पारितंत्र है
- धान का खेत मानव निर्मित पारितंत्र है
- सबसे विशाल पारिस्थितिकी तंत्र- समुद्र
- वनों की कटाई पा०असन्तुलन का प्रमुख कारण है
- खाद्य श्रंखला में मनुष्य प्राथमिक और द्वितीय उपभोक्ता है
- ऊर्जा का प्रवाह अजैविक से जैविक की दिशा में होता है
- स्थलीय भाग में जीवभार का पीरामिड सीधा होता है
- जलीय भाग में जीव भार का पिरामिड उल्टा होता है
- ऊर्जा का प्राथमिक स्रोत सौर ऊर्जा है
- चिपको आन्दोलन पेड़ो की कटाई रोकने के लिये किया गया था
- चिपको आन्दोलन किसके नेतृत्व में हुआ – गौरा बाई
- यूकेलिप्टस पारिस्थितिकी शत्रु है
- दो भिन्न समूदसमूदायों के बीच संक्रांति क्षेत्र कहलाता है – इकोटोन
- डीप इकोलॉजी शब्द का प्रयोग किया – अर्निज नेस ने
- ओर…
पारितंत्र के घटक
किसी क्षेत्र के सभी जीवधारी तथा वातावरण में उपस्थित अजैव घटक संयुक्त रूप से पारितंत्र (Ecosystem) का निर्माण करते हैं। पारितंत्र जैविक व अजैविक घटकों से मिलकर बनी हुई एक रचना होती है।
- पारिस्थितिकी तंत्र जीवमंडल में एक सुनिश्चित क्षेत्र धारण करता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र एक कार्यशील क्षेत्रीय इकाई है।
- पारिस्थितिकी तंत्र एक खुला तंत्र होता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक संसाधन होते हैं अर्थात इसकी अपनी उत्पादकता होती है।
जीवमण्डल में उपस्थित सभी संघटको के वे समूह जो पारस्परिक क्रिया में सम्मिलित होते है पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते है और जीव विभिन्न प्रकार के जीवमण्डल का निर्माण करते है।
एक ही वर्ग के जीवों की संख्या को उनकी जनसंख्या कहा जाता है । दो या दो से ज्यादा वर्गों की जनसंख्या को मिलाकर एक समुदाय का निर्माण होता है और ऐसे बहुत समुदाय मिलकर एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते है ।
पारिस्थितिकी तंत्र के घटक
जैविक घटको को दो प्रमुख भागो में विभाजित किया जाता है
- स्वपोषित संघटक– स्वपोषित संघटक वे घटक होते है जो प्रकाश संश्लेषण ओर रसायन संश्लेषण के द्वारा अपना भोजन स्वम् बनाते है ।अर्थात जो अपना भोजन स्वम् निर्मित करते है उन्हें हम स्वपोषित संघटक की श्रेणी में रखते है ।
- परपोषित संघटक– परपोषित संघटक वे घटक होते है जो प्रथम उपभोक्ता (स्वपोषित संघटक) द्वारा उतपन्न तत्व से अपना भोजन तैयार करते है उन्हें हम परपोषित संघटक कहते है इन्हें ही हम द्वितीय उपभोक्ता कहते है ।
पारिस्थितिकी तंत्र को मुख्यत दो भागों में रखा गया है स्थलीय ओर जलीय तंत्र । घास स्थल,वन,मरुस्थल आदि स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र के उदाहरण है और जलीय परि० में झील,नदियां ओर समुद्र आते है।
हमारी पृथ्वी के लगभग 71%भाग पर जल है अतः यह तंत्र विश्व का सबसे बड़ा तंत्र है समुद्री पारिस्थितिकी एक स्थिर तंत्र है । समुद्री जल खारा ओर आक्सीजन घुलित,प्रकाश व तापमान के स्थिर होने के कारण यह स्थिर है ।
पारिस्थितिकी असन्तुलन कैसे रोके
असन्तुलन का प्रमुख कारण वनों की कटाई (लकड़ी काटना) है आज के समय वनों के भूमि को कृषि भूमि में परिवर्तित कर दिया गया है ,जंगलो को काट कर आबादी बाला क्षेत्र बनता जा रहा है ,कागज वनाने के लिऐ सर्वाधिक लकड़ी का इस्तेमाल किया जा रहा है ऐसे बहुत से कारण है जो परि०तंत्र के असन्तुलन का कारण बने हुये है और भारत मे तंत्र के असन्तुलन का मुख्य कारण वनोन्मूलन है ओर अन्य कारणों में वर्षा, अकाल,बाढ़ आते है। हमे प०सन्तुलन बनाये रखने के लिये जलप्रबंधन ,वनरोपण,वन्यजीव सुरक्षा ओर वनों की कटाई पर रोक लगानी चाहिए
खाद्य श्रंखला
किसी भी पारिस्थितिकी तंत्र में संचालन के लिये ऊर्जा की आवश्यकता होती है और जीवो में ऊर्जा खाद्य पदार्थो के माध्यम से पहुँचती है । ऐसे पदार्थ जिनके ग्रहण करने के पश्चात जीवो में ऊर्जा उत्पन्न होती है उन्हें हम खाद्य कहते है । पौधे अपना भोजन स्वम् बनाते है लेकिन जीव जंतु मुख्य रूप से पौधों पर निर्भर रहते है ।
जीवो द्वारा ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है उदाहरण के लिये – घास को एक टिड्डा खायेगा ओर टिड्डे को मेढक खायेगा तथा मेढक को सर्प खायेगा इसमे-
- उत्पादक – घास
- प्राथमिक उपभोक्ता – टिड्डा
- द्वितीय उपभोक्ता – मेढक
- तृतीय उपभोक्ता – सर्प
उत्पादक की श्रेणी में – पेड़ पौधे आते है।
उपभोक्ता की श्रेणी में – जानवर,मनुष्य आदि आते है ।
अपघटक – कवक ओर जीवाणु
पेड़ पौधे जीव जंतु अपनी आवश्यकता के अनुसार एक दूसरे पर निर्भर है जैविक घटको में हरे पेड़ पौधे उत्पादक घटक के अंतर्गत आते है यह सूर्य के प्रकाश से अपना भोजन स्वम् बनाते है इसलिए इन्हें स्वपोषित कहा जाता है
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