Intelligence बुद्धि एक मानसिक शक्ति है जो व्यक्ति के तथ्यों को समझने,समस्या समाधान करने या तर्क वितर्क करने में ज्ञान प्राप्त कराती है । बुद्धि का प्रयोग करके ही व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान करता है बुद्धि हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है । सामान्य भाषा मे बुद्धि का अर्थ बिल्कुल साधरण सा प्रतीत होता है । सामान्य व्यवहार में अपनी समझ प्रकट करने को हम बुद्धि कह सकते है । लेकिन मनोविज्ञान में बुद्धि का अर्थ तर्क पूर्ण है जो-
Intelligence- बुद्धि का अर्थ,परिभाषा,मापन विधि और बुद्धि के 10 सिद्धान्त Trick CTET/UPTET 2022-23 Notes
- Advertisement -

Intelligence- बुद्धि का अर्थ
बुद्धि एक ऐसा सामान्य (Common) शब्द है जिसका प्रयोग दिन प्रतिदिन की भाषा में काफी किया जाता है। तेज गति से सीखने, अच्छी, स्मरण शक्ति, तार्किक क्षमता होने आदि के लिए हम सामान्यतः ‘बुद्धि‘ शब्द का प्रयोग करते हैं। परन्तु मनोवैज्ञानिकों द्वारा ‘बुद्धि’ का विस्तार से अध्ययन करने की कोशिश की गई है। सबसे पहले बोरिंग (Boring, 1923) ने बुद्धि की एक औपचारिक परिभाषा दी, जो इस प्रकार है
“बुद्धि परीक्षण जो मापता है, वही बुद्धि है।” (Intelligence is what intelligence test measures)
बोरिंग के बाद अनेक मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि को अलग-अलग प्रकार से परिभाषित करने की कोशिश की जो कि हम अपने आर्टिकल में बताएंगे
Intelligence-बुद्धि की प्रमुख परिभाषाएं
अलग-अलग मनोवैज्ञानिको ने बुद्धि की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से दी है-
- Advertisement -
टर्मन (Terman) — “बुद्धि अमूर्त विचारों के बारे में सोचने की योग्यता है।”
वुडरो (Woodrow) — “बुद्धि, ज्ञान का अर्जन करने की क्षमता है।”
वुडवर्थ (Woodworth) — “बुद्धि, कार्य करने की एक विधि है।”
बिने (Binet) — ” बुद्धि इन चार शब्दों में निहित है-ज्ञान, आविष्कार, निर्देश और आलोचना।”
थॉर्नडाइक (Thorndike) — “गत/पूर्व अनुभवों से लाभ उठाने की क्षमता को ही बुद्धि कहते हैं।”‘सत्य या तथ्य के दृष्टिकोण से उत्तम प्रतिक्रियाओं की शक्ति ही बुद्धि 44 है ।”
कॉलविन (Colvin)– “यदि व्यक्ति ने अपने वातावरण से सामंजस्य करना सीख लिया है, या सीख सकता है, तो उसमें बुद्धि है।”
रायबर्न (Ryburn) — “बुद्धि वह शक्ति है जो हमको समस्याओं का समाधान करने और उद्देश्यों को प्राप्त करने की क्षमता देती है।”
बकिंघम (Buckingham) – “सीखने की शक्ति ही बुद्धि है।”
गाल्टन (Galton)—”बुद्धि पहचानने तथा सीखने की शक्ति है।”
स्टर्न (Stern) – “बुद्धि एक सामान्य योग्यता है जिसके द्वारा व्यक्ति नई परिस्थितियों में अपने विचारों को जानबूझकर समायोजित करता है। “
कोलेसनिक (Kolesnik) — “बुद्धि कोई एक क्षमता या योग्यता नहीं है जो सब परिस्थितियों में समान रूप से कार्य करती है, वरन् अनेक विभिन्न योग्यताओं का योग है।”
वेश्लर (Wechsler) — “बुद्धि एक समुच्चय या सार्वजनिक क्षमता है। जिसके सहारे व्यक्ति उद्देश्यपूर्ण क्रिया करता है, विवेकशील चिंतन करता है तथा वातावरण के साथ प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है।”
बुद्धि की विशेषताएं ( Characteristics of intelligence )
- बुद्धि एक जन्मजात शक्ति है।
- बुद्धि पर वंशानुक्रम व वातावरण दोनों का प्रभाव पड़ता है।
- बुद्धि द्वारा व्यक्ति अपने पूर्व अनुभवों से लाभ प्राप्त कर पाता 1 4. 4.बुद्धि व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों तथा जटिल समस्याओं का समाधान करने में मदद करती है।
- बुद्धि व्यक्ति को नई चीजें/कार्य सीखने में सहायता करती है। 6. बुद्धि के कारण व्यक्ति नवीन परिस्थितियों से सामंजस्य कर पाता है।
- बुद्धि पर लिंग-भेद (sex discrimination) का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- कोल एवं ब्रूस (Cole and Bruce) के अनुसार- “लिंग-भेद के कारण बालकों और बालिकाओं की बुद्धि में बहुत ही कम अन्तर होता
बुद्धि के प्रकार ( Types of Intelligence )
Intelligence- बुद्धि का अर्थ,परिभाषा,मापन विधि और बुद्धि के 10 सिद्धान्त CTET/UPTET 2022-23 PDF
बुद्धि का विभाजन कर उसके प्रकार बताना एक कठिन कार्य है, फिर भी कुछ मनोवैज्ञानिकों द्वारा यह प्रयास किया गया है। इनमें से थॉर्नडाइक (Thorndike) द्वारा प्रस्तुत किया गया वर्गीकरण इस प्रकार है
1.यांत्रिक बुद्धि | इस बुद्धि की सहायता से व्यक्ति यंत्रों तथा भौतिक वस्तुओं का परिचालन करता है। इस बुद्धि को मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) तथा गामक बुद्धि (Motor Intelligence) भी कहा जाता है। |
2.अमूर्त बुद्धि | अमूर्त बुद्धि का सम्बन्ध प्रतीकों, चिह्नों एवं संकेतों आदि के आधार पर समस्या के समाधान खोजने से है। अमूर्त बुद्धि का सम्बन्ध पुस्तकीय ज्ञान को अर्जन करने के लिए अधिक होता है। |
3.सामाजिक बुद्धि | इस बुद्धि का सम्बन्ध व्यक्तिगत और सामाजिक कार्यों से होता है। जिस व्यक्ति में यह बुद्धि अधिक होती है, वह मिलनसार तथा सामाजिक कार्यों में रुचि लेने वाला होता है। |
बुद्धि के इन तीन प्रकारों के बीच कोई स्पष्ट रेखा नहीं है। ऐसा नहीं है कि जिसमें सामाजिक बुद्धि अधिक होगी, उसमें मूर्त बुद्धि तथा अमूर्त बुद्धि कम होगी और मूर्त बुद्धि अधिक होगी तो अमूर्त बुद्धि तथा सामाजिक बुद्धि कम होगी।
बुद्धि के सिद्धान्त (Theories of Intelligence)
बुद्धि की व्याख्या करने के लिये मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि के अलग-अलग सिद्धान्त प्रस्तुत किये गये है जो निम्नलिखित है-
एक-कारक सिद्धांत (Uni-factor theory)
इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि में केवल एक प्रतिभात्मक क्षमता सम्मिलित होती है जो व्यक्ति की सभी क्रियाओं में विद्यमान होती है। अतः इस सिद्धांत का मत है कि जो व्यक्ति किसी एक क्षेत्र में (एक तत्व में) निपुण होता है, वह सभी क्षेत्रों/कार्यों में निपुण होगा। अतः यदि व्यक्ति में ‘बुद्धि’ का भंडार है तो वह उसे जीवन के किसी भी क्षेत्र में प्रयोग कर सकता है और सभी क्षेत्रों में एक समान सफलता प्राप्त कर सकता है।
बुद्धि के इस सिद्धांत को निरंकुशतावादी सिद्धांत (Absolute Theory) भी कहा जाता है। इस सिद्धांत का समर्थन बिने, स्टर्न, टर्मन, जॉनसन आदि द्वारा किया गया। इन मनोवैज्ञानिकों के बाद के मनोवैज्ञानिकों ने माना कि जीवन की वास्तविक स्थितियों में इस सिद्धांत द्वारा प्रस्तुत धारणा ठीक नहीं बैठती।अतः एक कारक सिद्धांत की मान्यता अब नहीं है।
द्वि-कारक सिद्धांत/ द्वितत्व सिद्धांत (Two-factor Theory)
इस सिद्धांत का प्रतिपादन ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक स्पीयरमैन (Spearman) ने 1904 में किया। उन्होंने कारक विश्लेषण (factor analysis) की प्रविधि का प्रयोग किया और बताया कि बुद्धि की संरचना में मूलतः दो कारक निहित होते हैं –
(i) सामान्य कारक (General factor or G – factor )
(ii) विशिष्ट कारक (Specific factor or S-factor)
स्पीयरमैन के अनुसार प्रत्येक प्रकार की क्रिया में एक सामान्य तत्व होता है जो सभी बौद्धिक क्रियाओं में विद्यमान रहता है और एक विशिष्ट तत्व होता है जो सभी क्रियाओं में विद्यमान नहीं रहता है।
समूह कारक सिद्धांत (Group-factor Theory) —
इस सिद्धांत का प्रतिपादन थर्सटन (Thurstone) द्वारा 1938 में किया गया। थर्सटन ने बुद्धि की व्याख्या कई कारकों के आधार पर की, न कि सिर्फ दो कारकों के आधार पर (जैसा स्पीयरमैन ने बताया था।) अतः स्पीयरमैन के द्वि-तत्व सिद्धांत को थर्सटन ने स्वीकार नहीं किया।
थर्सटन के अनुसार बुद्धि में मानसिक क्षमताओं के कई समूह होते हैं जिनमें हर समूह का अपना एक प्रधान कारक (common factor) होता है। ऐसे प्रधान कारक एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं। परन्तु, किसी एक प्रधान कारक के अंतर्गत आने वाली सभी मानसिक क्षमताएँ सहसंबंधित होती हैं।
थर्सटन ने सात प्रधान क्षमताओं (Primary mental abilities or PMA) के बारे में बताया। उन्होंने इन सात प्रधान मानसिक क्षमताओं को मापने के लिए एक परीक्षण माला बनाई जिसे ‘प्रधान मानसिक क्षमताओं का परीक्षण’ (Tests of Primary Mental Abilities) नाम दिया गया। ये सात प्रधान मानसिक क्षमताएँ निम्नलिखित हैं
- शाब्दिक अर्थ क्षमता
- शब्द प्रवाह क्षमता
- देशिक क्षमता
- आंकिक क्षमता
- तर्क क्षमता
- स्मृति क्षमता
- गति क्षमता
बहुकारक सिद्धांत (Multi-factor Theory)–
बहुकारक सिद्धांत में थॉर्नडाइक (Thorndike) तथा गिलफर्ड (Guilford) के सिद्धांतों है को रखा जाता है।
थॉर्नडाइक ने स्पीयरमैन के सिद्धांत को अस्वीकार करते हुए बताया कि बुद्धि सिर्फ दो कारकों के मिलने से नहीं बनी होती है, बल्कि बुद्धि की रचना बहुत से छोटे-छोटे तत्वों या कारकों के मिलने से होती है। प्रत्येक कारक/तत्व एक विशिष्ट मानसिक क्षमता (specific mental ability) का प्रतिनिधित्व करता है तथा एक-दूसरे से स्वतंत्र होता है। जैसे- अनेक ईंटों से मिलकर एक मकान का निर्माण होता है, वैसे ही बहुत से कारकों के आपस में मिलने से बुद्धि की रचना होती है।
बहुकारक सिद्धांत में थॉर्नडाक के सिद्धांत को एक पुराना सिद्धांत माना जाता है। गिलफोर्ड (Guilford) द्वारा प्रतिपादित त्रि-विमीय सिद्धांत (Three-dimensional Theory) या बुद्धि संरचना सिद्धांत (Structure of Intellect theory) को इस श्रेणी में अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
गिलफोर्ड (Guilford) ने अपना सिद्धांत 1967 में प्रतिपादित किया। उनका मानना था कि बुद्धि के सभी तत्वों को तीन विमाओं (dimensions) में बाँटा जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं –
- संक्रिया (Operation)
- विषय-वस्तु (Content)
- उत्पादन (Product )
पदानुक्रमिक सिद्धांत (Hierarchical Theory)–
बुद्धि का यह सिद्धांत बर्ट (Burt) तथा वर्नन (Vernon) द्वारा प्रस्तुत किया गया। इस सिद्धांत में बुद्धि की तुलना एक पिरामिड (Pyramid) से की गई जिसमें बुद्धि के अलग-अलग कारकों (factors) को एक पदानुक्रम (hierarchy) के रूप में समझाया गया है।

चित्रानुसार, पिरामिड के सबसे ऊपरी भाग में यानी पदानुक्रम में सबसे उच्च स्तर पर G-कारक को रखा गया है। ‘G’ कारक महत्त्वपूर्ण आधारभूत मानसिक योग्यता का प्रतिनिधित्व करता है, इसकी जरूरत सभी तरह के बौद्धिक कार्य करने में होती है।
पदानुक्रम के दूसरे स्तर पर दो विस्तृत समूह कारक (group factors) होते हैं- (i) शाब्दिक-शैक्षिक कारक (Verbal-educational factor a V:Ed) तथा (ii) व्यावहारिक-यांत्रिक कारक (Practical-mechanical fac tor or K:M)
तीसरे स्तर पर, इन दो प्रमुख समूह कारकों को अन्य छोटे-छोटे समूह कारकों (Miner-group factors) में बाँटा गया है जो गिलफोर्ड के कारक के समान है। बहु
अगले स्तर पर, इन लघु कारकों को भी कई विशिष्ट कारकों (S fac 1 tors) में बाँटा गया है। S-कारक, पदानुक्रम सिद्धांत में सबसे निचले स्तर पर होते है तथा इनके द्वारा ऐसी क्षमताओं का प्रतिनिधित्व किया जाता है जिनकी जरूरत सिर्फ किसी विशिष्ट मानसिक कार्य मे होती है ।
बहुखंडबुद्धि का सिद्धांत (Theory of Multiple Intelligence)—
बहु-बुद्धि का सिद्धांत गार्डनर (Gardner) द्वारा 1983 में अपनी पुस्तक (Frames of Mind : The Theory of Multiple Intelligence) (फ्रेम्स ऑफ माइंड : द थ्योरी ऑफ मल्टीपल इंटेलिजेंस) में दिया गया।
ठोस बुद्धि व तरल बुद्धि का सिद्धांत (Theory of Crystallized and Liquid Intelligence)
बुद्धि का यह सिद्धांत कैटेल (Cattell, 1971) तथा हॉर्न (Horn, 1985) ने प्रस्तुत किया। उन्होंने बुद्धि के दो प्रकार बताए— तरल बुद्धि तथा ठोस बुद्धि मॉडल भी कहा जाता है।
त्रितन्त्र सिद्धांत (Triarchic Theory )
इस सिद्धांत का प्रतिपादन स्टर्नबर्ग (Sternberg) ने 1985 में अपनी पुस्तक Beyond IQ(बियोण्ड आई क्यू) में किया है।
स्टनबर्ग के अनुसार बुद्धि अलग-अलग प्रकार के घटकों (Components) में बँटी होती है। व्यक्ति को वातावरण से जो सूचनाएँ प्राप्त होती हैं उन्हें वह संसाधित करता है और उसके आधार पर विवेचना करता है और समस्या का समाधान करता है। स्टर्नबर्ग ने बताया कि व्यक्तियों में तीन प्रकार की बुद्धि होती है, जो निम्नलिखित है
- विश्लेषणात्मक बुद्धि
- सर्जनात्मक बुद्धि
- व्यवहारिक बुद्धि
बुद्धि मापन
मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि का मापन बुद्धि परीक्षणों (Intelligence Tests) द्वारा किया जाता है। बुद्धि का पहला परीक्षण बिने (Binet) तथा साइमन (Simon) द्वारा 1905 में फ्रांस (France) में बनाया गया।
बुद्धि परीक्षणों की व्याख्या करने से पहले आवश्यक है कि इनसे सम्बन्धित दो प्रमुख संप्रत्ययों को समझा जाए (i) मानसिक आयु (ii) बुद्धि लब्धि
बुद्धि लब्धि= मानसिक आयु×100/ वास्तविक आयु
बुद्धि लब्धि का मान | श्रेणी या अर्थ |
140+ | प्रतिभाशाली |
120-139 | अतिश्रेष्ठ |
110-119 | श्रेष्ठ |
90-109 | सामान्य |
80-89 | मन्द |
70-79 | सीमांत मन्द |
60-69 | मन्द बुद्धि |
20-59 | हीन बुद्धि |
20 से कम | जड़ बुद्धि या मूर्ख |
- Q.बुद्धि के सिद्धांत याद करने की ट्रिक
- Q.गार्डन के बहुबुद्धि सिद्धांत में मुख्यतया किस बुद्धि पर जोर दिया
- Q.जॉन B केरल ने बुद्धि का कौन सा सिद्धांत दिया?
- Q.बुद्धि का साहचर्य सिद्धांत
- Q.बहू खंड बुद्धि का सिद्धांत
- इन सभी प्रश्नों के उत्तर हमारे आर्टिकल में है आप हमारे आर्टिकल का अध्ययन कीजिये
PDF Download Link
अगर आप बुद्धि के नोट्स की पीडीएफ प्राप्त करना चाहते है तो नीचे दिये हुये बटन पर क्लिक कर उसे डाऊनलोड कर सकते है।
बुद्धि से जुड़ी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी FAQs
1. किस मनोवैज्ञानिक के अनुसार बुद्धि कार्य करने की एक विधि है ?
वुडबर्थ
2. किस मनोवैज्ञानिक के अनुसार बुद्धि में दो तत्त्व होते हैं ज्ञान की क्षमता और निहित ज्ञान
हेनयान
3. बुद्धि एक तत्त्व सिद्धान्त के प्रतिपादक कौन थे ?
विलियम्स स्टर्न
4. बुद्धि परीक्षण का जनक किसे कहते है ?
बिने को
5. गेरिट के अनुसार बुद्धि कितने प्रकार की होती है ?
तीन प्रकार की
आशा करते है आपको हमारा यह लेख (बुद्धि का अर्थ,परिभाषा,मापन विधि और बुद्धि के 10 सिद्धान्त) पसन्द आया होगा अगर आप मिली हुई जानकारी से सन्तुष्ट है तो कॉमेंट के माध्यम से आप अपनी प्रतिक्रिया दे सकते है। धन्यवाद…