Computer in Hindi | What is Computer in Hindi : कंप्यूटर एक ऐसा यन्त्र है जो हमारे द्वारा दिये हुये इनपुट पर प्रोसेस कर हमें उसका आउटपुट ( परिणाम ) देता है, कंप्यूटर एक प्रोग्रामिंग मशीन है जो सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की मदद से कार्य करती है।
कंप्यूटर मनुष्य की जिंदगी का एक हिस्सा बन चुका है. आज के समय मे कंप्यूटर का प्रयोग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है. कंप्यूटर के प्रयोग से कार्य मनुष्य की अपेक्षा थोड़े से समय मे पूर्ण हो जाता है जिस कार्य को मनुष्य घण्टो या दिनों में पूरा करता है कंप्यूटर उसे सॉफ्टवेयर की मदद से सेकण्डों में या मिनटों में पूरा कर देता है।
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What is Computer in Hindi | कंप्यूटर क्या है
कम्प्यूटर एक ऐसी स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो हमारे द्वारा बताए गए प्रोग्राम के नियंत्रण में आँकड़ों का संसाधन तेजी से एवं परिशुद्धता से करते हुए उपयोगी सूचनाएँ प्रस्तुत करती है। निर्देशों के समूह को ‘प्रोग्राम’ कहा जाता । कोई भी समस्या जो क्रमिक कार्यविधि द्वारा हल की जा सकती है, वह कम्प्यूटर द्वारा भी हल की जा सकती है।
स्वचालन अति महत्त्वपूर्ण व्यवस्था है क्योंकि प्रोग्राम के माध्यम से दिए गए निर्देशों को स्वतः अनुपालना करते हुए गणितीय एवं तार्किक संक्रियाओं को निष्पादित करने की क्षमता के कारण ही कम्प्यूटर आज विशिष्ट श्रेणी का यंत्र हो गया है।
Computer को मानव ने बनाया है और यह लम्बे समय बिना थके बहुत सारा कार्य कर सकता है, जबकि ऐसा मानव नहीं कर सकता है, लेकिन इस विशेषता के साथ ही इसकी सबसे बड़ी कभी यह है कि यह मानव की तरह सोच नहीं सकता है।
Full Form Of Computer in Hindi | कंप्यूटर का फूल फॉर्म क्या है
Computer शब्द में आने वाले आठ अक्षरों में से प्रत्येक अक्षर का अलग-अलग अर्थ निकलता है, जिसे Computer की Full Form के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक अक्षर का अर्थ निम्न प्रकार से
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Word ( अक्षर ) | अंग्रेजी में अर्थ | हिंदी में अर्थ |
C | Commonly | आम तौर पर |
O | Operated | संचालित |
M | Machine | मशीन |
P | Particular | विशेष |
U | Used | प्रयुक्त |
T | Trade | तकनीक |
E | Education | शैक्षणिक |
R | Research | अनुसंधान |
- हिंदी में अर्थ – कंप्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है. जिसका इस्तेमाल आमतौर पर तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए किया जाता है.
- अंग्रेजी में अर्थ – Commonly Operated Machine Particular Used Trade Educatio Research
कम्प्यूटर की विशेषताएँ | Computer in Hindi | What is Computer in Hindi
- भण्डारण क्षमता :- कम्प्यूटर की उच्च भण्डारण क्षमता होती है इसमें किसी भी प्रकार का डेटा लम्बे समय तक स्टोर करके रख सकते हैं।
- कार्य करने की गति :- कम्प्यूटर के कार्य करने की गति बहुत तेज होती है। कम्प्यूटर के कार्य करने को गति को माइक्रो सैकेण्ड या नैनो सैकेण्ड में मापा जाता है।
- स्वचालित मशीन :- कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है। पुनरावृत्ति की क्षमता :- कम्प्यूटर कार्य ईमानदारी के साथ पूर्ण करता है तथा इसमें कार्य दोहराने की क्षमता है।
- शुद्धता :- कम्प्यूटर कभी भी गलती नहीं करता यदि इनपुट सही है तो आउटपुट सही होगा वह शत-प्रतिशत सही परिणाम देता है।
History of Computer of Hindi| कम्प्यूटर का इतिहास
Computer in Hindi | What is Computer in Hindi में कंप्यूटर के इतिहास को निम्नलिखित भागो में विभाजित किया जो इस प्रकार है।
Abacus (अबेकस )
लगभग 3000 वर्ष पूर्व एक चीनी वैज्ञानिक अबेकस ने विश्व का सबसे पहला गणक यंत्र बनाया, जिसे कि बाद में अबेकस के नाम से ही जाना गया। दिखने में बिल्कुल एक सामान्य प्रकार की लकड़ी की फ्रेम में मूँगे लगे वायर से बना होता है।
Pascal Calculating Machine
1642 में ब्लैज पास्कल ने एक मशीन का आविष्कार किया जिसे पास्कलाइन या पास्कल की कैल्कुलेटिंग मशीन के नाम से जाना गया। यह पहली सफल कैल्कुलेटिंग मशीन थी। वर्तमान समय में भी इसका उपयोग Automobile pump पर डेटा की गणना करने के लिये किया गया था।
Differential engine
सन् 1822 में चार्ल्स बैबेज नामक वैज्ञानिक ने इस यंत्र का आविष्कार किया था। इसके माध्यम से टेबल व बीजगणितीय व्यंजक का समाधान किया जा सकता था। Generation Of Computer in Hindi | Computer history in hindi – Computer GK
Analytical Engine
सन् 1834 में बैवेज द्वारा Differencial Engine में सुधार कर Analytical Engine तैयार किया गया।
इलैक्ट्रॉनिक गणना उपकरण (Electronic Computing Device)
1944 में Howard Aliken नामक वैज्ञानिक ने आई. बी. एम. • कंपनी के सहयोग से पहला इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिकल कम्प्यूटर बनाया, जो कि प्रोग्रामिंग के लिए एक उपयुक्त मशीन थी। इस मशीन के माध्यम से गणितीय एवं तार्किक क्रियाओं में भी अधिक सहयोग मिला था।
सन् 1946 में पहला Electronic Digital Computer Jhon Mauchly and Prespers Eckert नामक वैज्ञानिकों ने बनाया था। इस कम्प्यूटर में किसी भी प्रोग्राम को स्टोर रखने की सुविधा थी जिससे कि भविष्य में आने वाले कम्प्यूटर में और भी अधिक आधुनिकता लाई जा सके।
Generation of Computer of Hindi
Computer in Hindi | What is Computer in Hindi आर्टिकल के हम कंप्यूटर की सभी पीढ़ियों के बारे में विस्तार से जानेंगे समयानुसार कम्प्यूटर के विकास और उसके निर्माणक्रम में निरंतर परिवर्तन आता रहा और इसी कारण कम्प्यूटर की प्रत्येक जेनेरेशन में निरंतर विकास की क्रिया सतत् रही और आज तक 40 वर्षों के निरंतर क्रम से गुजरते हुए कम्प्यूटर विकास की चरम सीमा को छूता जा रहा है। इस समस्त विकास क्रम को कम्प्यूटर की अलग-अलग पीढ़ियों में विभक्त किया गया है, जो निम्न प्रकार से है-
First Generation (प्रथम पीढ़ी)
कम्प्यूटर की इस पीढ़ी का आरंभ सन् 1945 से 1959 के मध्य का माना जाता है। इस पीढ़ी में कम्प्यूटर में वेक्यूम ट्यूब का उपयोग किया जाता था। इस जेनेरेशन के प्रथम कम्प्यूटर का नाम ENIAC था, लेकिन ये आकार में अधिक वृहद होते थे और विद्युत का खर्च भी अधिक होता था।
Second Generation (द्वितीय पीढ़ी)
इस पीढ़ी का विकास काल सन् 1959 से 1965 के मध्य का माना जाता है। इस काल तक पहुँचते पहुँचते कम्प्यूटरों में वेक्यूम ट्यूब का स्थान ट्रांजिस्टरों ने ले लिया था।
ट्रांजिस्टर इस जेनेरेशन का मुख्य इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट था। (ट्रांजिस्टर सेमीकन्डक्टर मेटेरियल अर्थात् जरमेनियम व सिलिकॉन की धातु का बना होता है) इस जेनेरेशन में मेग्नेटिक टेप और मेग्नेटिक डिस्क को प्रमुख पेरीफेरिकल डिवाइसों के रूप में जाना जाता था। Generation Of Computer in Hindi | Computer history in hindi – Computer GK
इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों की स्पीड लगभग 1 माइक्रो सेकण्ड थी। इस पीढ़ी के कम्प्यूटर प्रथम पीढ़ी के मुकाबले आकार में अधिक छोटे थे तथा विद्युत भी 10 गुना कम खर्च करते थे।
Third Generation (तृतीय पीढ़ी)
इस पीढ़ी के कम्प्यूटरों का आविष्कार 1965 से 1970 के मध्य हुआ था। इस जेनेरेशन के कम्प्यूटरों में ट्रॉजिस्टर का स्थान आई. सी. (इंटीग्रेट सर्किट) ने ले लिया था। सर्किट्स, ट्रांजिस्टर रजिस्टर एवं केपेसिटर्स से मिलकर बना होता था और यह समस्त कम्पोनेन्ट उस सिलिकॉन चिप पर पाए जाते थे, जिसे कि आईसी के नाम से जाना जाता था।
इस जेनेरेशन के कम्प्यूटर को मिनी कम्प्यूटर भी कहते हैं। इस पीढ़ी में सेकेन्डरी स्टोरेज डिवाइस की केपेसीटी 100 एम.बी. हो गई। इसमें उच्च स्तरीय भाषा का भी प्रयोग किया गया था। प्रथम उच्च स्तरीय भाषा का नाम Fortran था।
Fourth Generation (चौथी पीढ़ी)
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर्स का विकास क्रम सन् 1971 से 1985 के मध्य में रहा। इस पीढ़ी की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्न प्रकार से हैं-
- (1) माइक्रो प्रोसेसर
- (2) मास स्टोरेज डिवाइस
- (3) इनपुट-आउटपुट डिवाइस और सेमी कंडक्टर मेमोरीज
- (4) नेटवर्क का विकास
- (5) MS DOS, MS विंडो का विकास
- (6) एप्पल ओपरेटिंग सिस्टम का विकास
इस जेनेरेशन का मुख्य कंपोनेंट्स माइक्रो प्रोसेसर है, जिसका आविष्कार सन् 1970 में हुआ। यह सिलिकॉन चिप का बना हुआ एक लार्ज स्केल आई.सी. है। चौथी जेनेरेशन में ऑप्टीकल रीडर, ऑडियो रेस्पान्स टर्मिनल एवं ग्राफिक डिस्प्ले टर्मिनल का विकास हुआ।
इस पीढ़ी में कम्प्यूटर के आकार व कीमत में कमी आई साथ ही तीव्र गति से डाटा प्रोसेसिंग का कार्य भी किया जाना संभव हुआ। विद्युत खर्च भी कम होने लगा।
Fifth Generation (पाँचवीं पीढ़ी)
पाँचवीं पीढ़ी का विकास 1989 से अब तक माना जाता है। पाँचवीं जेनेरेशन कम्प्यूटर की एक नई पीढ़ी है। इस जेनेरेशन के कम्प्यूटर में “कृत्रिम बुद्धिमता” का तथ्य भी पाया जाता है। यह तकनीक मानव मस्तिष्क के समान है। इस पीढ़ी में मुख्य उपलब्धियाँ निम्न हैं–
- (1) इंटरनेट, ई-मेल, www का विकास
- (2) मेग्नेटिक बबल मेमोरी से क्षमता बढ़ी
- (3) पोर्टेबल और डेस्कटॉप पीसी
Types of Computer in Hindi | कंप्यूटर के प्रकार
कंप्यूटर को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है 1 कार्य प्रणाली के आधार पर 2. आकार के आधार पर हम अपने आर्टिकल Computer in Hindi | What is Computer in Hindi में कंप्यूटर के प्रकार को विस्तार पूर्वक समझेंगे।
कार्य प्रणाली के आधार पर कंप्यूटर को तीन भागों में विभाजित किया जाता है।
एनालॉग कम्प्यूटर
इसमें विद्युत के एनालॉग रूप (भौतिक राशि जो लगातार बदलती रहती है जैसे तापमान, गति, विद्युत प्रवाह) का प्रयोग किया जाता है। इनकी गति अत्यंत धीमी होती है। अब इस प्रकार के कम्प्यूटर प्रचलन से बाहर हो गए हैं।
डिजिटल कम्प्यूटर
ये इलेक्ट्रॉनिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए द्विआधारी अंक पद्धति (Binary System) 0 या 1 का प्रयोग किया जाता है। इनकी गति तीव्र होती है। वर्तमान में प्रचलित अधिकांश कम्प्यूटर इसी प्रकार के होते हैं।
हाइब्रिड कम्प्यूटर
यह डिजिटल व एनालॉग कम्प्यूटर का मिश्रित रूप है। इसमें गणना तथा प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल रूप का प्रयोग किया जाता है, जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग संकेतों का उपयोग होता है। इस तरह के कम्प्यूटर का प्रयोग अस्पताल, रक्षा क्षेत्र व विज्ञान आदि में किया जाता है।
आकार के आधार पर कम्प्यूटर को चार भागों में बांटा गया है-
माइक्रो कम्प्यूटर
माइक्रो कम्प्यूटर का विकास सन् 1970 में हो गया था। माइक्रो प्रोसेसर लगे होने के कारण इन्हें माइक्रो कम्प्यूटर कहा गया। इस तकनीक वाले कम्प्यूटर आकार में छोटे, कीमत में सस्ते और क्षमता में पहले से बेहतर हैं। अभी तक हम जो भी पर्सनल कम्प्यूटर प्रयोग करते हैं, वह माइक्रो कम्प्यूटर के ही श्रेणी में आते हैं।
माइक्रो कम्प्यूटर में सबसे पहला सफल कम्प्यूटर पीसी एक्सटी था। जिसमें 8088 माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया था। इसमें 64 किलोबाइट (KB) रैम अर्थात् प्राइमरी मेमोरी और 10 मेगाबाइट (MB) वाली हार्डडिस्क को प्रयोग किया जा सकता था। बाद में इसकी मेमोरी प्रयोग करने की क्षमता एक मेगाबाइट हो गई। इस कम्प्यूटर में फ्लॉपी डिस्क का भी प्रयोग किया गया, जिसकी स्टोरिंग क्षमता 180-360 किलोबाइट तक थी।
मिनी कम्प्यूटर
माइक्रो कम्प्यूटरों के पश्चात मिनी कम्प्यूटरों का नम्बर आता है। यह कम्प्यूटर मेनफ्रेम कम्प्यूटरों से छोटे और पर्सनल कम्प्यूटरों से बड़े हैं। इन कम्प्यूटरों का प्रयोग बड़ी-बड़ी कंपनियां करती हैं और इन्हें विश्वसनीय माना जाता है। कीमत में यह माइक्रो कम्प्यूटर से बहुत महंगे हैं। इसलिए व्यक्तिगत रूप से इस्तेमाल संभव नहीं है।
मेनफ्रेम कम्प्यूटर
मेनफ्रेम कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग शक्ति मिनी कम्प्यूटरों से बहुत ज्यादा होती है और यह वैज्ञानिक कार्यों में या बहुत बड़ी व्यापारिक कम्पनियों द्वारा डेटा प्रोसेसिंग के संदर्भ में प्रयोग किए जाते हैं। इस कम्प्यूटर पर एक साथ बहुत से व्यक्ति अलग-अलग कार्य कर सकते हैं।
सुपर कम्प्यूटर
सुपर कम्प्यूटर अभी तक बनाए गए कम्प्यूटरों में से सबसे शक्तिशाली हैं और इसका प्रयोग हमारे देश में मौसम विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान में होता है हमारे देश में सुपर कम्प्यूटर बनाने वाली संस्था का नाम सीडॅक है।
इस संस्था ने परम 10000 के नाम से दुनिया का सबसे शक्तिशाली सुपर कम्प्यूटर बनाया है। सुपर कम्प्यूटर की डेटा प्रोसेसिंग की क्षमता इतनी तेज होती है कि यह एक सेकेंड में खरबों गणनाएं कर लेता है। आज हमारा देश भी सुपर कम्प्यूटर बनाने वाले देशों की श्रेणी में आता है।
कंप्यूटर की सामान्य बनावट | Basic Structure of Computer
Computer in Hindi | What is Computer in Hindi कंप्यूटर को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है 1. हार्डवेयर 2. सॉफ्टवेयर हम दोनों भागो पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Hardwar | हार्डवेयर
Input | इनपुट
In का अर्थ होता है “अन्दर” और Put का अर्थ होता है “रखना” अतः इनपुट का अर्थ हुआ डाटा या सूचना को कम्प्यूटर के अन्दर की ओर रखना और समस्त आँकड़ों व निर्देशों को कम्प्यूटर के अन्दर पहुँचाने के •लिए जिन उपकरणों का उपयोग होता है उन उपकरणों को इनपुट डिवाइस कहते हैं। इस तरह के डिवाइसेज को दो भागों में बाँटा जा सकता है। कुछ प्रमुख इनपुट साधन की बोर्ड, माउस, फ्लॉपी डिस्क, स्कैनर इत्यादि हैं।
की-बोर्ड : की-बोर्ड एक टाइपराइटर की तरह यंत्र होता है। प्रारंभ में पीसी एक्सटी के साथ जो की-बोर्ड प्रयोग किया जाता था उसमें 84 कीज़ (Keys) होती थी, लेकिन आजकल पेंटियम प्रोसेसर वाले कम्प्यूटरों के साथ जो की-बोर्ड इस्तेमाल करते हैं।
उसमें 104 और उससे भी ज्यादा एडवांस Keys वाले की-बोर्ड प्रचलन में हैं। की-बोर्ड की इन Keys में A से लेकर Z तक अल्फाबेटिक, 0 से 9 अंकों वाली न्यूमेरिक कीज़, प्लस, माइनस और भाग देने वाले चिह्नों से युक्त अर्थमेटिक कीज़, एंटर, स्कैप और स्पेसबार जैसी स्पेशल Keys, F 1 से F 12 तक Function keys, चारों तरफ तीर के निशान वाली arrow keys तथा Home, End, Insert, Page Up, Page Down, Delete, Print screen, scroll lock, pause break आदि शामिल हैं।
की-बोर्ड एक लंबी तार के द्वारा सीपीयू से जुड़ा रहता है। हालांकि अब बिना तार के रिमोट से चलने वाले की-बोर्ड भी बाजार में उपलब्ध हैं।
माउस : माउस एक चूहे के आकार का छोटा यंत्र है, जो एक तार या रिमोट के माध्यम से सीपीयू से जुड़ा रहता है। माउस के नीचे एक बॉल होती है, जिसके घूमने पर माउस का प्रतीक चिह्न जिसे माउस पॉइंटर या संकेतक कहते हैं।
जो स्क्रीन पर घूमता है। आजकल माउस में बॉल की जगह प्रकाश की सहायता से चलने वाले माउस का उपयोग बढ़ गया है, जिसे ऑप्टिकल माउस कहते हैं। बिना तार के रिमोट से चलने वाले माउस का भी प्रचलन बढ़ने लगा है।
स्कैनर स्कैनर अनिवार्य भागों की श्रेणी में नहीं आता है, जिसे जरूरत पड़ने पर अलग से जोड़ा जाता है। स्कैनर के द्वारा किसी भी दस्तावेज को फोटो के रूप में कम्प्यूटर में इनपुट कर सकते हैं। स्कैनर से किसी हाथ से लिखे दस्तावेज को कम्प्यूटर में इनपुट कर सकते हैं और बाद में उसे प्रोसेस करके मनचाहा परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। यह सीपीयू की पोर्ट से जुड़ा रहता है।
वेब कैमरा आजकल इंटरनेट का चलन लगातार बढ़ रहा है. जिससे नई ऐक्सेसरीज बाजार में आ रही है। इसी नई तकनीकी के तहत अब वेब कैमरा बाजार में आ गया है।
इस कैमरे के प्रयोग से कम्प्यूटर में फिल्म इनपुट करने से लेकर दूर बैठे व्यक्ति से इस तरह से बात कर सकते हैं, जैसे वह आपके सामने बैठा हो। वेब कैमरे को कम्प्यूटर की यूएसबी पोर्ट में लगाते हैं। इसके बाद जब कम्प्यूटर में इंस्टॉल हो जाता है, तो इंटरनेट से फोन करते समय इसका प्रयोग लाइव वीडियो कैमरे की तरह से कर सकते हैं।
जॉय स्टिक:- यह इनपुट डिवाइस है जिसका उपयोग वीडियो तथा गेम खेलने में किया जाता है कार्य प्रणाली ट्रैक बॉल की तरह होती है।
ट्रैकबॉल – यह माउस का ही एक विकल्प है। इसके ऊपर एक बॉल होता है जिसे हाथ से घुमाकर पोइंटर की दिशा में परिवर्तन किया जाता है। मुख्यतः इसका उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है
माइक्रोफोन-इस इनपुट डिवाइस का प्रयोग किसी भी आवाज को रिकॉर्ड करने में होता है
बारकोड रीडर यह point of sales डेटा रिकॉर्डिंग है आजकल पोस्ट ऑफिस सुपर मार्केट में मूल्यों तथा अपडेट करने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। सामान के ऊपर जो सफेद और ‘काली लाइन बनी होती है, वह बार है।
जिसे बार कोड रोडर जो एक स्कैनिंग डिवाइस होता है के द्वारा स्कैन कर डिजिटल रूप में कम्प्यूटर में भेजा जाता है। आजकल बार कोड रीडर का उपयोग पुस्कालय, बैंक में भी किया जाता है।
ओ सी आर ( OCR-Optical Characters Recognition )- यह टाइप या हाथ से लिखे हुऐ डेटा को पढ़ सकता है। यह प्रिन्टेड डाटा या हस्तलिखित डेटा को ASCII में रूपान्तरित कर देता है। इसका उपयोग कागजी रिकॉर्ड को electric filing तथा स्कैन चालान को स्पेडशीट में परिवर्तित करने में होता है
एम आई सी आर (Magnetic Ink Character Recogni- tion)- खास चुम्बकीय स्याही से लिखे अक्षरों या डाक्यूमेंट को इसके द्वारा पढ़ा जाता है या कम्प्यूटर में संग्रह किया जाता है बैंकों में इस तकनीक का व्यापक उपयोग होता है।
चुम्बकीय स्याही और विशेष फोन्ट का संयोजन से प्रति घंटे हजारों चैक स्केन किये जा सकते हैं। इसमें समय की बचत होती है व तीव्र गति से कार्य किया जा सकता है।
ओ एम आर (Optical Mark Recognition) :- यह एक इनपुट डिवाइस है इसके द्वारा फॉर्म या कार्ड पर विशिष्ट स्थानों पर डाले गये चिह्नों को पढ़ा जाता है। इसका उपयोग लॉटरी टिकट, ऑफिसियल फोर्म तथा वस्तुनिष्ठ उत्तर पुस्तिकाओं को जाँचने में होता है।
टच स्क्रीन – यह एक इनपुट डिवाइस है। जब हम इस स्क्रीन को स्पर्श करते हैं तो यह पता लगा लेता है कि हमने इसे कहां स्पर्श किया है।
Output | आउटपुट
जिन उपकरणों की सहायता से इनपुट किये गये डाटा का परिणाम प्राप्त किया जाता है उन्हें आउटपुट डिवाइस कहते हैं। जब एक बार कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग पूर्ण हो जाती है, तो इसके बाद इनपुट किया गए डाटा आउटपुट हेतु भेज दिये जाते हैं।
आउटपुट का सबसे अधिक व सरल और हर जगह पाया जाने वाला साधन है वीडीयू (Visual Display unit) यह दिखने में टी.वी. के जैसा होता है। आउटपुट में मॉनीटर, प्रिंटर, स्पीकर, आदि उपकरण शामिल हैं।
मॉनिटर या वीडीयू : टीवी की तरह दिखने वाला मॉनिटर कम्प्यूटर को भेजे जाने वाले और दर्शाए जाने वाले समस्त संदेशों या रिपोर्टों को हमें स्क्रीन पर दिखाता है। पहले ब्लैक एंड व्हाइट मॉनिटर चलते थे, लेकिन वर्तमान में हर जगह रंगीन व व LCD मॉनिटरों का ही प्रचलन है।
प्रिन्टर : प्रिंटर मॉनीटर के बाद प्रमुख आउटपुट उपकरण है। कम्प्यूटर में स्टोर सूचनाओं को प्रिंटर के द्वारा ही कागज पर प्रिंट करके देख सकते हैं।
ग्राफ प्लॉटर : ग्राफ प्लॉटर वह आउटपुट उपकरण है जो किसी भी प्रकार के ग्राफ, डिजाइन, छायाचित्र तथा रेखा चित्र आदि को प्रिंट करने में प्रयुक्त किया जाता है। इसकी सहायता से सभी चित्र प्रिंटर की तुलना में उच्च कोटि की शुद्धता से प्राप्त किये जाते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं- (1) ड्रम प्लोटर (2) फ्लेट प्लोटर
Software | सॉफ्टवेयर
वे समस्त प्रोग्राम जो कि कम्प्यूटर पर चलाए जाते हैं, उन्हें सॉफ्टवेयर के नाम से जाना जाता है। जिनके माध्यम से कम्प्यूटर पर कार्य विशेष सम्पन्न किये जाते हैं। सॉफ्टवेयर का प्रमुख कार्य होता है हार्डवेयर और यूजर के बीच में मध्यस्थता स्थापित करना । सामान्यतः सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं-
(1) System Software: कम्प्यूटर सिस्टम से संबंधित सॉफ्टवेयर को सिस्टम सॉफ्टवेयर कहते हैं। इन सॉफ्टवेयर के उपयोग से कम्प्यूटर विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन करता है। ये समस्त प्रोग्राम मशीनी लेंग्वेज में लिखे जाते हैं।
(2) Application Software Users की एप्लीकेशन से संबंधित सॉफ्टवेयर को एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहते हैं। यह प्रोग्राम या सॉफ्टवेयर यूजर की विशेष समस्याओं या कार्यों के समाधान से संबंधित होते हैं। यह प्रोग्रामर द्वारा तैयार किये जाते हैं। यह प्रोग्राम पैरोल, इन्वेन्टरी, कॉन्ट्रोल व ऑडिटिंग आदि कार्य करता है। यह प्रोग्राम हाई लेवल की लैंग्वेज में लिखे जाते हैं।
(3) Programming Software : कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने में एक प्रोग्रामर की सहायता करने के लिए एक उपकरण प्रदान करता है। जैसे – कम्पाइलर, डि- बगर, पाठ संपादन, इन्टरप्रेटर आदि ।
प्रोग्राम में त्रुटि जिसमें गलत या अनुपयुक्त परिणाम उत्पन्न होते हैं उसे बग कहते हैं ज्ञात सॉफ्टवेयर बग के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध छोटा प्रोग्राम जो निःशुल्क रिपेयर करता है, उसे पैच कहते हैं साफ्टवेयर कोड में बग ढूँढने की प्रक्रिया को डीबगिंग कहते हैं।
CPU | सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट | Computer in Hindi | What is Computer in Hindi
सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) के तहत कम्प्यूटर में फ्लॉपी डिस्क, सीडी राइटर, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, मेमोरी जैसे प्रमुख तत्व सिमटे रहते हैं। यह कम्प्यूटर का सबसे महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें इनपुट और आउटपुट के अलावा सभी सहायक उपकरण इसी से जुड़कर कार्य करते हैं।
यह अनुदेशों को क्रियान्वित करने के लिए उन्हें पढ़ता है, व्याख्या करता है, नियंत्रण करता है और संगणना करता है। इसमें दो पृथक-पृथक उप-इकाइयाँ सम्मिलित होती हैं। इसका मुख्य कार्य इन्स्ट्रक्शन को एक्जीक्यूट करना होता है।
इन्स्ट्रक्शन्स के एक्जीक्यूटिव के दौरान इन्फोरमेशन की विभिन्न इकाइयाँ अस्थायी रूप से विशेष सर्किट पर स्टोर रहती हैं, जिसे रजिस्टर के नाम से जाना जाता है। रजिस्टर एक बाइनरी फंक्शन होता है, जो कि डिजिटल रूप में स्टोर रखने का कार्य करता है। इसके तीन भाग होते हैं-
कन्ट्रॉल यूनिट यह कम्प्यूटर की सम्पूर्ण कार्यविधि का संचालन करती है। यह मेमोरी से प्रोग्राम पढ़ती है उनकी व्याख्या करती है। मेमोरी से इंस्ट्रक्शन प्राप्त कर प्रोसेसर उन्हें इन्स्ट्रक्शन रजिस्टर में भेजता है। फिर डिकोड करता है। डिकोड के अन्तर्गत आवश्यक ऑपरेशन को करवाने के लिए ये छोटे माइक्रो ऑपरेशन को जेनरेट करता है। इस
कार्य को करने के लिए हार्डवेयर सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है। वह कन्ट्रॉल यूनिट जो कि कन्ट्रॉल सिग्नल जेनरेट करने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है, उसे माइक्रो प्रोग्राम कन्ट्रॉल यूनिट कहते हैं और वह सीपीयू जो कि कन्ट्रॉल सिग्नल्स जेनरेट करने के लिए हार्डवेयर का उपयोग करती है, उसे हार्डवेयर कन्ट्रॉल यूनिट कहते हैं।
ए.एल.यू. (A. L. U.) : इसका पूरा नाम Arithmatic and Logic unit है। इस यूनिट का मुख्य कार्य होता है कम्प्यूटर में समस्त गणितीय व तार्किक कार्यों को सम्पादित करना अर्थात् कम्प्यूटर में किसी भी प्रकार का गणितीय या तर्क से युक्त कार्य यूजर द्वारा किया जाता है, तो उस समय इस यूनिट का उपयोग होता है। प्रोसेसिंग के समय इस इकाई और स्टोरेज इकाई के मध्य डाटा प्रवाहित होता है।
Memory storage Location: कम्प्यूटर की मैन मेमोरी यूनिट में डाटा इन्फोरमेशन को स्टोर रखने के लिए सेल्स पायी जाती हैं, जिन्हें स्टोरेज लोकेशन के नाम से जाना जाता है। स्टोरेज लोकेशन की कुल संख्या को मेमोरी केपेसीटी कहा जाता है।
प्रत्येक स्टोरेज में स्टोरेज लोकेशन में निश्चित संख्या में डाटा व इन्फोरमेशन रखी जाती है। कम्प्यूटर की मेमोरी इकाई बाइट, किलोबाइट, मेगाबाइट और गिगाबाइट हो सकती है। मैमोरी की यूनिट्स के प्रकार निम्न रूप से हैं।
8 Bit | 1 Byte |
1024 Bytes | 1 Kilo byte |
1024 Kilo bytes | 1 Mega byte |
1024 Mega bytes | 1 Giga byte |
1024 Giga bytes | 1 Tera byte |
Memory | मेमोरी | Computer in Hindi | What is Computer in Hindi
मेमोरी के दो प्रकार होते हैं- (1) प्राथमिक मेमोरी या मुख्य मेमोरी (Primary Memory or Main memory) (2) द्वितीयक मेमोरी (Secondary Memory) हम दोनों प्रकार की मेमोरी को विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे।
Main Memory (मुख्य मेमोरी)
यह प्रत्येक कम्प्यूटर का मुख्य भाग होती है इसके अभाव में कम्प्यूटर पर कार्य कर पाना संभव नहीं है। इसका कार्य होता है डाटाओं तथा सूचनाओं अथवा निर्देशों को संग्रहित करना। यह Bit (बिट) के रूप में स्टोर Store होती है।
Bit का पूरा नाम Binary Digit होता है। एक बिट का मान 0 या फिर 1 होता है। यद्यपि बिट मेमोरी की इकाई है परंतु फिर भी इसका उपयोग मेमोरी नापने के लिये नहीं किया जाता है। इसका कारण इसका छोटा होना है।
कम्प्यूटर जो भी सूचना संग्रहित करता है। वह 0 व 1 में होती हैं परंतु मानव के लिए यह बहुत कठिन होता है कि वह भी सारी सूचनाएँ बिट के रूप में ही दे ।
अतः हमारे द्वारा कम्प्यूटर में जो भी इनपुट किया जाता है वह उपयोगकर्त्ता की भाषा में लिखा होता है और कम्प्यूटर उसे अपनी भाषा में परिवर्तन कर समझ लेता है। इस हेतु कई मानक कोडिंग विधियाँ विश्व भर में लागू हैं।
मुख्य मेमोरी को दो भागों में बाँटा गया है-
(1) RAM (रैम)
इसका पूरा नाम होता है Random Access Memory यह कम्प्यूटर में अस्थाई होती है तथा विद्युत के चले जाने पर या कम्प्यूटर के बंद हो जाने पर इसमें रखे हुए डाटा स्वतः ही समाप्त जाते हैं। जब भी हम कम्प्यूटर को ऑन करते हैं, तो यह खाली होती है।
यूजर द्वारा जो भी डाटा व प्रोग्राम बनाए जाते हैं वह सभी रैम में ही संग्रहित रहते हैं। सामान्य रूप से किसी भी पीसी में उपयोग में आने वाली रैम की क्षमता 640 केबी होती थी, परंतु वर्तमान समय में कम्प्यूटर में आए तीव्र विकास के कारण आज रैम की क्षमता में कई गुना वृद्धि हो गयी है। वर्तमान समय में 64, 128,256, 512 एमबी व इससे भी अधिक तीव्र गति वाली रैम 1 जीबी का भी उपयोग होने लगा है।
रैम भी दो प्रकार की होती है-
(i) स्टेटिक रैम SRAM यह सूचनाओं को बाइनेरी रूप में अनंत समय तक संग्रहित रखती है।
(ii) डायनेमिक रैम DRAM :यह रैम बाइनेरी सूचनाओं को संग्रहित रखने के लिए Traditional flip flop logic gate configuration का उपयोग करती है।
यह डाटाओं को तब तक संग्रहित रखती है, जब तक कि पॉवर ऑन रहता है। इसमें स्टोर सूचनाएँ कुछ समय बाद स्वतः ही समाप्त या नष्ट हो जाती हैं।
(2) ROM (रोम)
इसका पूरा नाम होता है Read Only Memory यह एक नॉन वोलाटाइल मेमोरी है। जब कभी विद्युत चली जाती है या कम्प्यूटर अचानक बन्द हो जाता है. तो भी इसमें रखे हुए डाटा समाप्त नहीं होते हैं। यह मदर बोर्ड के ऊपर एक सिलिकॉन की चिप होती है।
कम्प्यूटर का स्विच ऑन करते ही रोम में संग्रहित प्रोग्राम स्वतः क्रियान्वित हो जाता है व स्विच ऑफ करने के बाद भी इसमें प्रोग्राम नष्ट नहीं होते। यह तीन प्रकार की होती है-
- (i) PROM
- (ii) EPROM
- (iii) EEPROM
सेकेण्डरी मेमोरी | Secondary Memeory
इसे सहायक तथा बैकिंग स्टोरेज मेमोरी भी कहते है चूँकि मुख्य मेमोरी अस्थाई तथा सीमित क्षमता वाली होती है इसलिए द्वितीयक मेमोरी को बड़ी मात्रा में स्थायी डेटा मेमोरी के रूप में इस्तेमाल करते है इसका उपयोग डाटा बैकअप के लिए किया जाता है CPU को वर्तमान में जिस डेटा की आवश्यकता नहीं होती है उसे द्वितीयक मेमोरी में संग्रह किया जाता है इसके मुख्य उदाहरण मैग्नेटिक टेप, मैग्नेटिक डिस्क, हार्ड डिस्क, सीडी रॉम, सीडी-आर, मैग्नेटिक टेप, फ्लॉपी डिस्क, डी वी डी, पेन ड्राइव, फ्लैश मेमोरी आदि हैं।
हार्ड डिस्क | Hard Disk
हार्ड डिस्क सीपीयू के अंतर्गत लगी डेटा स्टोर करने की एक डिवाइस होती है। चौकोर आकार और करीब एक इंच मोटे डिब्बे के अनुसार दिखाई देती है। इसमें एक सीडी की तरह गोल प्लेट घूमती रहती है, जिसके अंदर लगे हैड डेटा लिखने और मिटाने का कार्य करते हैं। इसका संचालन मदरबोर्ड से होता है।
फ्लॉपी | Floppy
ये मुख्यतः तीन आकारों 8 इंच, 5.25 इंच और 3.5 इंच में आता है। धूल या खरोंच से बचाने के लिए डिस्क प्लास्टिक के कवर में रखा जाता है को पढ़ने या लिखने के लिए कवर ऊपर बने छेद का उपयोग किया जाता है।
ज्यादातर डिस्क ड्राइव में रीड – राइट हेड डिस्क की सतह से भौतिक संपर्क में होते है जो पढ़ने तथा लिखने के बाद हट जाते हैं जिसके फलस्वरूप टेप को कोई नुन नहीं होता है इसमें डेटा वृत्ताकार ट्रैक पर लिखा जाता है। यह एक बाह्य मेमोरी है
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केच मेमोरी | Cach Memory
यह CPU तथा मुख्य मेमोरी के बीच का भाग है जिसका उपयोग बार-बार उपयोग में आने वाला डेटा और निर्देशों को संग्रहित करने में किया जाता है जिस कारण मुख्य मेमोरी तथा प्रोसेसर के बीच गति अवरोध दूर हो जाता है क्योंकि मेमोरी से डेटा पढ़ने की गति CPU के प्रोसेस करने की गति से काफी मन्द होता है।
Virus kya hai | वायरस
Computer in Hindi | What is Computer in Hindi : सर्वप्रथम सन् 1986 के दौरान पाकिस्तान के लाहौर निवासी दो भाइयों द्वारा पायरेटेड सॉफ्टवेयर के प्रयोग ने दक्षिण एशियाई देशों को पहली बार बगेन वायरस रूपी जिस खतरे से परिचित कराया, आज लगभग एक दशक बाद भी सूचना तंत्र के लिए वायरसों का अस्तित्व नासूर बन कर रह गया है।
सूचनाओं का नाश करने वाले वायरस मुख्यतः दो तरह से फैलता है- पहला वायरस से ग्रसित किसी फ्लॉपी का प्रयोग करने से बूट सेक्टर वायरस वास्तविक सूचना की जगह स्वयं आ जाता है। इस प्रक्रिया में वास्तविक सूचना को कहीं अन्यत्र भंडार कर लिया जाता है अथवा नष्ट तक हो जाता है।
पुनः कम्प्यूटर चलाने के साथ ही वायरस स्वयं रैम में छुपकर बाद वाले प्रायः सभी फ्लॉपी को नष्ट कर सकता है। इसके दूसरे प्रकार यानी कार्यक्रम आधारित वायरस एसवाईएस, इएक्सई, कॉम ओवरले, फाइल के लोड करते समय प्रभावित रहने पर प्रवेश कर मेमोरी में घुस जाते हैं। ये वायरस हर बार ऊपर वर्णित नाम वाले फाइल लोड करने के क्रम में ज्यादा उत्प्रेरित होते हैं।
वायरस के प्रमुख प्रकार
- वनहाक : हार्ड डिस्क को अपना शिकार बनाता है।
- मंकी : मुख्य बूट रिकॉर्ड पर घात लगाने वाला बेहद खतरनाक एवं तेजी से फैलने वाला वायरस हैं।
- डाईहार्ड : डॉस कार्यक्रम के पूर्व ग्राफिकल एस डब्ल्यू से इसकी पहचान होती है।
कम्प्यूटरों में एकत्रित सूचनाओं और जानकारियों को समाप्त करने के लिए एक विध्वंसात्मक इलेक्ट्रॉनिक कोड होता है जिसे कम्प्यूटर प्रोग्राम में मिला दिया जाता है। इस कोड से कम्प्यूटर में एकत्रित जानकारी नष्ट हो जाती है तथा गलत सूचनाएं मिल सकती हैं। इसे कम्प्यूटर प्रोग्राम में, किसी टेलीफोन लाइन से दुर्भावनावश प्रेषित किया जा सकता है।
इस विनाशकारी कोड को कम्प्यूटर वायरस कहते हैं। अब और भी अधिक विध्वंसकारी प्रोग्राम (Worm) चल पड़े हैं। कम्प्यूटर वॉर्म
ये कोड एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में उनके • इलेक्ट्रॉनिक रूप से जुड़ने पर पहुँच जाते हैं। ये महीनों, वर्षों तक बिना पहचाने ही कम्प्यूटर में पड़े रह सकते है। इनकी रोकथाम के लिए इलेक्ट्रॉनिक सुरक्षा-व्यवस्था विकसित की गई है।
माइकेल एंजेलो वायरस : यह अत्याधुनिक तकनीक के साथ जुड़ा है। मार्च, 1993 में समूचे विश्व में माइकेल एंजेलो (प्रसिद्ध चित्रकार) नाम का एक वायरस चिन्ता का कारण बना हुआ था। इसे माइकेल एंजेलो की 317 वीं जन्म तिथि पर 6 मार्च को संगणक निकायों पर आक्रमण करने के लिए प्रोग्राम तैयार किया गया था।
भारत में भी यह शीघ्र ही पहुँच गया था, किन्तु सॉफ्टवेयर अभियन्ताओं ने इसे आरम्भ में ही खोज कर नष्ट कर दिया। विशेष वायरस खोज प्रोग्रामों द्वारा इसका पता लगाया गया। बंगलौर की एक कम्पनी जो वायरस विरोधी प्रोग्रामों में विशेष दक्षता रखती है, ने माइकेल एंजेलो के निदान का मार्ग ढूंढा |
लव वायरस : 4 मई, 2000 को “आई लव यू’ (I love you) नामक कम्प्यूटर वायरस अचानक विश्व के लगभग 20 देशों में फैल गया। इसे “ई-मेल” (e-mail) को या तो नष्ट कर देता था या उसे विकृत कर देता था, फिर यह कम्प्यूटर में स्थित अनेक फाइलों को भी गायब कर देता था। इसका आतंक सा फैल गया था। सौभाग्य से भारत में इसका प्रभाव सीमित रहा। शीघ्र ही इस पर नियंत्रण स्थापित कर लिया गया।
वौबलर (Wobbler) : यह एक नया ई-मेल वायरस हैं. जिसे अगस्त 2000 में कैलिफोर्निया में संसूचित (detect) किया गया। यह ई-मेल संबंधी सम्पूर्ण सूचना को समाप्त कर सकने की क्षमता रखता है।
अब तक लगभग 22 प्रकार के कम्प्यूटर वायरस भारत में पाए गए हैं, जिनमें प्रथम ‘सी-ब्रेन’ नामक एक वायरस जो, 1988 में मद्रास में प्रकट हुआ। कुछ अन्य वायरस है- ‘डार्क एवेंजर’, ‘किलो’, ‘फिलिप’, आदि। कई ‘स्वदेशी’ वायरस भी मिलने लगे हैं, जैसे-चेंजू, मुंगू, ‘देसी’, ‘ब्लडी’, आदि।
Network kya Hai | नेटवर्क

Computer in Hindi | What is Computer in Hindi : नेटवर्क प्रणाली से तात्पर्य है कि दूर-दराज स्थित कम्प्यूटरों के मध्य सूचना का आदान-प्रदान करना । नेटवर्क को हम निम्न तरह से परिभाषित कर सकते हैं- “डाटा कम्युनिकेशन के लिये किसी भी तंत्र से जुड़े कम्प्यूटरों के समूह को कम्प्यूटर नेटवर्क कहते हैं।
आजकल इंटरनेट एक बहुप्रचलित शब्द है, प्रत्येक व्यक्ति, ” जो कम्प्यूटर के बारे में थोड़ी भी जानकारी रखता है और जिसकी किसी कम्प्यूटर तक पहुंच है, इंटरनेट से जुड़ना चाहता 1 समाचार पत्रों में आने वाले लगभग प्रत्येक विज्ञापन में आजकल टेलीफोन तथा फैक्स नं. के साथ ही अपना वेब पंता भी दिया जाता है, जिसमें ‘www’ शब्द जुड़ा होता है। Computer Network in Hindi | Computer Network क्या है, प्रकार,आवश्यकता और सम्पूर्ण जानकारी
कम्प्यूटर नेटवर्क में कम्प्यूटरों के साथ-साथ अन्य उपकरण भी जुड़े होते हैं। जैसे कि फैक्स, प्रिंटर, प्लोटर आदि । इसका मुख्य उद्देश्य यह होता है कि इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से डाटा व सूचनाओं का आदान-प्रदान करना व साधनों को मिलाकर काम में लेना ।
कम्प्यूटर नेटवर्क विधि कई कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने की तकनीक है, जिसका मुख्य लाभ यह है कि किसी एक कम्प्यूटर में मेमोरी में लिखी हुई सूचना का लाभ अन्य कम्प्यूटर पर कार्य कर रहा व्यक्ति प्राप्त कर सकता है।
यदि कोई एक कम्प्यूटर किसी प्रक्रिया विशेष में सक्षम है अर्थात् उस समस्या से संबंधित सभी आँकड़े इस कम्प्यूटर की मेमोरी में है और समस्या समाधान की प्रक्रिया भी मेमोरी में है, तो किसी अन्य कम्प्यूटर के टर्मिनल पर कार्य कर रहा व्यक्ति इस कम्प्यूटर की सुविधाओं का प्रयोग कर सकता है
यदि दोनों कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से जुड़े हुए हो। नेटवर्क तकनीक से सभी कम्प्यूटरों की क्षमता का सामूहिक उपयोग किया जा सकता है।
नेटवर्क के प्रकार | Types of Network
Network को मुख्यतः LAN, MAN, WAN, PAN, VPN में विभाजित किया जाता है । हम आपको Computer in Hindi | What is Computer in Hindi में इन सभी नेटवर्क के बारे में विस्तृत जानकारी देगें।
LAN
इसका पूरा नाम होता है “लॉकल एरिया नेटवर्क” एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र जो सामान्यतः कुछ किमी का हो सकता है कम्प्यूटर्स् व डिवाइस के नेटवर्क को हम लॉकल एरिया नेटवर्क कह सकते हैं। इसका सीमित क्षेत्र 5 किलोमीटर तक होता है। इसका अधिक उपयोग एक संस्थान के लिए किया जाता है जो कि एक ही बिल्डिंग में स्थित हो या एक ही शहर में सीमित दायरे में हो।
MAN
इसका पूरा नाम Metropolitan area network है। यह LAN का बड़ा रूप होता है। इसकी भौगोलिक सीमा सामान्यतः एक शहर होता है। MAN निजी या सार्वजनिक प्रकार के हो सकते हैं। इसमें एक और इससे अधि क ट्रांसमिशन का उपयोग भी हो सकता है।
WAN
इसका पूरा नाम Wide Area Network इसका भौगोलिक क्षेत्र मेन से भी अधिक होता है। यह सम्पूर्ण देश या सम्पूर्ण विश्व में फैला हो सकता है। इसमें LAN से बिलकुल अलग तरह की तकनीक को काम में लिया जाता है। यह बहुत ही विषम प्रकार का नेटवर्क होता है।
PAN
इसका पूरा नाम Personal Area Network है। वायरलेस नेटवर्क का एक नया प्रकार है जो आपके निजी वातावरण में एक छोटे क्षेत्र के अंदर काम करता है। PAN’s सेलफोनों को हैंडसेट्स से, PDAs को अन्य PDAs से, कीबोर्ड को सेलफोनों इत्यादि से जोड़ता है। ये छोटे, स्वयं व्यवस्थित नेटवर्क हमारे सभी गैजेट्स को वायरलेस के रूप में एक-दूसरे से संप्रेषण करने के योग्य बनाते हैं। Wireless PAN का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण ब्लूटूथ तथा Wi-Fi है। जबकि wired PAN का उदाहरण USB है।
VPN
Virtual Private Network यह एक नेटवर्क टेक्नोलॉजी होती है जिसमें पब्लिक इंटरनेट नेटवर्क में सिक्योर कनेक्शन बनाया जाता है। बहुत सी companies, educational institutions a government orga- nization रिमोट users को अपने प्राइवेट नेटवर्क को सेक्युरली connect करने के लिए VPN Technology का use करती है।
इसमें रिमोट users को इंटरनेट की मदद से अपने नेटवर्क को access देने के लिए remote users के कनेक्शन से ऑफिस नेटवर्क तक VPN टनल बनायी जाती है।
प्राइवेट नेटवर्क क्रियेट करने का VPN एक सस्ता व अच्छा तरीका है। लेकिन इसका disadvan tage यह है कि यह पूरी तरह से users की इंटरनेट बेण्ड विड्थ पर depend करता है। एवं user को परफोरमन्स issue भी आ सकते है। पब्लिक नेटवर्क में एक पोइंट टू पोइंट डेटा के सिक्योर ट्रांसपोर्ट के लिए VPN कुछ Pro- tocols को use करता है।
Programming Language | प्रोग्रामिंग भाषा
प्रोग्रामिंग भाषा कम्प्यूटर को निर्देश देने तथा इच्छानुसार कार्य करवाने का एक माध्यम है। यह एक कृत्रिम भाषा है, जिसे कम्प्यूटर की एक निश्चित क्रमानुसार चलाने या काम करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह की-बोर्ड, सिम्बॉल्स का एक सेट और स्टेटमेंट कन्स्ट्रक्ट करने के लिए नियमों का एक सेट है, जिसके द्वारा मानव कम्प्यूटर द्वारा निष्पादित किये जाने वाले अनुदेशों को संप्रेषित कर सकता है।
मुख्यतः प्रोग्रामिंग भाषा दो प्रकार के होते हैं
- (1) निम्न स्तरीय भाषा मशीन भाषा, असेम्बली भाषा
- (2) उच्च स्तरीय भाषा :- – कोबोल, बेसिक, अल्गॉल, PL1, पास्कल, लिस्प, प्रोलॉग
निम्नस्तरीय भाषा को दो भागों में विभाजित किया गया है।
1.मशीन भाषा :- यह कम्प्यूटर की आधारभूत भाषा है। यह केवल 0 और 1 दो अंकों के प्रयोग से निर्मित श्रृंखला अर्थात् बाइनरी कोड से लिखी जाती है। यह एकमात्र कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग भाषा है जो कि कम्प्यूटर द्वारा सीधे-सीधे समझी जाती है। इसे किसी अनुवादक प्रोग्राम की आवश्यकता नहीं करनी होती है।
इसे कम्प्यूटर का मशीन संकेत भी कहते हैं। प्रोग्रामिंग के शुरुआत के समय प्रोग्राम इसके प्रयोग से लिखे जाते थे। मशीनभाषा में प्रत्येक निर्देश के दो भाग होते है पहला ऑपरेशन कोड या ऑपकोड और दूसरा लोकेशन कोड या ऑपरेण्ड। ऑपकोड कम्प्यूटर को यह बताता है कि क्या करना है और ऑपरेण्ड यह बताता है कि आँकड़ें कहाँ से प्राप्त करना है, कहाँ संग्रहित करना है।
मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखना एक मुश्किल कार्य है। इस भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए प्रोग्रामर को मशीन निर्देशों या अनेकों संकेत संख्या के रूप में याद करना पड़ता है। इसमें गलती होने की संभावना अत्यधिक है तथा यह अत्यधिक समय लगने वाला कार्य है।
2.असेम्बल भाषा :– मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक अन्य असेम्बली भाषा का निर्माण किया गया। इसमें इस्तेमाल न कर अक्षर अथवा चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, जिसे सिम्बॉल भाषा कहते हैं।
इसमें न्यूमोनिक कोड का प्रयोग किया गया, जिन्हें याद रखना आसान है। जैसे (LDA (load), TRAN (Translation), ADD(Adding) तथा SUB (Subtraction) के लिए इत्यादि।) इनमें से प्रत्येक के लिए एक मशीन कोड भी निर्धारित किया गया, पर असेम्बली कोड से मशीन कोड या ऑब्जेक्ट कोड में परिवर्तन का काम एक प्रोग्राम के द्वारा किया जाता है, जिसे असेम्बलर कहा गया।
उच्च स्तरीय भाषा : उच्च स्तरीय भाषा कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा है, जिसमें अंग्रेजी अक्षरों, संख्याओं एवं चिन्हों का प्रयोग कर प्रोग्राम लिखा जाता है। यह मशीन पर निर्भर नहीं है। इन प्रोग्रामिंग भाषाओं को कार्यानुसार निम्न वर्गों में विभाजित किया गया है।
- फोरट्रॉन (FORTRAN FORMULA TRANSLATION) :- इसका विकास सन् 1957 में IBM704 कम्प्यूटर के लिए जॉन बेकस के नेतृत्व में हुआ था। यह गणितीय कार्यों, सूत्रों तथा गणनाओं को करने में पूर्णतः सक्षम है। इसका उपयोग वैज्ञानिकों तथा इंजीनियरों द्वारा किया जाता है। यह प्रोग्रामिंग के लिए विकसित की गई सर्वप्रथम भाषा है।
- अल्गॉल :- अल्गॉल का विकास सन 1958 में अल्गॉल 58 के नाम से हुआ था। 1960 में इसमें थोड़ा परिवर्तन कर अल्गॉल 60 लाया गया। इसका उपयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग उद्देश्य से किया जाता है तथा यह गणितीय गणना करने में पूर्ण रूप से सक्षम है।
- PL1 :- इसका विकास सन् 1960 में IBM के द्वारा व्यावसायिक तथा वैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए किया गया था। यह एक सफल प्रोग्रामिंग भाषा है, सिवाय इसके कि यह बहुउद्देशीय प्रसाधन देने के कारण छोटी मशीनों के लिए बहुत बड़ा है।
- पास्कल : सन् 1971 में निकलॉस विर्थ द्वारा पास्कल भाषा का विकास किया गया। इस समय अन्य भाषाओं में जो कमी थी, उसे पास्कल में प्रदान करने की कोशिश की गई। इस भाषा में संरचित प्रोग्रामिंग तकनीकों की सुविधा प्रदान की गई। इसे विकसित करने का मूल प्रयोजन छात्रों को प्रोग्रामिंग के मूलभूत तत्वों से अवगत कराना था। यह शिक्षण कार्यों के लिए विकसित किया गया था।
- बेसिक (BASIC) : 1964 में जॉन जार्ज कैमी और थॉमस यूजीन कुर्टज ने बेसिक भाषा का विकास किया। नये प्रोग्रामरों के लिए यह सरल तथा शक्तिशाली भाषा है। यह इक्ट्रैक्टिव उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग वैगयानिक तथा व्यवसायियों दोनों द्वारा किया जाता है।
- कोबोल (Common Bussiness Oriented Language): TH भाषा का विकास व्यावसायिक हितों के लिए किया गया। इस भाषा में लिखे गये वाक्यों के समूह को पैराग्राफ कहते हैं। सभी पैराग्राफ मिलकर एक सेक्शन बनाते हैं और सेक्शनों से मिलकर डिविजन बनता है। कोबोल में गणितीय शब्दावली के लिए ADD, SUBTRACT और MULTIPLY का उपयोग होता है। यह अंग्रेजी भाषा की तरह है तथा इसमें सर्वाधिक उपयुक्त डाक्यूमेंटेशन संभव है।
- लोगो (LOGO) : – इस भाषा का विकास कम्प्यूटर शिक्षा को सरल बनाने हेतु किया गया। इसमें चित्रण इतना सरल है कि छोटे बच्चे भी चित्रण कर सकते हैं। लोगो भाषा में चित्रण के लिए एक विशेष प्रकार की त्रिकोणाकार आकृति होती है जिसे टरटल कहते हैं। यह टरटल निर्देशों द्वारा किसी भी तरफ घूम सकता है। जब टरटल चलता है तो पीछे एक रेखा बनाता जाता है, जिसे अनेक प्रकार के चित्रों को सरलता से बनाया जा सकता है।
- सी:- सी प्रोग्रामिंग भाषा 1970 के दशक में डेनिस रिची द्वारा विकसित की गई थी। सी कम्पाइलर सारे मशीनों/कम्प्यूटरों पर कार्य करने में सक्षम है। अतः इसका उपयोग बहुत ही व्यापक रूप से होता है। यह सामान्य उद्देशीय प्रोग्रामिंग भाषा है। इसका डिजाइन तो सिस्टम सॉफ्टवेयर बनाने के लिए हुआ था, पर इसका उपयोग अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर बनाने में काफी होता है।
- सी++ यह सिस्टम प्रोग्रामिंग के साथ-साथ सामान्य उद्देश्य प्रोग्रामिंग भाषा है। यह सी से थोड़ा बेहतर है तथा ऑब्जेक्ट उन्मुख प्रोग्रामिंग भाषा है।
- कोमल (COMAL Common Algorithmic Language):- यह सन् 1973 में डेनमार्क के बेनेडिक्ट लॉफस्टड और ब्रौज क्रिस्टनसन के द्वारा विकास किया गया था। कोमल, बेसिक और पास्कल भाषा का मिला-जुला रूप है जो, छात्रों को शिक्षा देने के लिए डिजाइन किया गया था।
- प्रोलॉग :- यह प्रोग्रामिंग इन लॉजिक का संक्षिप्त है। यह डाटा स्ट्रक्चर का धनी संग्रह है। इसका उपयोग बुद्धिमान सिस्टम विशेषज्ञ सिस्टम को विकसित करने में किया जाता है, तार्किक तथा भावनात्मक प्रोग्राम में संभव है।
- आर. पी. जी. :- यह 1961 में IBM द्वारा विकसित किया गया था। यह व्यावसायिक अनुप्रयोगों के लिए एक प्रोग्रामिंग भाषा है जो रिपोर्ट बना देती है।
- सी शार्प (C#) :- सी शार्प को C# भी लिखा जाता है। C# एक कम्प्यूटर भाषा है, जो माइक्रोसॉफट द्वारा विकसित की गई है। यह एक बहु कार्यात्मक तथा ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड प्रोग्रामिंग भाषा है।
- जावा जावा मूल रूप से सन माइक्रो सिस्टम द्वारा विकसित किया गया है और 1995 में इसे जारी किया गया। जावा, सिन्टैक्स सी तथा C++ का डेरिवेटिव है। यह आब्जेक्ट ओरिएन्टेड भाषा है। यह सामान्य उद्देश्यीय प्रोग्रामिंग भाषा है जो विभिन्न विशेषताओं के कारण इंटरनेट या वर्ल्ड वाइड वेब के लिए उपयुक्त भाषा है।
Internet | इंटरनेट
Computer in Hindi | What is Computer in Hindi : इंटरनेट दुनियाभर में फैले हुए छोटे-बड़े कम्प्यूटरों का एक विराट नेटवर्क है, जो टेलीफोन लाइनों तथा केबलों के माध्यम से एक-दूसरे से सम्पर्क करते हैं। इस समय यह संसार का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय नेटवर्क है। वास्तव में यह नेटवर्कों का एक समूह है, जिसको चलाने के लिए कुछ नियम तय कर लिए गए हैं।
इन नियमों को प्रोटोकॉल कहा जाता है। इंटरनेट को कोई बन्द नहीं कर सकता। यह सबके लिए खुला हुआ है। अर्थात् इंटरनेट को सूचनाओं के आदान प्रदान करने और दूर दूर रहते हुये भी एक दूसरे से सम्पर्क करने की अनेक विधियों के संग्रह के रूप में समझ सकते है।
Computer in Hindi | What is Computer in Hindi – FAQs
1. USB का पूरा नाम क्या है ?
यूनिवर्सल सीरियल बस
2. कंप्यूटर स्टार्ट करने की प्रक्रिया को क्या कहा जाता है ?
बूटिंग
3. बार कोड रीडर क्या है ?
इनपुट उपकरण
4. Internet का जनक किसे कहते है ?
बिट सर्फ
5. गूगल क्या है ?
सर्च इंजन
6. YOU Tube क्या है ?
वीडियो शेयर वेवसाइट
7. कंप्यूटर का जनक किसे कहते है ?
चाल्स बैवेज
8. कंप्यूटर वायरस क्या है ?
सॉफ्टवेयर
9. कंप्यूटर क्या है हिंदी में?
यह (कंप्यूटर) एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो यूजर की कमांड पर इनपुट को प्रोसेस करके आउटपुट में बदलता है एवं गणना को आसान बनाता है। Computer आंकड़ों की गणना करना आसान बनाता है और साथ ही साथ सारे डाटा व आंकड़ों को सुरक्षित स्टोर करता है।
10. कंप्यूटर का पूरा नाम क्या है ?
COMPUTER (कंप्यूटर) ka full form: Common Operating Machine Purposely used for Technological and Educational research (कॉमन ऑपरेटिंग मशीन पर्पसली यूज्ड फॉर टेक्नोलॉजिकल एंड एजुकेशनल रिसर्च)है।
11. माउस का पूरा नाम क्या है ?
Mouse (माउस) ka full form: Manually operated user selection equipment. MOUSE का कोई आधिकारिक पूर्ण रूप नहीं है क्योंकि MOUSE एक संक्षिप्त नाम नहीं है। इसके बजाय MOUSE एक हार्डवेयर डिवाइस है जिसका उपयोग कंप्यूटर सिस्टम में किया जाता है।
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