नमस्कार दोस्तो आज के आर्टिकल में हम Computer Network in Hindi | Computer Network क्या है,प्रकार,आवश्यकता और सम्पूर्ण जानकारी के बारे में विस्तारपूर्वक जानेंगे कि यह किस प्रकार से कार्य करता है इसकी क्या आवश्यकता है।
साधारण भाषा मे कहें तो दो या दो से अधिक डिवाइसों का समूह जिसके द्वारा हम कम्युनिकेशन कर सकते है उसे नेटवर्क कहते है। यह कंप्यूटर,सर्वर,मेनफ्रेम,नेटवर्क डिवाइस या एक दूसरे से जुड़े हुये अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का समूह है जो आपस मे सूचना या डेटा ट्रांसफर करने की अनुमति प्रदान करता है।
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नेटवर्क का प्रमुख उदाहरण इंटरनेट है जो विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क माना जाता है।
कम्प्यूटर नेटवर्क क्या है (what is Computer Network) Computer Network in Hindi
कोई नेटवर्क एक से अधिक बिन्दुओं, वस्तुओं या व्यक्तियों को आपस में इस प्रकार जोड़ता है कि उनमें से प्रत्येक किसी दूसरे के साथ सीधा सम्बन्ध बना सके।
प्रत्येक नेटवर्क का एक निश्चित उद्देश्य होता है। कम्प्यूटर नेटवर्क से हमारा तात्पर्य आस-पास या दूर बिखरे हुए कम्प्यूटरों को इस प्रकार जोड़ने से है कि उनमें से प्रत्येक कम्प्यूटर किसी दूसरे कम्प्यूटर के साथ स्वतन्त्र रूप से सम्पर्क बनाकर सूचनाओं या सन्देशों का आदान-प्रदान कर सके और एक-दूसरे के साधनों तथा सुविधाओं को साझा (Share) कर
दूसरे शब्दों में, “सूचनाओं या अन्य संसाधनों (Resources) के परस्पर आदान-प्रदान एवं साझेदारी के लिए दो-या-दो से अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के अन्तर्गत संसाधनों एवं संयन्त्रों की परस्पर साझेदारी होती है, जिससे डेटा तथा सूचनाएँ 7 एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर में समान रूप से पहुँचती हैं।” 7 कम्प्यूटर नेटवर्क कम्पनी, एक अथवा अधिक भवनों, एक कैमरे तथा शहर के मध्य स्थापित किए जा सकते हैं।
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Computer Networking के लाभ
Computer Networking के लाभ निम्नलिखित है
साधनों का साझा(Resources Sharing)
हम नेटवर्क के किसी भी कम्प्यूटर से जुड़े हुए साधन का उपयोग नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों पर कार्य करते हुए कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी कम्प्यूटर के साथ लेजर प्रिण्टर जुड़ा हुआ है, तो नेटवर्क के अन्य कम्प्यूटरों से उस प्रिण्टर पर कोई भी सामग्री छापी जा सकती है।
डेटा का तीव्र सम्प्रेषण(Rapidly Transmission of Data)
कम्प्यूटरों के नेटवर्किंग से दो कम्प्यूटरों के बीच सूचना का आदान-प्रदान तीव्र तथा सुरक्षित रूप से होता है। इससे कार्य की गति तेज होती है और समय की बचत होती है।
विश्वसनीयता (Reliability)
नेटवर्किंग में किसी फाइल की दो या दो से अधिक प्रतियाँ अलग-अलग कम्प्यूटरों पर स्टोर की जा सकती हैं। यदि किसी कारणवश एक कम्प्यूटर खराब या असफल हो जाता है, तो वह डेटा दूसरे कम्प्यूटरों से प्राप्त हो सकता है। इस प्रकार नेटवर्क के कम्प्यूटर एक-दूसरे के लिए बैकअप (Backup) का कार्य भी कर सकते हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता बढ़ती है।
पहला कंप्यूटर नेटवर्क कौन था?
ARPANET पहला पैकेट स्विचिंग का उपयोग करने वाले पहले कंप्यूटर नेटवर्क था, जिसे 1960 के दशक के मध्य में विकसित किया गया था। इसे ही आधुनिक इंटरनेट का प्रत्यक्ष पूर्ववर्ती माना जाता है। पहला ARPANET संदेश 29 Oct, 1969 को भेजा गया था।
कम्प्यूटर नेटवर्किंग मॉडल (Models of Computer Networking)
कम्प्यूटर नेटवर्क के मुख्यतः दो मॉडल होते हैं-
1. पियर-टू-पियर नेटवर्क (Peer-to-Peer Network)
दो या दो से अधिक ऐसे कम्प्यूटरों का नेटवर्क जो आपस में कम्युनिकेशन के लिए एक जैसे प्रोग्राम का उपयोग करते हैं। इसे P2P नेटवर्क भी कहा जाता है।
इसमें डेटा (ऑडियो, वीडियो आदि) का डिजिटल प्रारूप में आदान-प्रदान होता है। इस नेटवर्क में कम्प्यूटर्स आपस में फाइलें ट्रांसफर करने के लिए यूनिवर्सल सीरियल बस (USB) से जुड़े होते हैं। इस नेटवर्क में सभी कम्प्यूटर क्लाइण्ट तथा सर्वर दोनों की तरह कार्य करता है।
2. क्लाइण्ट / सर्वर नेटवर्क (Client/Server Network)
ऐसा नेटवर्क, जिसमें एक कम्प्यूटर सर्वर तथा बाकी कम्प्यूटर क्लाइण्ट की तरह कार्य करें, क्लाइण्ट/सर्वर नेटवर्क कहलाता है। क्लाइण्ट कम्प्यूटर, सर्वर से किसी सर्विस के लिए रिक्वेस्ट (Request) करता है तथा सर्वर उस रिक्वेस्ट के लिए उचित रिस्पॉन्स (Response) देता है।
कम्प्यूटर नेटवर्क के प्रकार (Types of Computer Network)
नेटवर्कों को उनके कम्प्यूटरों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार निम्न श्रेणियों में बाँटा जाता है-
लोकल एरिया नेटवर्क (Local Area Network-LAN)
ऐसे नेटवर्कों के सभी कम्प्यूटर एक सीमित क्षेत्र में स्थित होते हैं। यह क्षेत्र लगभग एक किलोमीटर की सीमा में चाहिए; जैसे- कोई बड़ी बिल्डिंग या उनका एक समूह। लोकल एरिया नेटवर्क में जोड़े गए उपकरणों की संख्या अलग-अलग हो सकती है। इन उपकरणों को किसी संचार केबल द्वारा जोड़ा जाता है।
लोकल एरिया नेटवर्क के द्वारा कोई संगठन (Organization) अपने कम्प्यूटरों, टर्मिनलों, कार्यस्थलों तथा अन्य बाहरी उपकरणों को एक दक्ष (Efficient) तथा मितव्ययी (Cost effective) विधि से जोड़ सकता है, ताकि वे आपस में सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकें तथा सबको सभी साधनों का लाभ मिल सके। चित्र में एक लोकल एरिया नेटवर्क दिखाया गया है।
वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network -WAN)
वाइड एरिया नेटवर्क से जुड़े हुए कम्प्यूटर तथा उपकरण एक-दूसरे से हजारों किलोमीटर की भौगोलिक दूरी पर भी स्थित हो सकते हैं। इनका कार्यक्षेत्र कई महाद्वीपों तक फैला हो सकता है। यह एक बड़े आकार का डेटा नेटवर्क होता है। इसमें डेटा के संचरण की दर लोकल एरिया नेटवर्क की तुलना में कम होती है।
अधिक दूरी के कारण प्रायः इनमें माइक्रोवेव स्टेशनों या संचार उपग्रहों (Communication satellites) का प्रयोग सन्देश आगे भेजने वाले स्टेशनों की तरह किया जाता है।
माइक्रोवेव नेटवर्क दो रिले टावरों के बीच आवाज या डेटा को रेडियो तरंगों के रूप में भेजता है। प्रत्येक टावर उस सन्देश को प्राप्त करके उत्तेजित (Amplify) करता है और फिर आगे भेज देता है। विश्वव्यापी डेटा कम्युनिकेशन नेटवर्क का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वे आजकल के वित्तीय जगत (शेयर मार्केट, बैंक, वित्तीय संस्थाओं आदि) के लिए अनिवार्य हो गए हैं।
मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क (Metropolitan Area Network – MAN)
जब बहुत सारे लोकल एरिया नेटवर्क अर्थात् लैन किसी नगर या शहर के अन्दर एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं, तो इस प्रकार के नेटवर्क को मेट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क कहा जाता है। इसे संक्षेप में मैन (MAN) भी कहते हैं, जिसकी गति 10-100 Mbits/sec होती है। ये काफी महँगे नेटवर्क होते हैं जो फाइबर ऑप्टिक केबल से जुड़े होते हैं। ये टेलीफोन या केबल ऑपरेटर और माइक्रोवेव लिंक द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
पर्सनल एरिया नेटवर्क (Personal Area Network-PAN)
यह बहुत छोटी दूरी के लिए उपयोग होने वाला नेटवर्क है, जिसकी क्षमता कम दूरी पर उपस्थित एक या दो व्यक्तियों तक होती है। उदाहरण के लिए, ब्लूटूथ, वायरलैस, यू एस बी आदि पैन (PAN) के उदाहरण हैं।
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (Virtual Private Network-VPN)
वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एक प्रकार का नेटवर्क है, जो किसी प्राइवेट नेटवर्क जैसे कि किसी कम्पनी के आन्तरिक नेटवर्क *(Internal network) से जुड़ने के लिए इण्टरनेट का प्रयोग करके बनाया जाता है।
यह आजकल का एक तेजी से प्रसारित होने वाला नेटवर्क है, जिसका प्रयोग बड़ी-बड़ी संस्थाओं में तेजी से बढ़ा है। यह नेटवर्क आभासी भी है और निजी (Personal) भी, निजी इसलिए क्योंकि इस नेटवर्क में किसी संस्था की निजता की पूरी गारण्टी होती है तथा आभासी (Virtual) इसलिए, क्योंकि यह नेटवर्क वैन ‘का प्रयोग नहीं करता है।
नेटवर्क तोपोलॉजी क्या है (What is Network Topology)
कम्प्यूटर नेटवर्क में कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने के तरीके को टोपोलॉजी कहते हैं। किसी टोपोलॉजी के प्रत्येक कम्प्यूटर, नोड या लिंक स्टेशन कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, टोपोलॉजी नेटवर्क में कम्प्यूटरों को की भौगोलिक व्यवस्था होती है। इसके द्वारा विभिन्न कम्प्यूटर एक-दूसरे से परस्पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। नेटवर्क टोपोलॉजी निम्नलिखित प्रकार की होती है।
बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
इस टोपोलॉजी में एक लम्बे केबल से युक्तियाँ (Devices) जुड़ी होती हैं। यह नेटवर्क इन्स्टॉलेशन छोटे अथवा अल्पकालीन के लिए होता है। इस प्रकार के नेटवर्क टोपोलॉजी का प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहाँ अत्यन्त उच्च गति के कम्युनिकेशन चैनल का प्रयोग सीमित क्षेत्र में किया जाना है परन्तु यदि कम्युनिकेशन चैनल खराब हो जाए, तो पूरानेटवर्क खराब हो जाता है।
बस टोपोलॉजी के लाभ
- इसमें नए नोड जोड़ना अथवा पुराने नोड हटाना बहुत आसान होता है।
- किसी एक कम्प्यूटर के खराब होने पर सम्पूर्ण नेटवर्क प्रभावित नहीं होता परन्तु इसमें खराब हुए नोड का पता लगाना बहुत कठिन है।
- इसकी लागत बहुत कम होती है।
स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)
इस टोपोलॉजी के अन्तर्गत एक होस्ट कम्प्यूटर होता है, जिससे विभिन्न लोकल कम्प्यूटरों (नोड) को सीधे जोड़ा जाता है। यह होस्ट कम्प्यूटर हब कहलाता है। इस हब के फेल होने से पूरा नेटवर्क फेल हो सकता है।
स्टार टोपोलॉजी के लाभ
- यदि कोई लोकल नोड कम्प्यूटर खराब हो जाए, तो शेष नेटवर्क प्रभावित नहीं होता। इस स्थिति में खराब हुए नोड (कम्प्यूटर) का पता लगाना आसान होता है।
- एक कम्प्यूटर को होस्ट कम्प्यूटर से जोड़ने में कम लागत (Cost) आती है।
- लोकल कम्प्यूटर की संख्या बढ़ाने से नेटवर्क की सूचना के आदान-प्रदान की क्षमता प्रभावित नहीं होती है।
रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
इस टोपोलॉजी में कोई हब या एक लम्बी केबल नहीं होती। सभी कम्प्यूटर एक गोलाकार (Circle) आकृति के रूप में केबल द्वारा जुड़े होते हैं। प्रत्येक कम्प्यूटर अपने अधीनस्थ (Neighbour) कम्प्यूटर से जुड़ा होता है। इसमें किसी भी एक कम्प्यूटर के खराब होने पर सम्पूर्ण रिंग बाधित होती है। यह गोलाकार (Circle) आकृति सर्कुलर नेटवर्क भी कहलाती है।
रिंग टोपोलॉजी के लाभ
- इसमें छोटे केबल की आवश्यकता होती है।
- यह ऑप्टिकल फाइबर में एक दिशा में डेटा के प्रवाह के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
मैश टोपोलॉजी (Mesh Topology)
इस टोपोलॉजी का प्रत्येक कम्प्यूटर, नेटवर्क में जुड़े अन्य सभी कम्प्यूटरों से सीधे जुड़ा होता है। कारण से इसे (Point-to-Point) नेटवर्क या (Completely Connected) नेटवर्क भी कहा जाता है। इसमें डेटा के आदान-प्रदान का प्रत्येक निर्णय कम्प्यूटर स्वयं ही लेता है।
मैश टोपोलॉजी के लाभ
- यह टोपोलॉजी अधिक दूरी के नेटवर्क के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होती है।
- इस टोपोलॉजी में किसी एक कम्प्यूटर के खराब होने पर पूरा संचार बाधित नहीं होता है।
ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)
इस टोपोलॉजी में एक नोड से दूसरी नोड तथा दूसरी नोड से तीसरी नोड, किसी पेड़ (Tree) की शाखाओं की तरह जुड़ी होती है। यह ट्री टोपोलॉजी कहलाती है। ट्री टोपोलॉजी, स्टार टोपोलॉजी का ही विस्तृत रूप है। इस टोपोलॉजी में रूट (Root) नोड सर्वर की तरह कार्य करता है।
ट्री टोपोलॉजी के लाभ
- इस टोपोलॉजी में नेटवर्क को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।
- यह टोपोलॉजी पदानुक्रम (Hierarchical) डेटा के संचार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है।
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आशा करते है दोस्तो आपको हमारा आर्टिकल Computer Network in Hindi | Computer Network क्या है, प्रकार,आवश्यकता और सम्पूर्ण जानकारी पसन्द आया होगा अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो आपको हमारी वेबसाइट पर सभी के सम्पूर्ण नोट्स उपलब्ध है।
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