लकार की परिभाषा – संस्कृत भाषा मे काल को ही लकार कहते है जैसे वर्तमान काल-लट् लकार, भूतकाल —लङ्ग लकार, भविष्यत् काल — लृट् लकार आदि।
आज के लेख लकार कितने प्रकार के होते है | Lakar kitne prkar ke hote hai - PDF Notes 2023
में हम सभी
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लाकरों को प्रस्तुत करेंगे ।
लकार के भेद
लकार 10 प्रकार के होते है जो निम्न है
- लट् लकार
- लङ्ग लकार
- लृट् लकार
- लोट् लकार
- विधिलिङ्ग लकार
- लुट् लकार
- लिट् लकार
- लुङ्ग लकार
- लेट् लकार
- लृङ्ग लकार
मुख्यतः हम पाँच (लट्, लृट्, लोट्, विधिलिङ्ग एवं लङ्ग लकार) लकारों का प्रयोग करते है ।
संस्कृत में जितने शब्द होते हैं, उन सभी शब्दों को कारक और वचन के अनुसार तो प्रयोग किया ही जाता है, इसके अतिरिक्त संस्कृत के समस्त शब्दों को पुरुष में भी बाँटा (विभाजित) जाता है। ‘पुरुष’ शब्द का अर्थ ‘व्यक्ति’ से है अर्थात् कर्ता (क्रिया को करने वाला) इस प्रकार संस्कृत के सभी शब्दों को तीन प्रकार के शब्दों में विभाजित किया गया। जो इस प्रकार हैं-
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प्रथम पुरुष –
जिसके विषय में बात की जाती है। (जो प्रत्यक्ष न हो) उसे प्रथम पुरुष कहते हैं; जैसे वह, वे दोनों, वे सब ये ही प्रथम पुरुष के कर्ता हैं।
मध्यम पुरुष –
जो बात करने का माध्यम होता है, उसे मध्यम पुरुष कहते हैं; जैसे—तुम, तुम दोनों, तुम सब/ये ही मध्यम पुरुष के कर्ता है।
उत्तम पुरुष –
किसी विषय पर स्वयं बोलने वाले को उत्तम पुरुष कहते हैं; जैसे—मैं, हम दोनों, हम सब/ये ही उत्तम पुरुष के कर्ता हैं।
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