RNA क्या है RNA प्रथम अनुवांशिक पदार्थ है, आज हम सभी लोगो DNA के बारे में भली भांति जानते है लेकिन RNA के बारे में कुछ लोग ही जानते होंगे । आज हम RNA के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करेंगे ।
RNA का विकास DNA से पहले हुआ क्योंकि DNA का निर्माण RNA के रासायनिक रूपांतरण के कारण हुआ है RAN का संश्लेषण केंद्र में होता है ।
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RNA क्या है ?
RNA ( Ribose Nucleic Acid ) राइबोज न्यूक्लिक अम्ल किसी भी जीवित प्राणी के सबसे छोटे निर्माण खण्डों में से एक है । RNA एक कोशिका है जो ऊतकों ओर अंगों का निर्माण करती है।
यह आर्गेनेल नाम की छोटी संरचना के द्वारा निर्मित होती है जो सेलुलर कार्यो को विनियमित करने के एक दूसरे कार्यो से मिलकर कार्य करती है ।
अगर हम इस घटना के खंड करे तो कोशिकाएं पॉलीमर नाम की बिल्डिंग ब्लॉग्स से बनी होती है । पॉलीमर मैंक्रोमोलेक्यूल्स होते है जो मोनोमर्स अणुओं से बनते है जो कि एक साथ एकत्रित रहते है ।
न्यूक्लिक एसिड पॉलीमर आनुवंशिक जानकारी को एकत्रित करते है जो कि सेलुलर कार्यो को करने के लिये आवश्यक (कोड) निर्देश प्रदान करते है ।
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राइबोज न्यूक्लिक अम्ल एकरज्जुकी अणु है । जो कि जीवित कोशिकाओं के केन्द्रक ओर कोशिका द्रव्य में पाये जाते है । इनका निर्माण न्यूक्लिओटाइड इकाइयों द्वारा होता है
RNA के प्रकार (Types of RNA)
कोशिकाओं में मुख्य रूप से तीन प्रकार के RNA पाये जाते है जो कि निम्नलिखित है –
मैसेंजर आर० एन० ए० ( mRNA)
(Messanger or mRNA) कुल आर०एन०ए० का लगभग 3-5% mRNA कोशिका में होता है। mRNA का निर्माण DNA की मात्र एक पॉलीन्यूक्लिओटाइड श्रृंखला द्वारा होता है।
इस प्रक्रिया को अभिलेखन या ट्रांसक्रिप्शन (transcription) कहते हैं। कोशिकाओं में mRNA अल्प समय के लिए स्थिर रहते हैं, जैसे- जीवाणु कोशिकाओं में इनकी अवधि कुछ समय की एवं स्तनधारियों में कुछ दिनों की ही रहती है।
पॉलीराइबोस या पॉलीसोम (polysome) का निर्माण कोशिकाद्रव्य में अनेक mRNA के परस्पर जुड़ने व एक श्रृंखला का निर्माण करने से होता है।
राइबोसोमल आर० एन० ए० (rRNA)
राइबोसोमल आर०एन०ए० (FRNA) कुल RNA का एक कोशिका में लगभग 80% होता है। राइबोसोमल RNA का संश्लेषण गुणसूत्र (chromosome) के केन्द्रिक संघटक क्षेत्र में विद्यमान जीनों द्वारा होता है।
इसकी अधिकांश मात्रा कोशिकाद्रव्य में पायी जाती है, यहाँ ये प्रोटीन अणुओं के साथ संयुक्त होकर राइबोसोम का निर्माण करते हैं। सूक्ष्मजीव-जीवाणुओं से लेकर उच्च श्रेणी के पादपों व जन्तुओं में क्षारकों का क्रम rRNA में समान होता है।
ट्रांसफर आर० एन० ए० (tRNA)
एस०एच० किम (S.H. Kim, 1973) ने tRNA की त्रिविम संरचना (three dimentional structure) का प्रारूप प्रतिपादित किया। इस संकल्पना के अनुसार RNA का आकार L सदृश एवं व्यास लगभग 20 A होता है।
RNA को घुलनशील RNA भी कहते हैं। एक विशिष्ट tRNA अणु प्रत्येक एमीनो अम्ल के लिए होता है। tRNA का प्रमुख कार्य कोशिकाद्रव्य में विशेष ऐमीनो अम्ल को राइबोसोम तक पहुँचाने का होता है। यह mRNA में अंकित संकेतों के आधार पर ऐमीनो अम्लों की पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला निर्मित करने में सहायक होता है।
कोशिका में RNA का लगभग 75% tRNA होता है। लगभग 80 न्यूक्लिओटाइड इसके प्रत्येक अणु में होते हैं। इनमें केवल 20 में ही पूरक क्षारक युग्म (complementary base pair) होते हैं, tRNA में नाइट्रोजनी क्षारकों की G: C जोड़ियों की अपेक्षा अधिक होती है ।
प्रत्येक tRNA अणु के 51 सिरे पर ग्वानीन क्षारक तथा 3′ सिरे पर क्षारकों का क्रम CGA (साइटोसीन-ग्वानोसीन-एडीनीन) होता है। न्यूक्लिओटाइड्स का क्रम अनेक IRNA के मध्य भाग में भिन्न होता है। कुछ TRNA अणुओं में भिन्न प्रकार के क्षारक पाये जाते हैं।
RNA के प्रमुख लक्षण ( Characteristics of RNA )
mRNA के लक्षण : इनका प्रमुख कार्य डी०एन०ए० से विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन्स के संश्लेषण की संरचना करना है। mRNA के क्षारक-त्रिक (base triplet) को कोडॉन (codon) कहते हैं। ये आनुवंशिक कोड का निर्माण करते हैं।
mRNA के अणुओं की सामान्य लम्बाई DNA पर स्थित एक या अनेक जीन के बराबर होती है। mRNA एक या अधिक राइबोसोम से सम्बद्ध रहता है।
rRNA के लक्षण : विशेष प्रकार की प्रोटीन से संयोजित होकर राइबोसोम निर्मित करते हैं. अर्थात् राइबोसोम प्रोटीन संश्लेषण के केन्द्र हैं, यहाँ mRNA में अंकित प्रोटीन संश्लेषण के संकेतों पर आधारित एमीनो अम्लों की पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला निर्मित करते हैं।
tRNA प्रोटीन संश्लेषण के निमित्त स्थल के रूप में कार्य करता है। प्रोटीन संश्लेषण को एन्जाइम नियन्त्रित करते हैं।
tRNA के लक्षण ;कोशिकाद्रव्य में आर०एन०ए० (RNA) विद्यमान रहता है। यहाँ से यह क्रमानुसार ऐमीनो अम्लों को mRNA को स्थानान्तरित करता है। इनका आकार क्लोवरलीफ (Clover leaf) की तरह का होता है।
विशेष प्रकार के ऐमीनो अम्लों के संलग्न होने के निमित्त एक स्थान होता है। इस स्थान पर एक क्षारक त्रिक (triplet of base) होता है। यह प्रतिकोडॉन (anticodon) कहलाता है। इसका संयोजन mRNA के पूरक कोडॉन से होता है ।
RNA का फुल्फॉर्म क्या है ?
RNA के पूरा नाम – Ribose Nucleic Acid राइबोज न्यूक्लिक अम्ल है
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