नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट AKstudyHub में आज के आर्टिकल में हम आपको Number System in Hindi | संख्या पद्धति से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्य विस्तार पूर्वक बताने जा रहे है।
साधारण भाषा मे कहें तो संख्याओं से जुड़ी गणनाओ को संख्या पद्धति कहते है यह एक ऐसी पद्धति, जिसमें अलग-अलग प्रकार की संख्याओं एवं उनके बीच सम्बन्धों व नियमों का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है , जिसे हम संख्या पद्धति कहते है।
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संख्या पद्धति | Number System in Hindi
Number System संख्या पद्धति को गणित का मुख्य आधार माना जाता है, क्योंकि यह गणना करने का मुख्य आधार होते है जबतक आपको संख्याओं का ज्ञान नही होगा तब तक आप गणित का अध्ययन नही कर सकते।
संख्याओं को दर्शाने की अनेक प्रणालियाँ हैं। इन प्रणालियों में सबसे अधिक प्रचलित प्रणाली दाशमिक प्रणाली है जिसे हिन्दू- संख्यांकन पद्धति भी कहते हैं। इस प्रणाली के अंतर्गत किसी संख्या को दर्शाने के लिए हम चिह्न/संकेतों (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9) का उपयोग करते हैं जिन्हें अंक कहते हैं। इन्हीं दस अंकों का उपयोग हम किसी संख्या को दर्शाने के लिए करते हैं।
आज के समय मे हम कोई भी प्रतियोगी परीक्षा देने जाएं तो आपको संख्या पद्धति से जुड़े 5 से 8 नंबर के प्रश्न पूंछे जाते है अगर आप संख्या पद्धति से जुड़े सभी सवालों के जबाब जानना चाहते है तो इस आर्टिकल के अंत तक जुड़े रहें।
संख्या पद्धति के भाग
संख्या पद्धति Number System विभन्न भाग है जिसमे अंक,अंकीय मान,संख्याये,प्राकतिक संख्याये,वास्तविक संख्याएं,स्थानीय मान, सम संख्याएं,विषम संख्याएं,पूर्णाक,पूर्ण संख्या,भाज्य,अभाज्य आदि सभी भागों पर विस्तृत जानकारी नीचे दी गयी है।
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संख्याएं | Number
दैनिक जीवन में किसी-न-किसी रूप में हम संख्याओं का प्रयोग करते हैं। ये संख्याएँ 0 से लेकर 9 तक के कुल दस अंकों में से ही बनती हैं। जैसे ₹15, ₹ 101, दो दर्जन, इत्यादि ।
हम जिन 10 अंकों (Digits) का प्रयोग करके संख्याएँ बनाते हैं वे भिन्न-भिन्न प्रकार की होती हैं। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत् है
अंक | Digit
अंक गणित में संख्याओं को लिखने के लिए हमें संकेतों के एक विशेष समूह की आवश्यकता होती है। ये दस चिन्ह या संकेत 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, और 9, हैं। इन्हें अंक कहा जाता है। इन अंकों से ही समस्त संख्याओं का निर्माण होता है।
अंकीय मान
अंकीय मान किसी अंक को, गणित में जिस मान से निर्धारित किया गया है उसे अंकीय मान कहते हैं ।
उदाहरण: संख्या 386541 में
- 1 का अंकीय मान 1
- 4 का अंकीय मान 4
- 5 का अंकीय मान 5
- 6 का अंकीय मान 6
- 8 का अंकीय मान 8
एक दी गई संख्या में किसी अंक का शुद्धमान उस अंक का अपना मान है, चाहे वह अंक किसी भी स्थान पर है।
जैसे :- 67523 में 5 का शुद्धमान मान 5 है और 6 का शुद्धमान 6 ही है।
स्थानीय मान
स्थानीय मान (Place value): किसी संख्या में, जब किसी अंक को उसकी स्थिति के आधार पर निर्धारित किया गया होता है, तो उसका निर्धारित मान ही स्थानीय मान कहलाता है।
जैसे: संख्या 47896 में,
- 6 का स्थानीय मान = 6 x 1 = 6
- 9 का स्थानीय मान = 9 x 1Q = 90
- 8 का स्थानीय मान = 8 x 100 = 800
- 7 का स्थानीय मान = 7 x 1000 = 7000
- 4 का स्थानीय मान = 7 x 10000 = 70000
दी गई संख्या में अंक जिस स्थान पर होता है, उस अंक का स्थानीय मान कहलाता है।
जैसे:- 67523 में 5 का स्थानीय मान 5 x 100 और 6 का स्थानीय मान 6 x 10000 है।
संख्या पद्धति के प्रकार
प्रकृतिक संख्या | Natural Number
जिन संख्याओं का प्रयोग गिनती के रूप में किया जाता है वो सभी प्राकृतिक संख्याएं है।
- उदाहरण 1,2,3,4,5,6,7,8,9….से अनंत तक
सम संख्याएं | Even Number
सम संख्याओं में हम उन सभी संख्याओ की गणना करते है जो 2 से पूर्णतया विभाजित हो जाती है उन्हें हम सम संख्या की श्रेणी में रखते है
- उदाहरण 2,4,6,8,10,12,14,16,18,20,22,24,26,28,30,32 से अनंत तक
विषम संख्या | Odd Number
विषम संख्या की श्रेणी में वो सभी संख्याएं आती है जो 2 से पूर्णतया विभाजित नही होती, जो संख्या 2 से पुर्णतः विभाजित न हो उसे विषम संख्या कहते है।
- उदाहरण 1,3,5,7,9,13,15,17,19 से अनन्त तक
पूर्णाक संख्या | Integer Number
ऋणात्मक, शून्य और धनात्मक के मेल से बनी हुई सभी संख्याएं पूर्णाक संख्या कहलाती है।
- उदाहरण -8,-7,-6,-5,-4,-3,-2,-1,0,1,2,3,4,5,6,7,8 से आगे तक
पूर्णाक संख्याएं तीन प्रकार की होती है
- धनात्मक संख्याएँ:- एक से लेकर अनंत तक की सभी धनात्मक ‘संख्याएँ धनात्मक पूर्णांक हैं।
- ऋणात्मक संख्याएँ:- 1 से लेकर अनंत तक कि सभी ऋणात्मक संख्याएँ ऋणात्मक पूर्णांक हैं।
- उदासीन पूर्णांक:- ऐसा पूर्णांक जिस पर धनात्मक और ऋणात्मक चिन्ह का कोई प्रवाह ना पढ़े तो यह जीरो होता हैं।
पूर्ण संख्या | Whole Number
प्राकृतिक संख्या में शून्य को शामिल कर लेने पर यह पूर्ण संख्या बन जाती है
- उदाहरण 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 से अनंत तक
भाज्य संख्या | Composite Number
ऐसी प्राकृतिक संख्या जो स्वंय और 1 से विभाजित होने के अतिरिक्त कम से कम किसी एक अन्य संख्या से विभाजित हो उन्हें भाज्य संख्या कहते हैं।
- उदाहरण 4, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 16 या इससे आगे
अभाज्य संख्या | Prime Number
ऐसी प्राकृतिक संख्याएँ जो सिर्फ स्वंय से और 1 से विभाजित हो और किसी भी अन्य संख्या से विभाजित न हो उन्हें अभाज्य संख्या कहते हैं।
- उदाहरण 2, 3, 5, 11, 13, 17, 19 , 23 या इससे आगे
परिमेय संख्या | Rational Number
ऐसी सभी संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता है। उन्हें परिमेय संख्या कहते है।
- हरे का मान जीरी नहीं होना चाहिए
- उदाहरण 3/4, 7/12, 17/19, √125, √625
अपरिमेय संख्या | Irrational Number
ऐसी संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में नही लिखा जा सकता और मुख्यतः उन्हें (√) के अंदर लिखा जाता हैं। और कभी भी उनका पूर्ण वर्गमूल नहीं निकलता अपरिमेय संख्या कहलाती है।
नोट:- एक अपरिमेय संख्या हैं।
- उदाहरण √13, √17, √123, √217, √257, 567
वास्तविक संख्या | Real Number
परिमेय और अपरिमेय संख्याओ को सम्मलित रूप से लिखने पर वास्तविक संख्या प्राप्त होती हैं।
- उदाहरण 3/5, 7/11, 19 / 13, √121, √147, 973
अवास्तविक संख्या | Unreal Number
यह एक काल्पनिक संख्या है जिसका वास्तविक नहीं होता है अवास्तविक संख्या या काल्पनिक संख्या को इकाई से दर्शाया जाता है।
- उदाहरण √-3, √-4, √-12, √-17, √-107 आदि।
संख्या पद्धति के महत्वपूर्ण बिंदु
- सभी भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं.
- सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण, पूर्णांक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं.
- सभी पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं.
- प्राकृत, अभाज्य, यौगिक, सम, विषम, एव पूर्ण संख्याएँ कभी ऋणात्मक नहीं होती हैं. यही ये संख्याएँ हमेशा धनात्मक रूप में होती है।
- सबसे छोटी परिमेय संख्या 1 होती है
- सबसे बड़ी परिमेय संख्या ज्ञात नही है
- सबसे बड़ी पूर्ण संख्या ज्ञात नही है
- शून्य एक सम्पुर्णांक है
- 2 एक मात्र सम आभाज्य संख्या है
- 2 को छोड़कर सभी आभाज्य संख्या विषमपूर्णांक है
- सभी पूर्णाक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ ऋणात्मक एवं धनात्मक दोनों हो सकती हैं
- अभाग्य एवं यौगिक, सम तथा विषम संख्या होती हैं
- वैसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है, तो अभाज्य जोड़ा कहलाती है
- जैसे:- (5, 7), (3, 5) आदि
- सभी पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होते हैं
- सभी पूर्ण, पूर्णांक संख्याएँ, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं
- सभी भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं
- सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण, पूर्णांक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं
- सभी पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं
- प्राकृत, अभाज्य, यौगिक, सम, विषम, एवं पूर्ण संख्याएँ कभी भी ऋणात्मक नहीं होती हैं. यही ये संख्याएँ हमेशा धनात्मक रूप में होती है
- सबसे छोटी परिमेय संख्या 1 होती है
- सबसे बड़ी परिमेय संख्या ज्ञात नही है
भाजयता की जांच
भाज्यता की जाँच (Test of Divisibility)
- 2 से भाग्य यदि दी गई संख्या के इकाई के स्थान पर शून्य या सम संख्या हो, तो वह संख्या 2 से भाज्य होगी।
- 3 से भाज्य यदि दी गई संख्या के सभी अंकों का योग 3 से विभाजित हो जाता है, तो वह संख्या 3 से भाज्य होगी।
- 4 से भाज्य यदि दी गई संख्या के इकाई व दहाई के अंकों द्वारा बनी संख्या 4 से विभाजित है, तो वह संख्या 4 से विभाजित होगी।
- 5 से भाज्य यदि दी गई संख्या के इकाई के स्थान पर शून्य या 5 हो, तो वह संख्या 5 से भाज्य होगी।
- 6 से भाज्य यदि दी गई संख्या 2 तथा 3 से पूर्णत: विभाजित हो जाती है, तो वह संख्या 6 से भाज्य होगी।
- 8 से भाज्य यदि दी गई संख्या के अन्तिम तीन अंकों द्वारा बनी संख्या 8 से विभाजित हो जाती है, तो वह संख्या 8 से भाज्य होगी।
- 9 से भाज्य यदि दी गई संख्या के सभी अंकों का योग 9 से विभाजित हो जाता है, तो वह संख्या 9 से भाज्य होगी।
- 11 से भाज्य यदि दी गई संख्या के विषम स्थानों के अंकों तथा सम स्थानों के अंकों के योग का अन्तर या तो शून्य है या 11 से विभाजित हो जाता है, तो वह संख्या 11 से भाज्य होगी।
BODMAS का नियम
BODMAS क्रम में सर्वप्रथम कोष्ठकों (Brackets) की क्रियाओं को ध्यान में रखते हैं, (यदि कोष्ठक दिए हों) जो Vi, Ci, Cu, Sq के अनुरूप होती हैं। कोष्ठकों के बाद ‘का’ (of) की क्रिया, फिर ‘भाग’ (+) की क्रिया, फिर ‘गुणा’ (x) की क्रिया, फिर ‘जोड़’ (+) की क्रिया तथा अन्त में ‘घटाव’ (-) की क्रिया को सम्पन्न करते हैं।
B | कोष्ठक (Bracket) Vi (रेखा कोष्ठक), Ci (छोटा कोष्ठक), Cu (मझला कोष्ठक), Sq (बड़ा कोष्ठक) |
O | का (Of) |
D | भाग |
M | गुणा |
A | योग |
S | अंतर |
आशा करते है आपको हमारा यह आर्टिकल पसन्द आया होगा अगर आप इस आर्टिकल पर अपना कोई सुझाव देना चाहते है तो कॉमेंट के माध्यम से सम्पर्क करें धन्यवाद…