सांवेगिक बुद्धि (Emotional Intelligence) स्वयं के संवेगों तथा स्वयं से सम्बन्धित विशेष लोगों के संवेगों को समझने की क्षमता है। सांवेगिक बुद्धि संप्रत्यय का आशय यह है कि व्यक्तियों में एक आत्म- जाग्रति होती है जिसके फलस्वरूप वे अपने संवेगों तथा भावनाओं का प्रबंधन कर पाते हैं।
सांवेगिक बुद्धि (Emotional Intelligence) क्या है
1983 में हॉवर्ड गार्डनर (Howard Gardner) ने अपनी पुस्तक “फ्रेम्स ऑफ माडंड; द थ्योरी ऑफ मल्टीपल इंटेलीजेंस” (Frames of Mind : The Theory of Multiple Intelligence) में यह विचार प्रस्तुत किया कि बुद्धि के पारंपरिक प्रकार तथा उनके यूनिट (IQ), संज्ञानात्मक क्षमताओं की पूरी तरह से व्याख्या करने में विफल रहे हैं।
उन्होंने बहु बुद्धियों का विचार प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने अंतर्वैयक्तिक बुद्धि – Interpersonal Intelligence (दूसरे व्यक्तियों के इरादों, इच्छाओं तथा अभिप्रेरणाओं को समझने की क्षमता) तथा अंतः वैयक्तिक बुद्धि – Intrapersonal Intelligence) स्वयं को समझने की क्षमता, अपनी भावनाओं को महत्व देना तथा अपने डरों को समझ पाना, दोनों को सम्मिलित किया । गार्डनर द्वारा किया गया यह कार्य सांवेगिक बुद्धि के संप्रत्यय के लिए एक मुख्य आधार था।

इसके पश्चात् सेल्वे तथा मेयर (Salovey and Mayor) ने 1990 में अपनी पुस्तक इमोशनल इंटेलजेंस Emotional Intelligence में सांवेगिक बुद्धि के संप्रत्यय की व्याख्या प्रस्तुत की। अतः सबसे पहले सांवेगिक बुद्धि के संप्रत्यय को प्रस्तुत करने वाले मनोवैज्ञानिक सेल्वे तथा मेयर ही थे।
परन्तु ‘सांवेगिक बुद्धि’ के संप्रत्यय की प्रसिद्धि का श्रेय डेनियल गोलमैन (Daniel Goleman) को जाता है जिन्होंने अपनी पुस्तक ‘इमोशनल इंटेलिजेंस : व्हाय इट केन मैटर मोर देन आई क्यू’ “Emotional Intelligence : Why It can matter more
than IQ” को 1995 में प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने अपने द्वारा किये गए शोध अध्ययनों के निष्कर्षों की व्याख्या करते हुए बताया कि सांवेगिक बुद्धि का महत्व ‘बुद्धि लब्धि’ – IQ से काफी अधिक है।
अतः गोलमैन ने यह दावा किया कि सांवेगिक बुद्धि, बुद्धि के जितना ही या फिर कई बार उससे भी अधिक शक्तिशाली कारक होता है। सांवेगिक बुद्धि की कई परिभाषाएँ प्रस्तुत की गई हैं परन्तु सामान्य रूप से इसे उस क्षमता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके द्वारा व्यक्ति स्वयं के तथा दूसरों के संवेगों को पहचान पाता है, विनियमित कर पाता है तथा संभाल पाता है।
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विभिन्न शोधों द्वारा यह पता चला है कि सांवेगिक बुद्धि का उच्च स्तर कई प्रकार के सकारात्मक परिणामों से जुड़ा हुआ है जैसे कि बेहतर कार्यस्थल निष्पादन तथा बेहतर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य । अच्छे अध्यापकों में भी प्रभावपूर्ण सांवेगिक बुद्धि की आवश्यकता होती है।
किसी छात्र को सांवेगिक रूप से समझना उसकी अधिगम में सहायता करने के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा छात्रों के संवेगों के बारे में
सचेत रहकर तथा उन्हें अपने संवेगों को विनियमित करने में सहायता करने पर अध्यापक छात्रों के सांवेगिक तथा सामाजिक विकास में. अपना योगदान दे सकते हैं।
अतः सांवेगिक बुद्धि स्वयं के तथा दूसरे लोगों के संवेगों का ध्यान रखने, विभिन्न सांवेगिक स्थितियों के बीच अंतर समझने तथा सांवेगिक सूचना को चिंतन व व्यवहार का निर्देशन करने के लिए उपयोग में लेने की क्षमता है।
सांवेगिक बुद्धि के मॉडल
सांवेगिक बुद्धि के मुख्यतः तीन मॉडल है जो निम्नलिखित दर्शाये गये है।
क्षमता मॉडल ( Ability Model )
यह मॉडल सैल्वे तथा मेयर (Salovey and Mayor) द्वारा प्रतिपादित किया गया। सांवेगिक बुद्धि का क्षमता मॉडल सांवेगिक बुद्धि को एक नये प्रकार की बुद्धि मानता है। इस मॉडल में सांवेगिक बुद्धि को इस प्रकार परिभाषित किया जाता है- “संवेगों का प्रत्यक्षण करने की क्षमता, विचारों के प्रवाह हेतु संवेगों को एकीकृत करना, संवगों को समझना, तथा व्यक्तिगत वृद्धि हेतु संवेगों का विनिमयन करना।”
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क्षमता मॉडल में सांवेगिक बुद्धि के मापन हेतु MSCEIT- Mayor-Salevey-Caruso – Emotional Intelliegence Test का प्रयोग किया जाता है। यह परीक्षण संवेगों पर आधारित समस्या समाधान पदों की एक श्रृंखला प्रस्तुत करता है।
क्षमता मॉडल में निम्नलिखित 4 प्रकार की क्षमताओं को सांवेगिक बुद्धि में सम्मिलित किया जाता है
- संवेगों का प्रत्यक्षण (Perceiving Emotions)— मुखाभिव्यक्ति, शारीरिक हाव-भाव, चित्रों, वाणी के लहजे आदि के द्वारा एक व्यक्ति दूसरों के संवेगों को पहचान सकता है। इसमें व्यक्ति के स्वयं के संवेगों को पहचानने की क्षमता को भी सम्मिलित किया जाता है। सांवेगिक प्रत्यक्षण सांवेगिक बुद्धि का एक बहुत आधारभूत पक्ष माना जाता है क्योंकि यह क्षमता मॉडल में अंतर्निहित अन्य सभी प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु आवश्यक है।
- संवेगों का उपयोग करना (Using Emotions) – क्षमता मॉडल द्वारा प्रस्तुत की गई दूसरी गतिविधियों का संबंध व्यक्ति की संवेगों को उपयोग करने की क्षमता से है- भले ही वे स्वयं के संवेग हों या किसी दूसरे व्यक्ति के संवेग, जिसके फलस्वरूप इच्छित परिणाम को पाया जा सकता है। चिंतन तथा समस्या- समाधान के दौरान अक्सर संवेगों को ध्यान में रखा जाना चाहिये तथा वह व्यक्ति जो ऐसी स्थिति में संवेगों का उपयोग करने में निपुण होता है वह उचित संवेगों के आधार पर बेहतर निर्णय ले पाता है।
- संवेगों को समझना (Understanding Emotional) – इस क्षमता का मुख्य आधार संवेगों की जटिलता को समझने से है । कई व्यक्तियो में मुख विभव्यक्ति के आधार पर संवेगों को पहचानने की क्षमता होती है परन्तु बहुत कम लोग सांवेगिक भाषा को सही प्रकार से समझ पाते है तथा जटिल सांवेगिक सम्बन्धो की बारीकियां का अनुमान लगा पाते है ।
- संवेगों का प्रबंधन करना (Managing Emotions) – संवेगों का प्रबंधन विशिष्ट रूप में स्वयं के, तथा दूसरों के संवेगों को विनियमित करने की क्षमता से है। क्षमता मॉडल की सबसे उच्च स्तर की क्षमता होने के कारण, जिस व्यक्ति में सांवेगिक बुद्धि का स्तर अधिक होगा वह अपने तथा दूसरों के मूड (सांवेगिक स्थिति) में कुशलता से परिवर्तन कर पाएगा विशेषकर लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सांवेगिक स्थिति को काम में लेना तथा प्रबंधित करना।
शीलगुण मॉडल (Trait Model)
सांवेगिक बुद्धि का शीलगुण मॉडल के वी पेट्राइड्स (K.V. Petrides) द्वारा प्रस्तुत किया गया। जहाँ क्षमता मॉडल अत्यधिक व्यावहारिक है तथा बाह्य परिणामों पर बल देता है, वहीं शीलगुण मॉडल सांवेगिक आत्म-प्रत्यक्षण पर बल देता है।
शीलगुण सांवेगिक बुद्धि में यह मूल्यांकन किया जाता है कि कोई व्यक्ति की सांवेगिक क्षमताएँ तथा इन क्षमताओं के बारे में व्यक्ति का स्वयं का प्रत्यक्षण व्यक्ति के व्यवहार तथा उसकी संज्ञानात्मक प्रत्यक्षण को प्रभावित करता है।
शीलगुण मॉडल में सांवेगिक बुद्धि के कई आत्म-परिवेदन (Self- report) मापन उपकरण उपलब्ध हैं जिनमें EQ i (Emotional Quotient- inventory)/ इमोशनल इंटेलिजेंस क्योशेनेयर (Emotional Intelligence Quetionnaire e Schutte EI Model शूट् इ आई मॉडल प्रमुख हैं।
मिश्रित मॉडल (Mixed Model)
यह मॉडल डेनियल गोलमैन (Danial Goleman) द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह मॉडल क्षमता मॉडल तथा शीलगुण मॉडल दोनों का एक मिश्रित स्वरूप लिए हुए है।
अतः गोलमैन के अनुसार सांवेगिक बुद्धि, बुद्धि की ही तरह कुछ क्षमताओं का योग भी है तथा व्यक्ति का आत्म प्रत्यक्षण भी इसमें महत्त्वपूर्ण है। गोलमैन ने सांवेगिक बुद्धि के 5 मुख्य तत्व बताये है
- आत्म- जागरूकता/स्वयं के संवेगों को समझना (Self- awareness/Undertanding Own emotions) – स्वयं के संवेगों, सामर्थ्य, कमियों, मूल्यों एवं लक्ष्यों को जानने व उनका प्रभाव जानने तथा अपने निर्णयों को लेने के दौरान आंतरिक भावनाओं द्वारा निर्देशित होने की क्षमता।
- आत्म-विनियमन / स्वयं के संवेगों पर नियंत्रण रखना (Self- regulation/Controlling Own Emotions)- परिस्थितियों में हो रहे परिवर्तन से अनुकूलन हेतु अपने विध्वंसकारक / हानिकारक संवेगों तथा आवेगों को नियंत्रित तथा दिशा-निर्देशित करना।
- आत्म-अभिप्रेरणा (Self-Motivation) – उपलब्धियों तक पहुँचने तक स्वयं को अभिप्रेरित किये रखने की क्षमता।
- परानुभूति (Empathy) – दूसरों के संवेगों को महसूस कर पाने – की क्षमता तथा अपने निर्णय लेने के दौरान दूसरों की भावनाओं पर ध्यान दे पाना ।
- सामाजिक कौशल/संबंधों को संभालना (Social Skills/Handling relationships) – अपने विभिन्न सामाजिक सम्बन्धों को बेहतर बनाए रखने की क्षमता ।
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