हमारे भारतीय इतिहास की मुख्य विशेषता यह कि यह बहुत ही बड़ा है अगर हम भारतीय इसिहास की किसी छोटे ग्रन्थ से तुलना करें तो यह उस ग्रंथ से बड़ा दिखाई देगा ।
भारतीय इतिहास के विस्तृत रूप को देखते हुये विद्वानों ने इसको मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया भारत का इतिहास Indian History of Hindi | प्राचीन भारत का इतिहास,मध्यकालीन भारत का इतिहास और आधुनिक भारत का इतिहास
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प्राचीन भारत
भारतीय इतिहास के प्रमुख स्रोत
- भारतीय इतिहास के विषय मे जानकारी के चार प्रमुख स्रोत है धर्मग्रंथ,ऐतिहासिक धर्मग्रंथ,विदेशियों के विवरण,पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य-
- चाणक्य द्वारा रचित ‘अर्थशास्त्र‘ नामक पुस्तक से मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी मिलती है ।
- कल्हण द्वारा रचित ‘राजतरंगिणी‘ पुस्तक इतिहासिक घटनाओं पर आधारित प्रथम पुस्तक है ।
- पाणिनि द्वारा रचित संस्कृत भाषा व्याकरण की प्रथम पुस्तक ‘अष्टाध्यायी‘ से भी प्राचीन भारतीय इतिहास से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है ।
- विदेशी लेखको में मेगस्थनीज, ह्वेनसांग, इतसिंग, फ़ाह्यान, टॉलमी,अलबरूनी,तारानाथ,मार्कोपोलो द्वारा लिखी ऐसी बहुत सी पुस्तकें भारत के इतिहास के स्त्रोत है ।
- मेगस्थनीज सेल्युकस निकेटर का राजदूत था,जो चन्द्रगुप्त के दरबार मे आया था इसके द्वारा रचित “इण्डिका” पुस्तक से मौर्यकालीन समाज एवं संस्कृति के सम्बंधित जानकारियां मिलती है ।
- टॉलमी ने “भारत का भूगोल” नामक पुस्तक लिखी है।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) के दरबार मे आने बाला चीनी यात्री फ़ाह्यान द्वारा लिखे हुये लेख से गुप्तकाल की जानकारी मिलती है ।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग द्वारा लिखे भृमण व्रतांत ‘ सि-यू-की’ से छठी सदी के भारतीय समाज,धर्म और राजनीति के बारे में जानकारी मिलती है ।
- इतसिंग नामक चीनी यात्री सातवी शताब्दी के अंत मे भारत आया था इसने अपने विवरण में नालन्दा विश्विद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा अपने समय के भारत के वारे में वर्णन किया है ।
- महमूद गजनवी के साथ दूसरी शताब्दी के प्रारंभ में भारत आने वाले लेखक अलबरूनी ने अपना विवरण तहक़ीक़-ए-हिन्द या किताबुल हिन्द नामक पुस्तक में लिखा है । इस पुस्तक में राजपूत काल के धर्म ,रीति रिवाज,राजनीति आदि तथ्यों और प्रकाश डाला है ।
- तारानाथ एक तिब्बती लेखक था, जिसने कंगयुर तथा तंगयुर नामक दो पुस्तको में भारतीय इतिहास का वर्णन है ।
- पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्यों में अभिलेख,सिक्के,अवशेष आदि से भारतीय इतिहास की जानकारी मिलती है ।
- मध्यभारत में भागवत धर्म विकसित होने का प्रमाण यवन राजदूत ‘होलियोडोर‘ के वेसनगर के गरुण स्तम्भ लेख से प्राप्त हुआ है ।
- कश्मीरी नवपाषाण पुरास्थल बुर्जहोम से गर्तवास का साक्ष्य मिला है ।
- प्राचीनतम सिक्कों को आहत सिक्के कहा जाता था इसी को काष अर्पण कहा जाता है ।
- अरिकमेडु से रोमन सिक्के प्राप्त हुये है ,कलिंग राजा खारवेल के हाथी गुम्फा अभिलेख ,रुद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख समुद्रगुप्त के प्रयाग स्तम्भ आदि इतिहास की जानकारी के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है ।
भारत का इतिहास Indian History in Hindi | प्राचीन भारत का इतिहास,मध्यकालीन भारत का इतिहास और आधुनिक भारत का इतिहास
पाषाण काल
भारत का इतिहास पाषाण काल के अत्यधिक महत्वपूर्ण बिन्दु-
- पाषाण काल मो मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है – पुरापाषाण काल, मध्यपाषाण काल, नवपाषाण काल ।
- पुरापाषाण काल मे मनुष्य की जीविका का मुख्य आधार शिकार करना और उससे अपना भोजन बनाना था।
- इस काल को अखरोटक तथा खाद्य-संग्रलाक काल भी कहा जाता है ।
- लगभग 36,000 ई० पू० में मानव पहली बार अस्तित्व में आया था ।
- आधुनिक मानव को होमोसेपियन कहा जाता है
- मानव द्वारा प्रथम पालतू जानवर कुत्ता था ।
- आग की जानकारी मानव को पुरापाषाण काल मे हुई लेकिन इसका प्रयोग नवपाषाण काल मे हुआ था ।
- नवपाषाण काल से मानव ने कृषि करना प्रारंभ कर दिया था ।
- भारत मे पाषाणकालीन सभ्यता का अनुसन्धान सर्व प्रथम रॉबर्ट ब्रूस ने 1863 ई० में प्रारम्भ किया।
- प्रथम कृषि का प्रमाण मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ ।
- बिहार के चिरांद से हड्डी के हथियार प्राप्त हुये ।
- मनुष्यो द्वारा प्रयोग की जाने बाली प्रथम धातु तांबा है
- चावल की खेती के साक्ष्य इलाहाबाद से प्राप्त हुये है ।
सिंधु घाटी सभ्यता या हड़प्पा सभ्यता
- रायबहादुर दयाराम साहनी ने तत्कालीन भारतीय पुरातत्व विभाग के निर्देशक सर जॉन मार्शल के नेतृत्त्व में सन 1921 में हड़प्पा नामक स्थान पर खुदाई की जहां से हड़प्पा सभ्यता की खोज प्रारम्भ हुई।
- हड़प्पा के बाद 1922 में राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो नामक स्थान की खोज की ।
- सिन्धु सभ्यता के अन्य नदी घाटियों तक विस्तृत स्वरूप का पता चलने के कारण इसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से अधिक जाना जाता है।
- भारत मे सर्वाधिक सैंधव स्थल गुजरात मे पाये जाते है ।
- सिन्धु घाटी सभ्यता एक काँस्ययुगीन सभ्यता है ।
- मोहनजोदड़ो को मृतको का टीला भी कहा जाता है ।
- कालीबंगा का अर्थ ‘ काले रंग की चूड़ियां’ होता है ।
- सिन्धु घाटी सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता नगर निर्माण योजना है ।
- इस सभ्यता में जल निकास प्रणाली प्रमुख है ।
- हड़प्पा सभ्यता का समाज मातृ सत्तात्मक था ।
- हड़प्पा सभ्यता में कृषि के साथ साथ व्यापार भी अर्थव्यवस्था का आधार था ।
- लेकिन मुख्य आधार कृषि ही था।
- विश्व मे सर्वप्रथम यहीं के निवासियों ने कपास की खेती प्रारम्भ की थी ।
- हड़प्पा सभ्यता में देशी तथा विदेशी दोनों प्रकार का व्यापार होता था ।
- माप-तोल की इकाई अनुपात 16 थी
- हड़प्पा सभ्यता में प्रशासन वणिक द्वारा चलाया जाता था
- इस सभ्यता में मातृ देवी की उपासना का प्रमुख स्थान था।
- हड़प्पा सभ्यता में पशुपति, लिंग,योनि तथा पशुओं की पूजा की जाती थी ।
- पशुओ में कूबड़ बाला सांड सर्वाधिक महत्वपूर्ण पशु था।
- इस काल मे मन्दिरो के अवशेष नही मिले है
- इस सभ्यता के मनुष्य मिट्टी द्वारा निर्मित वर्तनो ओर अन्य कलाकृतियों में बहुत निपुड़ थे ।
- हड़प्पा की लिपि भावात्मक अथवा भाव चित्रात्मक थी
- इस समय शवों को जलाने ओर दफनाने दोनों प्रथाएं प्रचलित थी
सिन्धु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल,नदियां, मिले हुए साक्ष्य ओर वर्तमान में स्थान को हमने एक तालिका के माध्यम से प्रदर्शित किया है जो आपको समझने में आसन लगेगा ।
प्रमुख स्थल | खोजकर्ता | नदी | वर्तमान में स्थान |
हड़पा | दयाराम साहनी | रावी | पाकिस्तान |
मोहनजोदड़ो | राखालदास बनर्जी | सिन्धु | पाकिस्तान |
चन्हूदड़ों | गोपाल मजूमदार | सिन्धु | पाकिस्तान |
रंगपुर | रंगनाथ राव | मादर | गुजरात (भारत) |
रोपड़ | यज्ञदत्त शर्मा | सतलज | पंजाब (भारत) |
लोथल | रंगनाथ राव | भोगवा | गुजरात (भारत) |
कोट दीजी | फजल अहमद | सिन्धु | पाकिस्तान |
आलमगीरपुर | यज्ञदत्त शर्मा | हिन्डन | उत्तर प्रदेश (भारत) |
कालीबंगा | BB लाल और B K थापर | घघ्घर | राजस्थान (भारत) |
धौली वीरा | जे पी जोशी | गुजरात (भारत) | |
बनावली | रविन्द्र सिंह बिष्ट | रंगोई | हरियाणा(भारत) |
वैदिक काल
वैदिक काल का विभाजन मुख्यतः दो भागों में किया
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(1) ऋग्वेदिक काल इसे 1500 ई०पू० से 1000 ई०पू० तक माना गया है ।
(2) उत्तर वैदिक काल इसे 1000 ई०पू० से 600 ई०पू० तक माना गया है ।
- मैक्स मुलर ने आर्यो का मूल निवास स्थान मध्य एशिया को माना जाता है ।
- भारत मे आर्य सर्वप्रथम सप्तसिंधु क्षेत्र में वसे है यह क्षेत्र आधुनिक पंजाब तथा उसके आस-पास का क्षेत्र था।
ऋग्वेदिक काल
- ऋग्वेदिक आर्य अनके छोटे छोटे कबीलो में विभाजित थे
- ऋग्वेदिक साहित्य में क़बीलों को जन कहा जाता था
- क़बीलों के सरदार को राजन कहा गया है
- सबसे छोटी राजनीतिक इकाई कुल या परिवार होता था
- बहुत से परिवार या कुल मिलकर एक ग्राम का निर्माण करते है
- ग्राम प्रधान ग्रामणी होता है
- अनेक ग्राम मिलकर एक विश बनता है
- विश का प्रधान विश्पति होता है
- अनेक विश मिलकर एक जन का निर्माण होता है जिसका प्रधान राजा होता है ।
- ऋग्वेद में जन का 275 बार तथा विश का 170 बार उल्लेख किया गया है ।
- सभा, समिति तथा विदथ राजनीतिक संस्थायें थी
- ऋग्वेद में शासन पितृसत्तात्मक था
- वर्ण व्यवस्था कर्म आधारित थी
- ऋग्वेद के दसवें मण्डल में ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र का उल्लेख है
- सोम आर्यो का मुख्य पेय था
- ऋग्वेद में विधवा विवाह का प्रचलन था
- बाल विवाह और सती प्रथा प्रचलित नही थी
- ऋग्वेदिक काल मे देवताओ में सबसे अधिक महत्व इंद्र देवता इनके उपरांत वरुण देवता को दिया जाता था
- ऋग्वेद में इंद्र को पुरन्दर कहा गया है
ऋग्वेदिक काल की नदियां
प्राचीन नाम | आधुनिक नाम |
कुभु | कुर्रम |
कुभा | काबुल |
वितस्ता | झेलम |
अस्किनी | चिनाब |
परुषनि | रावी |
शतुद्री | सतलुज |
विपाशा | व्यास |
सदानीरा | गण्डक |
दृषद्वती | घग्घर |
गोमती | गोमल |
सुवास्तु | स्वात |
उत्तर वैदिक काल
- उत्तर वैदिक काल के राजनीतिक संगठन की मुख्य विशेषता बड़े राज्य तथा जनपदों की स्थापना थी ।
- राजत्व के दैवी उतपत्ति के सिद्धान्त का सर्वप्रथम उल्लेख ऐतरेय व्राह्मण में किया गया है ।
- इस काल मे राजा का महत्व बड़ा तथा उसका वंशानुगत हो गया
- उत्तर वैदिक काल मे परिवार पितृ सत्तात्मक होते थे संयुक्त परिवार की प्रथा विद्यमान थी।
- समाज स्पष्ट रूप से चार वर्णों – ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य और शूद्र में बंटा था।
- वर्ण व्यवस्था कर्म के बदले जाति पर आधारित थी
- महिलाओं की स्थिति अच्छी नही थी
- धार्मिक एवं यज्ञ कर्मकाण्ड में जटिलता आई
- इस काल मे सबसे प्रमुख देवता प्रजापति (ब्रह्मा) , विष्णु एवं रुद्र(शिव) थे।
- लोहे के प्रयोग का सर्व प्रथम साक्ष्य 1000 ई०पू० उत्तर प्रदेश के अन्तरजीखेड़ा से मिला है ।
धार्मिक आन्दोलन
जैन धर्म
- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे ।
- ऋषभदेव को जैन धर्म का संस्थापक भी माना जाता है ।
- जैन धर्म मे कुल 23 तीर्थंकर हुए है।
- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर थे
- महावीर स्वामी को जैन धर्म का वास्तविक संस्थापक कहा जाता है ।
- जैन धर्म मे त्रिरत्न थे – सम्यक दर्शन,सम्यक ज्ञान और सम्यक आचरण
- महावीर स्वामी ने पाँच महाव्रतों के पालन का उपदेश दिया था।
- पाँच महाव्रत सत्य, अहिंसा,अस्तेय,अपरिग्रह ओर ब्रह्मचर्य इनमे से प्रारम्भ के चार महाव्रत 23 वें तीर्थ कर पार्श्वनाथ के थे और अंतिम महाव्रत महावीर स्वामी के द्वारा जोड़ा गया।
- जैन धर्म मे दो सम्प्रदाय है श्वेताम्बर ओर दिगम्बर
- महावीर स्वामी ने प्राकृत भाषा मे उपदेश दिये है
महावीर स्वामी का संक्षिप्त परिचय
जन्म | कुण्डलग्राम (वैशाली) |
जन्म का वर्ष | 540 ई०पू० |
पिता का नाम | सिद्धार्थ (क्षत्रिय कुल) |
माता का नाम | त्रिशला |
पत्नी का नाम | यशोदा |
गृह त्याग | 30 वर्ष की आयु में |
तपस्थल | ज्रम्भिक |
कैवल्य | ज्ञान प्राप्ति 42 वर्ष की अवस्था मे |
निर्वाण | 468 ई०पू० पावापुरी में |
जैन महासंगीतियाँ
- प्रथम जैन संगीति पाटलिपुत्र में हुई थी इसके अध्यक्ष स्थूलभद्र थे इस संगीति में जैन धर्म को दो भागों में विभाजित किया गया था जिसे स्वेताम्बर ओर दिगम्बर कहते है ।
- द्वितीय जैन संगीति वल्लभी में हुई थी इसके अध्यक्ष देव ऋद्धिगणि थे । इस संगीति में जैनधर्म के ग्रन्थो को लिपिबद्ध किया गया था ।
बौद्ध धर्म
- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे ।
- गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था
- गौतम बुद्ध ने चार आर्य सत्य बताये है 1. दुःख 2. दुःख समुदय 3. दुःख विशेष 4. दुःख निरोध गामिनी
- बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी तथा अनात्मकवादी है
- बौद्ध धर्म मे त्रिरत्न है बुद्ध,संघ और धम्म
- बौद्ध धर्म के त्रिपटक – सुत पिटक, विनय पिटक ओर अभिधम्म पिटक
- त्रिपिटक की भाषा पाली है
- महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा मे दिये
गौतम बुद्ध का संक्षिप्त परिचय
जन्म | लुम्बिनी ग्राम, कपिलवस्तु |
जन्म का वर्ष | 563 ई०पू० |
पिता का नाम | शुद्धोधन |
माता का नाम | महामाया |
पत्नी का नाम | यशोधरा |
पुत्र का नाम | राहुल |
गृह त्याग | 29 वर्ष की आयु में |
तपस्थल | उरुवेला |
ज्ञान | ज्ञान की प्राप्ति 35 वर्ष की अवस्था मे |
महापरिनिर्वाण | कुशीनगर 483 ई०पू० |
बौद्ध संगीतियाँ
- प्रथम बौद्ध संगीति अजातशत्रु के शासन काल मे राजगृह में हुई थी इसके अध्यक्ष महाकश्यप थे ।
- द्वितीय बौद्ध संगीति कालाशोक के शासन काल मे वैशाली में हुई थी इसके अध्यक्ष सर्वकमी थे ।
- तृतीय बौद्ध संगीति अशोक के शासन काल मे पाटलिपुत्र में हुई थी इसके अध्यक्ष मोग्गलीपुत्त थे
- चतुर्थ बौद्ध संगीति कनिष्ट के शासन काल मे कुण्डलवन में हुई थी इसके अध्यक्ष वसुमित्र जी थे
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मगध साम्राज्य
सोलह महाजनपदों में मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद था , प्राचीन भारत मे साम्राज्य वाद की शुरुआत कहें या विकास का श्रेय मगध को दिया जाता है । मगध साम्राज्य में निम्नलिखित वंशो ने राज किया है –
हर्यक वंश (544 ई०पू० से 412 ई०पू० तक)
- मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक बिम्बिसार था ।
- बिम्बिसार की राजधानी गिरिव्रज (राजगृह) थी ।
- बिम्बसार ने वैवाहिक संबंधों के आधार पर अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत की
- बिम्बसार ने अपने चिकित्सक जीवक को चण्डप्रद्योत महासेन की चिकित्सा के लिये भेजा था ।
- बिम्बसार को उसके पुत्र अजातशत्रु ने (492 ई०पू० से 460 ई०पू०) बन्दी बनाकर सत्ता पर कब्जा जमाया था।
- अजातशत्रु को कुणिक के नाम से भी जाना जाता है
- अजातशत्रु के शासन काल मे प्रथम बौद्ध संगीति हुई थी।
- अजातशत्रु का पुत्र उदयिन (406 ई०पू० से 444 ई०पू०) हर्यक वंश का तीसरा ओर महत्वपूर्ण शासक था।
- उदयिन ने पाटलिपुत्र की स्थापना की तथा उसे राजधानी बनाया
- पाटलिपुत्र जो वर्तमान में पटना है ।
शिशुनाग वंश (412 ई०पू० से 344 ई०पू०)
- हर्यक वंश के सेनापति शिशुनाग ने मगध की सत्ता पर कब्जा करके शिशुनाग वंश की स्थापना की थी।
- इस वंश के शासक कालाशोक के समय मगध की राजधानी वैशाली थी ।
- कालाशोक के समय द्वितीय बौद्ध संगीति हुई थी
नंद वंश (344 ई०पू० से 324 ई०पू० तक)
- नंद वंश के संस्थापक महापद्मनंद थे ।
- महापद्मनंद को क्षत्रियों का नाश करने बाला कहा गया है इसलिये इनका नाम सर्वक्षत्रान्तक पड़ा
- महापद्मनंद ने एकक्षत्र राज्य की स्थापना की
- महापद्मनंद को एकराट की उपाधि दी गयी थी
- नंद वंश का अंतिम शासक घनानन्द था
- घनानंद के शासनकाल में सिकन्दर ने आक्रमण किया था
- सिकन्दर मेसीडोनिया (मकदूनिया) के शासक फिलिप का पुत्र था।
- सिकन्दर ने विश्व विजय के समय भारत पर आक्रमण किया था ।
- झेलम नदी के किनारे सिकन्दर का युद्ध हुआ
- सिकन्दर की सेना ने व्यास नदी के आगे बड़ने से इन्कार कर दिया था जिस कारण उसे वापस लौटना पड़ा था ।
- बेबीलोन में सिकन्दर की मृत्यु हो गयी थी ।
मौर्य साम्राज्य
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई०पू० से 298 ई०पू०)
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से नंद वंश के अंतिम शासक घनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की स्थापना की थी ।
- सेल्युकस ने मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार मे भेजा था ।
- सेण्ड्रोकोट्स की पहचान चंदगुप्त के रूप में सर्वप्रथम विलयम जोन्स ने की थी ।
- चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम समय मे जैन भिक्षु भद्रबाहु से दीक्षा लेकर श्रवण बेलगोला में कायक्लेश के द्वारा प्राण त्याग दिये थे ।
बिंदुसार (298 ई०पू० से 236 ई०पू० तक)
- बिंदुसार को अमित्रघात के नाम से जाना जाता है ।
- यह आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था ।
- बिंदुसार ने सीरिया के शासक से एण्टियोकस से अंजीर मदिरा तथा एक दार्शनिक की मांग की थी
- बिंदुसार मौर्य साम्राज्य का बहुत ही घातक राजा था ।
अशोक (273 ई०पू० से 236 ई०पू० तक)
- अशोक अपनी प्रजा के लिये नैतिक उत्थान के लिये प्रतिपादित धम्म शासन के लिये विख्यात है ।
- अशोक ने अपने शासन काल मे कलिंग पर आक्रमण किया था ।
- कलिंग युद्घ में हुये भारी खूनखराबे को देखकर अशोक ने “युद्ध नीति” छोड़कर धम्म नीति का पालन किया
- अशोक ने अपने बड़े भाई सुमन के पुत्र निग्रोध से प्रभावित होकर बौद्ध धर्म अपना लिया था ।
- अशोक के धम्म की परिभाषा राहलोवादसुत्त से ली गयी है
- अशोक के कलिंग युद्ध और ह्रदय परिवर्तन की जानकारी 13 वें शिलालेख से मिली है ।
- अशोक ने अपने तमाम आदेश शिलालेखों के माध्यम से अपने राज्य में लगवा दिये थे ।
- मौर्य साम्राज्य में उच्च स्तर के अधिकारियों को तीर्थ कहा जाता था ।
- चाणक्य के अर्थशास्त्र तथा मेगस्थनीज के इण्डिका से मौर्य साम्राज्य के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलती है ।
गुप्त साम्राज्य
गुप्त वंश का प्रमुख शासक चंदगुप्त प्रथम था लेकिन इसके पहले श्री गुप्त (240-285 ई०) तथा घटोत्कच (280-320 ई०) का शासक के रूप में उल्लेख मिलता है ।
चन्द्रगुप्त प्रथम (319 ई० से 350 ई० तक)
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त सम्वत की शुरूआत की थी
- चन्द्रगुप्त प्रथम को महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया था
समुद्रगुप्त (350 ई० से 375 तक)
- समुद्रगुप्त चन्द्रगुप्त प्रथम का पुत्र था ।
- इसको भारत का नेपोलियन कहा जाता है
- समुद्रगुप्त के बारे जानकारी हरिषेण द्वारा रचित प्रशास्ति से मिलती है
- इलाहाबाद स्तम्भ से समुद्रगुप्त के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त हुई।
- समुद्रगुप्त की अनुमति लेकर श्रीलंका के राजा मेघवर्मन ने बोधगया में एक बौद्ध मठ का निर्माण कराया था ।
- समुद्रगुप्त के सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुये दर्शाया गया है ।
चन्द्रगुप्त द्वितीय (375 ई० से 415 ई० तक)
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल साहित्य और कला का स्वर्णकाल माना गया है ।
- शको को हराकर विक्रमादित्य की उपाधि हासिल की
- चन्द्रगुप्त द्वितीय द्वारा चांदी के सिक्के चलाये गये ।
- इसी के शासन काल मे चीनी यात्री फ़ाह्यान भारत आया था।
- इसके दरबार मे 9 विद्धानों की मंडली थी जिसे नवरत्न कहा जाता था ।
- नवरत्नों में कालिदास, अमरसिंह आदि शामिल थे ।
कुमार गुप्त प्रथम (415 ई० से 455 ई० तक)
कुमार गुप्त प्रथम के शासन काल मे एक ही कार्य मुख्य रुप से किया गया । इसने नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी
स्कन्दगुप्त (455 ई० से 467 ई० तक)
- गुप्त वंश का अंतिम प्रतापी शासक स्कन्दगुप्त था।
- इसने हूणों के आक्रमण को विफल किया था
- स्कन्दगुप्त के द्वारा सुदर्शन झील का नवीनीकरण कराया गया था
- सुदर्शन झील चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा बनबाई गयी थी
गुप्तोत्तर वंश एवं पुष्यभूति वंश
- पुष्यभूति वंश की स्थापना थानेश्वर में हुई थी।
- इस वंश का पहला प्रमुख शासक प्रभाकरवर्धन था
- हर्षवर्धन इस वंश के महान शासक थे ।
- बाणभट्ट हर्ष का दरबारी कवि था
- हर्ष द्वारा नागानन्द,रत्नावली ओर प्रियदर्शिका नाटकों की रचना की गई
- हर्ष को पुलकेशिन द्वितीय ने युद्ध मे हराया था
- पल्लव वंश की स्थापना सिंहविष्णु ने की थी
- एलोरा ओर एलिफेंटा की गुफाओं का निर्माण राष्ट्रकूट शासको द्वारा हुआ था ।
- चोल वंश की स्थापना विजयालय ने की थी
- चोलशासक राजराज प्रथम ने श्रीलंका पर आक्रमण करके विजित प्रदेशों को चोल साम्राज्य में शामिल किया था।
- राजराज प्रथम ने तंजौर में राजराजेश्वर का शिव मंदिर बनबाया था जिसे बृहदेश्वर के नाम से जाता है ।
भारत पर प्रथम मुस्लिम आक्रमण
भारत पर प्रथम सफल मुस्लिम आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ई० में किया था ।
महमूद गजनवी ने 1001 ई० से 1027 ई० के बीच भारत पर 17 आक्रमण किये इनमे 1025 ई० में सोमनाथ के शिव मंदिर पर किया गया आक्रमण सबसे प्रसिद्ध था । मुहम्मद गौरी को भारत मे तुर्क सत्ता का संस्थापक माना जाता है ।
1191 ई० में चालुक्य सोलंकी वंश के शासक भीम द्वितीय ने आबू पर्वत के समीप मुहम्मद गोरी को पराजित किया था ।
1191 ई० के तराइन के प्रथम युद्ध मे पृथ्वीराज चौहान के हाथों पराजय के बाद 1192 ई० के तराइन के द्वितीय युद्ध मे उसने पृथ्वीराज चौहान को पराजित कर दिया था ।
1194 ई० में चंदवार के युद्ध मे कन्नौज के गहड़वाल राजा जयचंद को मुहम्मद गौरी ने पराजित किया था । 1206 ई० में मुहम्मद गौरी की हत्या गजनी लौटने के क्रम में हो गयी थी।
मध्यकालीन भारत का इतिहास
दिल्ली सल्तनत
गुलाम वंश (1206 ई० से 1290 ई० तक)
- गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक था
- कुतुबबुद्दीन ऐबक को उसकी उदारता के कारण उसे लाखबख़्स कहा गया
- कुतुबबुद्दीन ऐबक ने ख्वाजा बख़्तीयार काकी की स्मृति में कुतुबमीनार का निर्माण प्रारम्भ करवाया था
- 1210 ई० में चौगान पोलो खेलते समय ऐबक की मृत्यु हो गयी थी ।
- इल्तुतमिश ने (1210-1236 ई० तक) शासन किया
- इल्तुतमिश ने अपने दुश्मनों के लिये चालीसा दल बनाया था जिसे तुर्कान-ए-चहलगानी कहा गया
- इल्तुतमिश अपने साम्राज्य को छोटे छोटे भागो में विभाजित किये रहता था जिसे इक्ता कहा गया
- इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार के बाकी रह गये निर्माण को पूरा करबाया था
- इल्तुतमिश ने अपनी राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थापित की थी ।
- रजिया सुल्तान भारत की प्रथम महिला मुस्लिम शासक थी
- बलबन 1265-1287 दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था
- बलबन ने सुल्तान की प्रतिष्ठा की फिर से स्थापना के उद्देश्य से राजत्व सम्बन्धी विचार प्रस्तुत किया
- बलबन ने फारसी परम्परा की तर्ज पर सिजदा ओर पाबोस प्रथा चलाई
- बलबन ने लौह ओर रक्त की नीति का अनुसरण किया था ।
खिलजी वंश (1290 ई० से 1320 ई० तक)
- खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी था
- उसने अपनी राजधानी दिल्ली के निकट किलोखरी बनाई थी
- जलालुद्दीन खिलजी पहला सुल्तान था जिसने राजत्व का आधार प्रजा का समर्थन माना।
- अलाउद्दीन खिलजी का मूल नाम अली गुरशास्प था
- अलाउद्दीन खिलजी को सिकन्दर द्वितीय सानी की उपाधि हासिल थी ।
- अलाउद्दीन खिलजी प्रथम मुस्लिम सुल्तान था जिसने दक्षिण भारत पर आक्रमण किया और उसे अपने अधिकार में लिया था ।
- अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण नीति लागू की थी
- यह प्रथम सुल्तान था जिसने भूमि की माप के आधार पर लगान निर्धारित किया था ।
तुगलक वंश (1320 ई० से 1413 ई० तक)
- तुगलक वंश का संस्थापक गयासुद्दीन तुगलक था
- गयासुद्दीन तुगलक ने नहरों तथा कुओं का निर्माण करवाया था
- मुहम्मद विन तुगलक का मूल नाम जौना खाँ था
- मुहम्मद विन तुगलक को पागल रक्त पिपासु कहा जाता है
- मुहम्मद बिन तुगलक ने राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थान्तरित की तथा बाद में दिल्ली ही कर दी
- इसने तांबे ओर कांसे के सिक्के चलाये थे
- मुहम्मद विन तुगलक ने कृषि विभाग दीवाने ए अमीर कोही की स्थापना की थी ।
- फिरोज शाह तुगलक ने सिंचाई के लिये अनेक नहरों का निर्माण कराया था
- फिरोजशाह ने सिंचाई का शर्ब प्रजा से लिया
- फिरोजशाह ने एक दान विभाग दिवान ए बन्दगांन की स्थापना की थी
- फिरोज शाह पहला सुल्तान था जिसने ब्राह्मणों पर जजिया कर लगाया था
- मुहम्मद शाह तुगलक वंश का अंतिम शासक था।
सैयद वंश (1414 ई० से 1451 ई० तक)
- सैयद वंश की स्थापना खिज्र ख़ाँ ने की थी
- खिज्र खाँ तैमूरलंग का सेनापति था
- उसके उत्तराधिकारी मुबारक शाह ने “शाह” की उपाधि धारण की थी ।
- तारीख-ए-मुबारकशाही के लेखक याहया बिन अहमद सरहिंद को मुबारकशाह का संरक्षण प्राप्त था ।
- सैयद वंश का अंतिम शासक अलाउद्दीन आलमशाह था जिस्मो बहलोल लोदी ने अपदस्थ कर सैयद वंश का अंत किया था ।
लोदी वंश (1451 ई० से 1526 ई० तक)
- लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था , उसने पहली बार भारत मे अफगान राज्य की स्थापना की ।
- सिकन्दर लोदी ने भूमि माप के लिए सिकन्दरी गज का इस्तेमाल किया
- उसने गुलरुखी के उपनाम से कविताएं भी लिखी
- सिकन्दर लोदी ने आगरा राज्य की स्थापना की ओर उसे राजधानी भी बनाया
- इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत का अंतिम सुल्तान था
- पानीपत के प्रथम युद्ध मे बाबर ने इब्राहिम लोदी को हरा कर दिल्ली सल्तनत का अंत कर दिया था ।
भारत का इतिहास Indian History in Hindi | प्राचीन भारत,मध्यकालीन भारत और आधुनिक भारत
दक्षिण के राज्य
प्राचीन भारत का इतिहास,मध्यकालीन भारत का इतिहास और आधुनिक भारत का इतिहास Free Notes 2022
विजयनगर साम्राज्य
- विजय नगर साम्राज्य की स्थापना संगम के पुत्रों हरिहर ओर बुक्का ने 1336 ई० में की थी ।
- उस समय दिल्ली का सुल्तान मुहम्मद बिन तुगलक था
- विजयनगर का महान शासक कृष्णदेवराय था
- कृष्णदेवराय के दरबार मे आठ कवि थे जिन्हें अष्ट दिग्गज कहा जाता है
- कृष्णदेवराय ने अमुक्तमालयद की रचना तेलुगु भाषा मे थी
- कृष्णदेवराय ने विठ्ठल स्वामी मंदिर का निर्माण कराया था
- सदाशिव राय के शासनकाल में तालिकोटा ( बन्नीहट्टी ) की लड़ाई में विजयनगर की हार हुई और इसी लड़ाई में विजय नगर साम्राज्य का अंत हो गया ।
बहमनी राज्य
- 1347 ई० में हसन गंगू ने बहमनी साम्राज्य की स्थापना की थी ।
- मुहम्मद तृतीय के शासन काल मे ख्वाजा जहाँ की उपाधि से महमूद गवाँ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया ।
- महमूद गवाँ ने बीदर में एक महाविद्यालय की स्थापना की
- कलीम उल्लाह बहमनी वंश का अंतिम शासक था । इसकी मृत्यु के समय बहमनी राज्य पांच स्वतंत्र राज्यो में विभाजित हो गया था ।
मुगल साम्राज्य
मुगल वंश का संस्थापक बाबर था । उसने पानीपत के प्रथम युद्ध मे 1526 में इब्राहिम लोदी को हराकर मुगलवंश की स्थापना की थी ।
बाबर
- बाबर फ़रगना के शासक उमर शेख मिर्जा का बेटा था
- पानीपत के प्रथम युद्ध मे बाबर ने पहली बार तुलगामा पद्धति तथा तोपखाने का प्रयोग किया था
- बाबर ने अपनी आत्मकथा “बाबरनामा‘ की रचना तुर्की भाषा मे की जिसका अनुवाद बाद में फ़ारसी भाषा मे अब्दुल रहीम खानखाना ने किया था ।
- प्रारम्भ में बाबर के शव को आगरा में दफनाया गया बाद में उसे काबुल में दफनाया
बाबर में प्रमुख युद्ध
युद्ध का नाम | वर्ष | प्रतिद्वंद्वी |
पानीपत का प्रथम युद्ध | 1526 | इब्राहिम लोदी |
खानवा का युद्ध | 1527 | राणा सांगा |
चंदेरी का युद्ध | 1528 | मेदनीराय |
घाघरा का युद्ध | 1529 | अफगानों के खिलाफ |
भारत का इतिहास Indian History in Hindi | प्राचीन भारत का इतिहास,मध्यकालीन भारत का इतिहास और आधुनिक भारत का इतिहास
हुमायूँ
- दिल्ली की गद्दी पर बैठने से पहले हुमायूँ बदख्शाँ का सूबेदार था ।
- 1533 ई० में उसने दीनपनाह नामक नगर की स्थापना की
- 1539 ई० में शेरशाह ओर हुमायूँ के बीच युद्ध हुआ जिसमें हुमायूँ की हार हुई जिसे चौसा के युद्ध के नाम से जाना जाता है ।
- 1540 ई० में कन्नौज बिलग्राम का युद्ध हुआ इस युद्ध मे भी हुमायूँ को शेरशाह के सामने फिर से पराजित का सामना करना पड़ा इस युद्ध के बाद हुमायूँ को भारत छोड़ कर जाना पड़ा
- 1555 ई० में मच्छीवाड़ा के युद्ध मे हुमायूँ ने अपना खोया साम्राज्य वापस लौटा लिया।
- 1556 ई० में दीनपनाह भवन के पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर हुमायूँ की मौत हो गयी ।
शेरशाह सूरी (1540 ई० से 1545 ई० तक)
- शेरशाह सूरी का असली नाम फरीद ख़ाँ था उसके पिता हसन खां सासाराम के जमींदार थे
- 1540 ई० में कन्नौज के युद्ध मे विजयी होने के बाद उसने शेरशाह की उपाधि धारण की थी ।
- शेरशाह सूरी ने पुराने सिक्को की जगह नये सोने और चांदी के सिक्के जारी किये थे ।
- शेरशाह ने रुपया का प्रचलन शुरू किया
- शेरशाह ने दिल्ली ।के पूराने किले का निर्माण करवाया तथा उसके अंदर किला ए कुहना मस्जिद का निर्माण करवाया
- शेरशाह सूरी के शासन काल मे मालिक मुहम्मद जायसी ने पद्मावत की रचना की थी
- शेरशाह सूरी का मकबरा सासाराम में है
- कालिंजर विजय के दौरान शेरशाह की गोला फटने से मृत्यु हो गयी थी ।
- शेरशाह ने ग्राण्ड ट्रंक रोड का निर्माण करवाया था जो सोनार गांव से पेशा वर तक जाती है ।
अकबर (1556 ई० से 1605 ई० तक)
- अकबर का राज्याभिषेक 14 वर्ष की आयु में पंजाब के कलानोर नामक स्थान पर हुआ था ।
- बैरम खाँ अकबर का संरक्षक था।
- अकबर के शासन काल के दौरान 1576 ई० में मेवाड़ के शासक राणा प्रताप तथा मुगल सेना के बीच हल्दी घाटी का युद्ध हुआ था जिसमे मानसिंह के नेतृत्व में मुगल सेना विजयी रही थी।
- अकबर के दीवान राजा टोडरमल ने 1580 ई० में दहसाला बंदोवस्त लागू किया
- दिन ए इलाही स्वीकार करने वाला प्रथम तथा अंतिम हिन्दू राजा बीरबल था
- बीरबल के वचपन का नाम महेशदास था
- अबुल फजल ने अकबरनामा नामक ग्रन्थ की रचना की थी ।
- अकबर के दरबार मे नवरत्न थे जिसमे तानसेन बीरबल टोडरमल आदि प्रमुख थे
- मनसबदारी प्रथा भारत मे अकबर ने प्रारम्भ की थी
- अकबर का मकबरा सिकंदराबाद में स्थित है
भारत का इतिहास में अकबर के द्वारा किये गये कुछ महत्वपूर्ण कार्य
वर्ष | कार्य का विवरण |
1562 ई० | दास प्रथा का अंत |
1562 ई० | अकबर को हरमदल से मुक्ति |
1562 ई० | तीर्थ यात्रा कर समाप्त |
1564 ई० | जजिया कर समाप्त |
1571 ई० | फतेहपुर सीकरी की स्थापना |
1575 ई० | इबादत खाने की स्थापना |
1578 ई० | इबादत खाने में सभी का प्रवेश प्रारम्भ |
1579 ई० | मजहर की घोषणा |
1582 ई० | दिन ए इलाही की स्थापना |
1583 ई० | इलाही सम्वत की स्थापना |
जहाँगीर (1605 ई० से 1627 ई० तक)
- जहाँगीर के वचपन का नाम सलीम था
- अकबर ने यह नाम सूफीसंत सेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा था
- जहाँगीर न्याय की जंजीर के लिये याद किया जाता है
- जहाँगीर ने सिखों के पांचवे गुरु अर्जुन देव को फांसी दी थी
- जहाँगीर ने मेहरुनिन्स को शादी के बाद नूरमहल एवं नूरजहां की उपाधि दी ।
- नूरजहाँ ईरान निवासी गयास बेग की पुत्री एवं अली कुली बेग की पुत्री थी ।
- जहाँगीर के शासनकाल में इस्टइंडिया कम्पनी ने अपनी पहली फेक्ट्री सूरत में स्थापित की ।
- जहाँगीर का समय मुगल चित्रकला का स्वर्ण काल है ।
- जहाँगीर की मृत्यु भीमवार नामक स्थान पर हुई थी।
- इसे लाहौर के रावी नदी के किनारे दफनाया गया
शाहजहाँ (1627 ई० से 1657 ई० तक)
- शाहजहाँ के शासन काल को स्थापत्य कला का स्वर्ण काल कहा जाता है ।
- उसने दिल्ली में एक महाविद्यालय का निर्माण एवं दारुल बका नामक महाविद्यालय की मरम्मत कराई
- उसने दिल्ली में शाहजहांनावाद नगर स्थापित किया था
- मयूर सिंघासन का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था ।
- अपनी बेगम मुमताज महल की याद में आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया था।
- लाल किला,दिल्ली की जामा मस्जिद, आगरा की मोती
- का निर्माण शाहजहाँ ने कराया था ।
- उत्तराधिकारी के युद्ध मे औरंगजेब ने शाहजहाँ को बंदी बना कर आगरा के किले में डाल दिया जहाँ 1666 ई० में उसकी मृत्यु हो गयी थी ।
औरंगजेब ( 1658 ई० से 1707 ई० तक)
- औरंगजेब को शासक बनने के लिये अपने भाइयों से युद्ध करना पड़ा था
- दारा ओर ओरंगजेब के मध्य उत्तराधिकार का अंतिम युद्ध हुआ था ।
- औरंगजेब के समय मुगल साम्राज्य का सबसे ज्यादा विस्तार हुआ था ।
- इसने इस्लाम धर्म कबुल न करने पर सिखों के नवें गुरु तेग वहादुर की हत्या कर दी थी ।
- उसे जिंदा पीर कहा जाता था ।
- इसने 1679 में हिंदुओं पर जजिया कर फिर से लगाना प्रारम्भ कर दिया था ।
- उसने झरोखा दर्शन और तुलादान प्रथा पर प्रतिबंद लगा दिया था
- औरंगजेब ने अपना ज्यादा समय दक्षिण को जीतने में लगा दिया था ।
- दिल्ली में मोती मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने कराया था ।
उत्तर मुगल शासक
- बहादुर शाह को शाहे बेखबर कहा जाता है ।
- नादिर शाह मयूर सिंहासन ओर कोहनूर हीरा भारत से ले गया था ।
- अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय ने 1857 की क्रांति का नेतृत्त्व किया था ।
मराठा उत्कर्ष
मराठा शक्ति का उत्कर्ष शिवजी के नेतृत्त्व में हुआ । शिवजी का जन्म 1627 ई० में पूना के निकट स्थित शिवनेर किले में हुआ था ।शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले तथा माता का नाम जीजा बाई था ।
अपने सैन्य अभियान के अंतर्गत शिवाजी ने सर्वप्रथम तोरण के किले को जीता था । शिवाजी की राजधानी रायगढ़ थी उन्होंने बीजापुर के सेनापति अफजल खाँ को पराजित कर उसकी हत्या कर दी थी ।
शिवाजी ने गोरिल्ला युद्ध की पद्धति अपनाई थी , शिवाजी ओर राजा जयसिंह के मध्य पुरन्दर की सन्धि हुई । शिवाजी का अंतिम अभियान कर्नाटक के अभियान था इसके बाद शिवाजी की 1680 ई० में मृत्यु हो गयी थी ।
शिवाजी के सहयोग के लिये 8 मंत्रियों का एक समूह गठित हुआ था जिसे अष्ट प्रधान कहा जाता था । शिवाजी की कर व्यवस्था मलिक अम्बर की कर व्यवस्था पर आधारित थी ।
बालाजी विश्वनाथ मराठो के प्रथम पेशवा थे , उन्हें मराठा का द्वितीय संस्थापक भी माना जाता है । बालाजी ने एक सन्धि की जिसे मराठा साम्राज्य का मैग्नाकार्टा कहा जाता है ।
बालाजी बाजीराव के समय ही पानीपत का तृतीय युद्ध हुआ था जिसमे अफगानी सेना की विजयी हुई थी । 1818 ई० में अंग्रेजो ने पेशवा का पद समाप्त करके बाजीराव को कानपुर के निकट बिठूर निर्वासित कर दिया , जहाँ उनकी 1853 ई० में मृत्यु हो गयी ।
आधुनिक भारत का इतिहास
यूरोपीय कम्पनी ओर अंग्रेजी आधिपत्य
- 1498 ई० में वास्कोडिगामा केरल के कालीकट के तट पर समुद्री मार्ग से पहुँचा था ।
- 1505 ई० में फ्रांसिस्को द अल्मीडा भारत मे प्रथम पुर्तगाली वायरस बनकर आया था ।
- भारत मे प्रथम पुर्तगाली व्यापारिक कोठी कोचीन में बनाई गई
- भारत में पहली डच फैक्ट्री मसूलीपट्टनम में स्थापित की गई
- डचों का पतन 1759 ई० में वेदरा के युद्ध मे हुआ था
- मुगल दरबार मे जाने बाला प्रथम अंग्रेज हॉकिन्स था जो कि जहाँगीर के दरबार मे आया था ।
- 1717 ई० में 3000 वार्षिक कर के बदले अंग्रेजो को बंगाल,बिहार और उड़ीसा में व्यापारिक अधिकार प्रदान किये थे ।
- 1757 ई० में क्लाइव के नेतृत्व में अंग्रेजो ने बंगाल के नबाब सिराजद्दोला को प्लासी के युद्ध मे हराकर अंग्रेजी आधिपत्य स्थापित किया था ।
- बक्सर के युद्ध 1764 ई० में अंग्रेजों ने शाहआलम ,मीर कासिम की संयुक्त सेना को पराजित करके अंग्रेजी आदिपत्य का विस्तार दिल्ली तक कर लिया था ।
- फ्रांसीसियों ने 1667 ई० में अपनी पहली फेक्ट्री सूरत में खोली थी ।
- 1760 ई० में बाण्डी वाश के युद्ध मे अंग्रेजो ने फ्रांसीसियों का पतन कर दिया था ।
भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों के आगमन
कम्पनी का नाम | स्थापना का वर्ष |
पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1498 ई० |
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1600 ई० |
डच ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1602 ई० |
डेनिस ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1616 ई० |
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1664 ई० |
स्वीडिश ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1731 ई० |
1857 की क्रान्ति
- 1857 के विद्रोह की शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ से हुई थी ।
- विद्रोह का प्रमुख कारण कारतूस में गाय और सुअर की चर्बी का प्रयोग करना था ।
- मंगल पांडे ने 28 मार्च को अपने सार्जेन्ट मेजर लेफ्टिनेंट बाघ पर गोली चला दी ।
- 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत शासन अधिनियम समाप्त कर सभी कम्पनी का शासन अपने हाथ मे ले लिया था ।
1857 की क्रांति के नायक
भारतीय नायक | केंद्र |
बहादुर शाह | दिल्ली |
नाना साहब/ तात्या टोपे | कानपुर |
बेगम हजरत महल | लखनऊ |
रानी लक्ष्मी बाई | झाँसी |
लियाकत अली | इलाहाबाद |
कुवंर सिंह | जगदीश पुर |
खान बहादुर खाँ | बरेली |
मौलवी अहमद उल्ला | फैजाबाद |
अजीमुल्ला | फतेहपुर |
सामाजिक एवं धार्मिक सुधारक आंदोलन
- राजा राम मोहनराय को भारतीय पुनर्जागरण का जनक कहा जाता है ।
- राजा राममोहनराय ने कोलकत्ता में हिन्दू कॉलेज की स्थापना की ।
- ब्रह्म समाज की स्थापना 1828 में राजाराम मोहनराय ने की थी ।
- ब्रह्म समाज के विभाजन में केशवचन्द्र सेन ने आदि ब्रह्म समाज की स्थापना की थी ।
- प्रार्थना समाज की स्थापना आत्माराम पाण्डुरंग ने बम्बई में की थी ।
- आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने बम्बई में की थी ।
- दयानंद सरस्वती का वास्तविक नाम मूलशंकर था ।
- दयानंद सरस्वती ने वेदों की ओर लौटो नारा दिया था ।
- स्वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेंद्र दत्त था
- विवेकानंद ने अमेरिका के धर्म संसद में भाग लिया था ।
- अलीगढ़ आंदोलन की शुरुआत सैयद अहमद खाँ ने की थी।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना ए. ओ. ह्यूम द्वारा 1885 ई० को की गई थी ।
- कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन दिसम्बर 1885 ई में बम्बई में हुआ था इसके पहले अध्यक्ष व्योमेश चन्द्र बनर्जी थे
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