भारतीय संविधान के प्रारम्भ में 7 मूल अधिकार थे , वर्तमान में मूल अधिकारों की संख्या 6 है क्योंकि सम्पत्ति का अधिकार हटा दिया गया है। ओर बात करे मौलिक कर्तव्यों की तो सविधान के प्रारंभ में 26 जनवरी 1949 में इनका कोई उल्लेख नहीं है न ही मूल कर्तव्यों को सविंधान में जगह मिली थी ।
वाद में सरदार स्वर्ण सिंह समिति द्वारा 1976 में 42 वे संसोधन में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया जिसकी चर्चा हम अपने इस लेख में विस्तार पूर्वक करेंगे ।
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मूल अधिकार, मौलिक कर्तव्य और नीति निदेशक तत्व 2022

मूल अधिकार
मूल अधिकार न्याय योग्य तथा सभी व्यक्तियों को समान रुप से प्राप्त होते है मूल अधिकार संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है. इसका वर्णन संविधान के भाग-3 में (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35) है। सविधान के भाग 3 को भारत का मैग्नाकार्टा की संज्ञा दी गयी है
मूल अधिकारों का महत्व ओर आवश्यकता वयक्ति और राज्यो के लिये बहुत ही महत्वपूर्ण है । मूल अधिकार हमे अपने भारत देश मे घूमने फिरने ,समानता, धर्म ,जाति, भेदभाव आदि में अधिकार प्राप्त कराते है ।
भारतीय संविधान में उल्लेखनीय मूल अधिकार निम्नलिखित है-
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1. | समानता का अधिकार | अनुच्छेद 14 से 18 |
2. | स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद 19 से 22 |
3. | शोषण के विरुद्ध अधिकार | अनुच्छेद 23 ओर 24 |
4. | धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार | अनुच्छेद 25 से 28 |
5. | संस्कृति ओर शिक्षा सम्बन्धी अधिकार | अनुच्छेद 29 ओर 30 |
6. | संवैधानिक उपचारों का अधिकार | अनुच्छेद 32 |
सम्पत्ति का अधिकार
मूल अधिकारो की सूची में यह भी एक मौलिक अधिकार था। हालांकि इसे 44 वें संशोधन 1978 में इसे मूल अशिकारो की सूची से हटा दिया गया । ऐसा इसलिये किया गया क्योंकि यह अधिकार समाजवाद के लक्ष्य को प्राप्त करने और लोगों के बीच समान रूप धन के पुनर्वितरण की दिशा में बाधा साबित हो रहा था। सम्पत्ति का अधिकार एक कानूनी अधिकार तो है परंतु यह मूल अधिकार नही है ।
https://www.ihra.co.in/fundamentalrights
मूल अधिकार की विशेषताएँ
- यह अधिकार सामान्य कानूनी अधिकारों से अलग है।
- यह पूर्ण अधिकार नही है यह राज्य सुरक्षा, सार्वजनिक नैतिकता और विदेशों के साथ मित्रवत सम्बन्धो की शर्तों के अधीन है ।
- कुछ मूल अधिकार सभी नागरिकों के लिए जबकि कुछ विदेशी नागरिकों को प्राप्त है ।
- हम अपने मूल अधिकारों के उल्लघंन के मामले में सीधे सुप्रीम कोर्ट जा सकते है ।
- संसद द्वारा मूल अधिकारों में बदलाव किया जा सकता परन्तु इसके मूल ढांचे में बदलाव नही हो सकता
- राष्ट्रीय आपातकाल कर दौरान मूल अधिकार का निलंबन हो सकता है।
मौलिक कर्तव्य
जिस तरह हमारे लिये अधिकार प्राप्त है उसी तरह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम अपने कर्तव्य निभा कर एक अच्छे नागरिक होने का प्रमाण दे। इसलिये मूल अधिकारों के साथ साथ हमे कुछ कर्तव्य निभाने पढ़ते है जिन्हें हम मौलिक कर्तव्य कहते है।

जिस दिन हमारा सविंधान लागू हुआ 26 जनवरी 1949 को उस समय सविंधान में मौलिक कर्तव्यों का कोई उल्लेख नही था। बाद में सरदार स्वर्ण सिंह समिति द्वारा प्रस्तावित प्रपत्र में सविधान में मौलिक कर्तव्य जोङे जाने का प्रताव रखा तब 42 वां संसोधन कर 1976 में समिति की सिफारिश पर संविधान में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया । उस समय मौलिक कर्तव्यों की संख्या 10 थी बाद में 86 वां संसोधन कर सन 2000 में 6 से 14 बर्ष के बच्चों के माता पिता या संरक्षक का यह कर्तव्य होगा कि वह अपने बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करे।
11 मौलिक कर्तव्यों की सूची
भारतीय नागरिको के लिये मौलिक कर्तव्यों की सूची निम्नलिखित है-
1.संविधान का पालन करना, उसमें निहित आदर्शों तथा संस्थाओं, राष्ट्र-ध्वज “एवं राष्ट्रीय गीत के प्रति आदर भाव रखना ।
2.उन आदर्शों का अनुसरण करना जिन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को अनुप्राणित किया था ।
3.भारत की प्रभुसत्ता, एकता एवं अखण्डता की रक्षा करना ।
4.धार्मिक, भाषाओं तथा क्षेत्रीय अथवा अनुभागीय विभिन्नताओं का अतिक्रमण करते हुये देश के सभी लोगों के बीच एकता एवं भाई-चारे की भावना को विकसित करना ।
5.देश की रक्षा करना तथा आवश्यकता पड़ने पर राष्ट्रीय सेवा करना ।
6.अपनी मिलीजुली संस्कृति की समृद्ध परम्परा का सम्मान करना तथा उसे जीवित रखना
7.प्राकृतिक पर्यावरण, जिसमें वन, झीलें, नदी और वन-जीवन शामिल हैं, उसकी रक्षा करना तथा उसको विकसित करना और प्राणियों के प्रति दया भाव रखना ।
8.वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद तथा जिज्ञासा एवं सुधार की भावना को विकसित करना ।
9.सार्वजनिक सम्पत्ति की रक्षा करना तथा हिंसा का परित्याग करना ।
10.वैयक्तिक एवं सामूहिक गतिविधियों के समस्त क्षेत्रों में श्रेष्ठता की प्राप्ति के लिये प्रयत्नशील होना जिससे राष्ट्र निरन्तर उपलब्धि के उच्च स्तर प्राप्त करता रहे।
11. माता पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 बर्ष के बच्चों के लिये प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध करवाना
नीति निदेशक तत्व
सविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक निर्देश के रूप में नीति निदेशक तत्व शामिल किये गये है । नीति निदेशक तत्वों को आयरलैंड के संविधान से लिया गया है इन निर्देशों का राज्यो ( केंद्र शासित प्रदेश ) को पालन करना चाहिए ।
राज्य के नीति निदेशक तत्व एक आदर्श प्रारूप है लेकिन सरकार इसका पालन करे ऐसी कोई बाध्यता नही है । पर पालन न करने की स्थिति में इसके खिलाप उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है ।
हमारे मूल अधिकारों और नीति निदेशक तत्वों में प्रमुख अंतर यह है कि मौलिक अधिकार नागरिको के लिये है और नीति निदेशक तत्व राज्यों के लिये ।

नीति निदेशक तत्व का वर्गीकरण
- नागरिकों को आर्थिक न्याय प्राप्त करवाने के सम्बंध में
- नागरिकों को सामाजिक न्याय उपलब्ध करवाने के सम्बंध में
- राजनीति सम्बन्धी नीति निदेशक तत्व
- पर्यावरण सम्बन्धी नीति निदेशक तत्व
- अंतराष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के सम्बंध में
प्रमुख नीति निदेशक तत्व
1 | अनुच्छेद 38 | राज्य ऐसी व्यवस्था करेगा जिसमे सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक न्याय सुनिश्चित करते हुये भारत लोक कल्याण की दिशा में अग्रसर हो |
2 | अनुच्छेद 39 | राज्य पुरुष तथा स्त्री सभी नागरिकों को समान रूप से जीविका के साधन उपलब्ध कराएगा |
3 | अनुच्छेद 40 | राज्य ग्राम पंचायतों के विकास के लिये ठोस कदम उठाएंगे |
4 | अनुच्छेद 41 | राज्य शिक्षा,बेरोजगारी, बुढ़ापा,बीमारी की दशाओ में अधिकार के अवसर प्राप्त करबायेगा |
5 | अनुच्छेद 42 | महिलाओं के सम्बंध में काम की न्याय संगत दशाओ का तथा प्रसूति सहायता के उपबन्ध करेगा |
6 | अनुच्छेद 43 | राज्य कर्मचारियों व मजदूरों की मजदूरी व सुविधा का प्रबंध करेगा |
7 | अनुच्छेद 44 | भारत के समस्त नागरिको के लिये एक समान संहिता वनाने का प्रयास करेगा |
8 | अनुच्छेद 45 | राज्य 14 बर्ष तक के बच्चों को निः शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रबंध करेगा |
9 | अनुच्छेद 46 | राज्य के SC/ST वर्ग के लोगो के लिये शिक्षा तथा सामाजिक शोषण से उनका सरक्षंण करेगा |
10 | अनुच्छेद 47 | राज्य नागरिको के जीवन स्तर की बृद्धि के लिये औषधि, नशामुक्ति के सम्बंध में विशेष प्रावधान करेगा |
11 | अनुच्छेद 48 | राज्य पर्यावरण,वन ओर वन्य जीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा |
12 | अनुच्छेद 49 | राज्य राष्ट्रीय स्मारकों तथा वस्तुओ के संरक्षण हेतु प्रयास करेगा |
13 | अनुच्छेद 50 | राज्य न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिये कदम उठाएंगे |
14 | अनुच्छेद 51 | अंतरराष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा के लिये प्रयास करेगा |