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पंचवर्षीय योजना | 1951 से 2017 तक सभी पंचवर्षीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी – PDF Notes

Akhilesh Kumar
Last updated: 2023/07/06 at 1:08 PM
Akhilesh Kumar Published July 6, 2023
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केन्द्र सरकार द्वारा प्रत्येक पांच वर्ष में भारतीय नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक हितों (विकास) के लिये पंचवर्षीय योजना की शुरुआत की गयी थी 1951 में प्रथम पंचवर्षीय योजना शुरू की गई और अंतिम ओर बारहवीं (12) पंचवर्षीय योजना 2017 में हुई । इसके बाद वर्तमान मोदी सरकार द्वारा इस योजना को समाप्त कर दिया गया।

Contents
पंचवर्षीय योजना क्या है | Panchvarshiy Yojana kya Haiसभी पंचवर्षीय योजनाओं की समय सीमाभारत का योजना आयोग

पंचवर्षीय योजना में ओधोगिक विकास,कृषि विकास पर अत्यधिक बल दिया गया, इस योजना के द्वारा अर्थव्यवस्था में सुधार लाने का प्रयास किया गया और लोगो को आत्म निर्भर और लोगो को रोजगार के अवसर प्रदान किये गये ।

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पंचवर्षीय योजना क्या है | Panchvarshiy Yojana kya Hai

पंचवर्षीय योजना भारत सरकार द्वारा बनाई गई एक ऐसी योजना थी जिससे भारतीय नागरिकों के आर्थिक और सामाजिक हितों को ध्यान में रखकर कार्य किये जाते थे इस योजना में नागरिकों को रोजगार के अवसर के साथ साथ आत्म निर्भर बनाने पर जोर दिया जाता था, पंचवर्षीय योजना के तहत भारत मे कृषि विकास अत्यधिक हुआ है ।

पहले इस योजना का कार्यभार योजना आयोग के हाथों में था लेकिन 1 जनवरी 2015 को इसका कार्यभार नीति आयोग के पास दे दिया गया अब इस योजना का संचालन नीति आयोग द्वारा किया जाता है ।

नीति आयोग एक सलाहकार के रूप में कार्य करती है , यह राज्यो की ओर से कोई फैसला नही ले सकती । अगर बात करें पंचवर्षीय योजना की तो यह योजना काफी हद तक सफल हुई है इससे भारतीय नागरिकों का , औधोगिकरण का ओर कृषि क्षेत्र का विकास हुआ है ।

पंचवर्षीय योजना | 1951 से 2017 तक सभी पंचवर्षीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी - PDF Notes

सभी पंचवर्षीय योजनाओं की समय सीमा

योजनाएंसमय अवधि
प्रथम पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल 1951 से 31 मार्च 1956 तक
द्वितीय पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1956 से 31 मार्च 1961 तक
तृतीय पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1961 से 31 मार्च 1966 तक
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1974 तक
(1966,1967 और 1968 में अलग अलग एक एक वर्ष की योजनाएं संचालित की गई थी)
पंचम पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1974 से 31 मार्च 1979 तक
(1979 से 1980 तक एक वर्ष का अंतराल था)
छठी पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1980 से 31 मार्च 1985 तक
सातवीं पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1985 से 31 मार्च 1990 तक
आठवीं पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1992 से 31 मार्च 1997 तक
(1991 और 1992 में एक एक वर्ष की योजना संचालित की गई थी)
नवीं पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 1997 से 31 मार्च 2002 तक
दसवीं पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 2002 से 31 मार्च 2007 तक
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2012 तक
बारहवीं पंचवर्षीय योजना1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक
तेरहवीं पंचवर्षीय योजना2017 के बाद पंचवर्षीय योजना को समाप्त कर दिया गया और इसके बाद 15 साल का खाका तैयार किया गया जो 2017 से प्रारम्भ हुआ जिसका चयन नीति आयोग द्वारा किया गया ।

भारत का योजना आयोग

दिसम्बर 1946 में के. सी. नियोगी की अध्यक्षता में स्थापित एक बोर्ड की सलाह पर 15 मार्च, 1950 को भारत सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा योजना आयोग का गठन किया गया योजना आयोग का प्रथम अध्यक्ष तत्कालीन प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरू को बनाया गया। योजना आयोग की स्थापना के समय पांच पूर्णकालिक सदस्य मनोनीत किए गए।

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वर्तमान समय में प्रधानमन्त्री सहित इसके 12 सदस्य होते हैं। देश का प्रधानमन्त्री योजना आयोग का पदेन अध्यक्ष होता है। इसके उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के लिए कोई निर्धारित योग्यता आधार नहीं है। साथ ही उपाध्यक्ष एवं सदस्यों का कोई निश्चित न्यूनतम कार्यकाल नहीं होता।

प्रथम पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 1951 से 31 मार्च 1956 तक प्रथम पंच० योजना भारत देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के समय मे प्रारम्भ हुई थी । यह योजना 1 अप्रेल 1951 से लेकर 31 मार्च 1956 तक प्रस्तावित थी इस योजना में 1,960 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी ।

इस योजना का प्रमुख उद्देश्य कृषि, विद्युत और सिंचाई व्यवस्था का विकास करना था जो कि काफी हद तक सफल भी हुआ । इस योजना में कृषि को प्राथमिकता अधिक दी गयी और अनेक बांधो का निर्माण कर भारतीय नागरिकों को सिंचाई व्यवस्था की गयी।इस योजना काल मे कृषि की उपज में 15 प्रतिशत की बृद्धि हुई थी।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना

प्रथम पंच० वर्षीय योजना के समाप्ति के पश्चात द्वितीय पंच० योजना 1 अप्रैल 1956 से 31 मार्च 1961 तक प्रस्तावित की गई , जिसके लिये 4,672 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी ।

इस योजना का मुख्य उद्देश्य औधोगिकरण ओर समाजवादी समाज की स्थापना करना था । इस योजना काल मे राष्ट्रीय आय में 21 प्रतिशत और प्रति व्यक्ति आय में 9 प्रतिशत की बृद्धि हुई थी ।

तृतीय पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 1961 से 31 मार्च 1966 तक तृतीय पंच० योजना में 8,577 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी और इस योजना में एक लक्ष्य निर्धारित किया गया था कि भारत की राष्ट्रीय आय में 5 प्रतिशत की बृद्धि हो।

लेकिन योजना काल के अंतिम वर्ष तक 2.9 प्रतिशत ही बृद्धि हो सकी इस योजना का उद्देश्य मशीन निर्माण क्षमता विकसित करना भी था ।

चतुर्थ पंचवर्षीय योजना

यह योजना 1 अप्रैल 1969 से 31 मार्च 1974 तक थी इसके लिये 15,779 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी । इसका प्रमुख उद्देश्य लोगो के जीवन स्तर में बृद्धि, विशेष रूप से कमजोर वर्ग के नागरिकों को आत्म निर्भरता प्राप्त करना था ।

पांचवी पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 1974 से 31 मार्च 1979 तक इस योजनाकाल में पहली बार न्यूनतम आवश्यकताओं के लिये राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम को लागू किया गया, जिनमे प्राथमिक शिक्षा,पेयजल व्यवस्था,भूमिहीन श्रीमिको के लिये आवास,सड़कें,विजली आदि शामिल थे।

इस योजना काल मे राष्ट्रीय आय की वास्तविक बृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रही जबकि लक्ष्य 4.4 प्रतिशत का था इस योजना काल के लिये 15,779 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी।

छठी पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 1980 से 31 मार्च 1985 तक इस योजनाकाल के लिये 1,09,292 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत थी इस योजना काल का प्रमुख उद्देश्य गरीबी दूर करना था ।

इस योजना काल मे 5.2 प्रतिशत वार्षिक दर का लक्ष्य था जिसे प्राप्त कर लिया गया । प्रति व्यक्ति आय में वास्तविक बृद्धि दर 3.2% रही जिसे सन्तोष जनक नही कहा जा सकता ।

सातवीं पंचवर्षीय योजना

इस योजना काल की शुरुआत 1 अप्रैल 1985 से 31 मार्च 1990 तक हुई थी इसका मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन एवं ग्रामीण विकास था । इस योजना के लिये 2,18,730 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी योजना में सकल घरेलू निर्माण दर योजना अवधि में 19.6 प्रतिशत से बढ़कर 27.3 प्रतिशत हो गई।

सकल बचत दर योजनावधि में 18.2 प्रतिशत से बढ़कर 24.6 प्रतिशत हो गई। योजना के वित्तीय प्रबन्ध में 82 प्रतिशत घरेलू स्रोतों का लक्ष्य था, जबकि वास्तविक रूप में कुछ वित्त का 74 प्रतिशत एकत्रित हो सका।

आठवीं पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 1992 से 31 मार्च 1997 तक इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि तथा आर्थिक क्षेत्रो में तीव्र विकास करना था इसके लिये 4,95,670 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी ।

योजना में साधन लागत पर सकल वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रही, जबकि लक्ष्य केवल 5.6 प्रतिशत था। कृषि के क्षेत्र में विकास की औसत वृद्धि दर 3.9 प्रतिशत रही।

नोवीं पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 1997 से 31 मार्च 2002 तक इस योजना का मुख्य उद्देश्य न्यायपूर्ण एवं समानता के साथ विकास करना था इसके लिये 9,41,041 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी ।

योजना में विकास दर का लक्ष्य 6.5 प्रतिशत रखा गया था लेकिन यह प्रतिशत 54 ही रहा, योजना में घरेलू बचत दर का लक्ष्य 26.1 प्रतिशत आंका गया था लेकिन उपलब्धि 23.3 प्रतिशत की रही ।

दसवीं पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 2002 से 31 मार्च 2007 तक इस योजना का प्रमुख उद्देश्य आर्थिक बृद्धि दर 7 प्रतिशत बार्षिक प्राप्त करना था इसके लिये 14,91,610 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी ।

दसवीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य था, प्रतिवर्ष 7.9 प्रतिशत विकास दर और इस योजना • अवधि में वास्तविक विकास दर 7.8 प्रतिशत रही। अतः इस योजना अवधि के दौरान प्रस्तावित विकास दर के लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर किया गया।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 2007 से 31 मार्च 2012 तक इसका प्रमुख उद्देश्य साक्षरता,रोजगार,ग्राम विकास और ग्राम परिवहन विकास करना था इसके लिये 36,44,718 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी ।

ग्यारहवीं पंच वर्षीय योजना में 9 प्रतिशत विकास दर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया था तथा यह माना गया था कि अगले दस वर्षों (2016-17) तक प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो जाएगी। लेकिन वैश्विक आर्थिक मन्दी के चलते यह लक्ष्य प्राप्त होना सम्भव नही हुआ

बारहवीं पंचवर्षीय योजना

1 अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक इस योजना काल का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण एवं शहरी विकास हेतु कार्य करना था । जो दर पिछली योजनाकाल में निर्धारित की गई थी उसे घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया था।

इस योजना काल मे बिजली, बैकिंग, परिवहन जैसे अनेक लक्ष्य रखे गए थे और आपको बता दें कि यह अंतिम पंचवर्षीय योजना थी । इसके बाद 15 वर्ष का एक खाका तैयार किया गया जो नीति आयोग की रेख देख में कार्य करेगा ।

तेरहवीं पंचवर्षीय योजना

2017 के बाद पंचवर्षीय योजना को समाप्त कर दिया गया और इसके बाद 15 साल का खाका तैयार किया गया जो 2017 से प्रारम्भ हुआ जिसका चयन नीति आयोग द्वारा किया गया ।

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