आज के आर्टिकल में NCF-2005 information in Hindi- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा 2005 हम विस्तार से जानेंगे,कुछ महत्वपूर्ण फेक्ट ओर कुछ ऐसे विन्दुओं पर चर्चा करगें जो प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते है ।
NCF-2005 information in Hindi- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा 2005 – Easy Education in NCF 2005
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राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा को आम तौर पर गलत समझा जाता है जैसे यह एक रूपता लाने के प्रस्तावित दस्ताबेज हो जबकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य बिल्कुल विपरीत है । NCF 2005 में प्रस्तावित किया गया कि यह शिक्षा व्यवस्था बनाये रखने का जरिया है । आज के आर्टिकल में हम इसी संदर्भ में जानकारी देंगे
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 NCF-2005 (National Curriculum Fremework-2005) क्या है ?
यह दस्तावेज NCERT पाठ्यक्रम में सुधार लाने हेतु अपनाया गया एक सुधारात्मक कदम है। भारत सरकार के M.H.R.D. (Ministry of Human Resoure Development) की पहल पर प्रो. यशपाल की अध्यक्षता में विद्यालयी शिक्षा पर हुए पिछले सभी विचारों का अध्ययन किया और उन्हें नई चुनौतियों के रूप में देखा। NCF-2005 का प्रारंभ रविन्द्र नाथ टैगोर के निबन्ध ‘सभ्यता और प्रगति’ के एक उद्धरण से होता है।
NCF-2005 information in Hindi- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा 2005
अगर साधारण शब्दो मे पूछा जाय की NCF 2005 क्या है ? तो इसका सीधा सा आंसर होगा कि बाल केंद्रित शिक्षा,रटने की प्रणाली को खत्म करना, परीक्षाओ में सुधारात्मक शैली और जाति, धर्म ,जेंडर के आधार पर भेदभाव रहित शिक्षा की व्यवस्था की जाय ।
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शिक्षा नीति 1986 के संदर्भ में 1988 में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या प्राथमिक ओर माध्यमिक शिक्षा के लिये एक रूप रेखा को तैयार किया गया लगभग 12 बर्षो के अंतराल के बाद 2000 तथा इसके तत्पश्चात 2005 में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तैयार की गई जिसे हम NCF 2005 के नाम से जानते है ।
National Curriculum Fremework 2005
नाम (हिंदी में) | राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2005 |
नाम (अंग्रेजी में) | National Curriculum Fremework 2005 |
समिति के अध्यक्ष का नाम | प्रो० यशपाल |
प्रस्ताव में कुल पृष्ठों की संख्या | 180 पृष्ठ |
स्रोत | भारत सरकार ( शिक्षा मंत्रालय ) |
प्रकाशन बर्ष | 2005 ई०वी० |
प्रकाशक का नाम | राष्ट्रीय शेक्षिक अनुसंधान ओर प्रशिक्षण परिषद – भारत सरकार |
NCF 2005 में ज्ञान को विद्यालय के बाहरी जीवन से जोड़ना,पढ़ाई को रटंत प्रणाली से मुक्त करना,पाठ्यचर्या को इस तरह आगे बढ़ाना की वह बच्चों के चहमुखी विकास के अवसर दे , न कि पुस्तक केंद्रित बन कर रह जाय,परीक्षा को पहले की तुलना में लचीला बनाना, कक्षा-कक्ष की गतिविधियों से जोड़ना तथा बच्चों का ऐसे नागरिको के रूप में विकास जिनमे प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रीय मूल्यों में विश्वास हो ।
NFC 2005 की अन्य प्रमुख बातें
1.सीखना अपने आप में एक सक्रिय व सामाजिक गतिविधि है। सीखने में विविधता और चुनौतियाँ होनी चाहिए ताकि वे बच्चों को रोचक लगें और उन्हें व्यस्त रखें।
2.सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की संरचना बालक को केन्द्र में रखकर करने की सिफारिश की गई।
3.नवीन शिक्षण विधियों तथा नवीन शैक्षिक तकनीकी का उपयोग करने पर बल दिया गया।
4.पाठ्यक्रम की संरचना में पर्यावरणीय मुद्दों को प्राथमिकता से शामिल किया जाय ।
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5.शिक्षा सार्थक तभी है जब व्यक्ति को इतना समर्थ बना सके कि वह शांति को जीवनशैली के रूप में चुन सके लेकिन वह सामाजिक संघर्षोंका एक मूक दर्शक बन कर न रह जाए।
6.मोटे पाठ्यक्रम प्रतीक हैं। और मोटी किताबें शिक्षा प्रणाली की असफलता का प्रतीक है ।
7.शिक्षण सूत्रों जैसे- ज्ञात से अज्ञात की ओर, मूर्त से अमूर्त की ओर आदि का अधिकतम प्रयोग हो ।
8.मूल्यों को उपदेश देकर नहीं, वातावरण देकर स्थापित किया जाए। 9.सहशैक्षिक गतिविधियों में बच्चों के अभिभावकों को भी जोड़ा जाए।
10.विद्यालयों में सभी प्रकार के शारीरिक दण्डों को रोकने की सख्त जरूरत है।
11. बच्चे उसी वातावरण में सीख सकते हैं जहाँ उन्हें लगे कि वे महत्वपूर्ण हैं।
12.खेल, आनन्द व सामूहिकता की भावना के लिए हैं, रिकॉर्ड बनाने व तोड़ने की भावना को प्रश्रय न दें।
13.बच्चों की अभिव्यक्ति में मातृ भाषा महत्वपूर्ण स्थान रखती है, शिक्षक
अधिगम परिस्थितियों में इसका उपयोग करें।
14. ऐसी पुस्तक महत्वपूर्ण होती है जो केवल तथ्यात्मक जानकारी न देकर अन्तर्क्रिया के मौके दे।
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15.विद्यालय में सप्ताह में एक घण्टा पुस्तकालय अध्ययन को दिया जाना चाहिए। पुस्तकालय में बच्चों को स्वयं पुस्तक चुनने का अवसर दें। कल्पना व मौलिक लेखन के अधिक से अधिक अवसर प्रदान किये • जाएँ।
16.मिड-डे मील कार्यक्रम और स्वास्थ्य जाँच को पाठ्यचर्या का अनिवार्य भाग बनाया जाना चाहिए।
17.शिक्षक प्रशिक्षण व विद्यार्थियों के मूल्यांकन को सतत् प्रक्रिया रूप में अपनाया जाए।
18.बच्चों को पाठ्यचर्या में आये भौतिक स्थलों का अवलोकन करा कर शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।
19.कक्षा 2 तक कोई गृहकार्य नहीं देना चाहिए और कक्षा 3 से 2 घण्टे प्रति सप्ताह तक गृहकार्य देना चाहिए। उच्च प्राथमिक में 1 घण्टा प्रतिदिन, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक में 2 घण्टे प्रतिदिन ।
NCF-2005 information in Hindi- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप रेखा 2005 https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&url=https://ncert.nic.in/pdf/nc-framework/nf2005-english.pdf&ved=2ahUKEwiQ3N7j0ZH6AhVW4jgGHdVZAGoQFnoECDEQAQ&usg=AOvVaw2O3k4NRDGqVO5JsATG3QmP इस लिंक पर क्लिक करके आप 180 पृष्ठों का NCF 2005 की पूरी रूप रेखा देख सकते है और उसका बारीकी से अध्यन कर सकते है ।
NCF 2005 के उद्देश्य
1.NCF 2005 का मुख्य रूप से उद्देश्य बालक का सर्वागीण विकास करना है ।
2. NCF 2005 में बालक/बालिका को समावेशी शिक्षा पर बल दिया जाता है ।
3. NCF 2005 का मुख्य सूत्र Learning Without burden भार मुक्त शिक्षा है ।
4. NCF 2005 में जाति धर्म जेंडर भेद भाव रहित शिक्षा प्रदान करने का प्रस्ताव रखा गया ।
5. विधार्थियो के साथ साथ माता पिता का दायित्व है कि अपने बच्चों को अच्छे नागरिक बनाने में सहायता करें ।
NCF 2005 दस्तावेज के 5 अध्याय-
NCF 2005 दस्तावेज के 5 अध्याय
अध्याय 1 | परिचय,रूपरेखा,मार्गदर्शी सिद्धान्त, गुणवत्ता के आयाम, शिक्षा के लक्ष्य आदि दिये गये है । |
अध्याय 2 | सीखना ओर ज्ञान से सम्बंधित |
अध्याय 3 | पाठ्यचर्या के क्षेत्र, स्कूल की अवस्थाओ से सम्बंधित आकलन |
अध्याय 4 | विद्यालय एवं कक्षा का वातावरण |
अध्याय 5 | व्यवस्थागत सुधार से सम्बंधित |
NCF 2005 के सिद्धान्त
1.रुचि का सिद्धान्त शिक्षक के द्वारा शिक्षण कार्य करने तथा विधार्थियो द्वारा उसे समझने के लिये रुचि का होना बहुत महत्वपूर्ण है । इसलिए बालक/ बालिकाओ में शिक्षा ग्रहण करने की रुचि का होना बहुत जरूरी है
2.मानवता का सिद्धान्त मानवीय मूल्यों के विकास को महत्व देना राष्ट्रीय पाठ्यक्रम का एक आवश्यक लक्ष्य है । इसलिये पाठ्यक्रम के प्रारंभ में ही ऐसी विषय वस्तु को रखा गया है जिससे विधार्थियो में प्रेम, परोपकार, सहयोग की भावना का विकास हो सके ।
3.एकता का सिद्धान्त पाठ्यक्रम में इस बात का ध्यान रखा गया है कि वच्चो में एकता वनी रहे जैसे कि भाषा विशेष का बहुत ध्यान रखा गया है
4.नैतिकता का सिद्धान्त पाठ्यक्रम में प्रारम्भ से ही कहानियों ओर कविताओं के माध्यम से नैतिकता की शिक्षा का विशेष ध्यान रखा गया है ।
5.सामाजिकता का सिद्धान्त समाज सामाजिक सम्बन्धो का जाल है प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि बालक/बालिका को सामाजिकता का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए ।
दोस्तो हमने NCF 2005 के बारे में जो जानकारी दी अगर आपको यह जानकारी पसन्द आयी है तो कमेंट के माध्यम से हमसे संपर्क करे ।और आप हमारी वेबसाइट www.akstudyhub.com से जुड़े रहे ।
धन्यवाद…..