आज हम Geography के सबसे प्रमुख टॉपिक भारत के प्रमुख पर्वत ओर पठार – Geography Free Notes 2022-23 के बारे में चर्चा करेंगे जो आपके लिये बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी । पर्वत ओर पठार

हमारे देश बहुत पर्वत श्रंखलाएं है जिनको मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जाता है उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र और दक्षिणी पर्वतीय क्षेत्र सबसे पहले हम उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र के पर्वत ओर पठार के बारे में जानेंगे
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उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र
भारत के प्रमुख पर्वत ओर पठार – Geography Free Notes 2022-23
उत्तरी पर्वतीय क्षेत्र में निम्नलिखित पर्वत श्रंखलायें आती है ।
काराकोरम
लद्दाक पठार के उत्तर में विस्तारित पर्वत श्रंखला जिसे कराकोरम का पठार कहते है । इसकी सबसे ऊंची चोटी K2 जो भारत की सबसे ऊंची चोटी है । इस पर्वत श्रंखला पर कुछ हिमनद है जैसे हिस्पार, वालटोरा ,सियाचीन इनमें से सियाचीन भारत का सबसे बड़ा हिम नद है ।
लद्दाक का पठार
काराकोरम के दक्षिण में अवस्थित पठार जो भारत मे सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र है । यह एक शीत मरुस्थल का उदाहरण है इस पठार से होकर के सिंधु नदी प्रभाहित होती है । यहाँ का लेह एक प्रमुख शहर है ।
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जास्कर
जम्मू-कश्मीर में जास्कर ओर तिब्बत में कैलाश पर्वत के नाम से जाना जाता है इस पठार से जास्कर नामक नदी का उदगम होता है जिस कारण इसे जास्कर के नाम से जाना जाता है जास्कर सिन्धु नदी की सहायक नदी है ।
वृह्यदय हिमालय
जम्मु-कश्मीर से लेकर उत्तर पूर्व में अरुणाचल तक इसका विस्तार है जिसकी लम्बाई 2400 KM है इसकी सर्वोच्च चोटी माउण्ट एवरेस्ट जिसकी ऊँचाई 8850 मीटर है तथा दूसरी सर्वोच्च चोटी कंचनजंघा जो कि सिक्किम राज्य में अवस्थित है ।
इसकी प्रमुख चोटियां मकालू,गौरी शंकर, अन्नपूर्णा,केदारनाथ बद्रीनाथ,नंदादेवी आदि है तथा हिमालय से गंगोत्री यमनोत्री जेमु आदि हिमनद भी निकलते है
हिमालय से प्रमुख नदियों का उद्गम होता है जैसे गंगा,यमुना,गण्डक, कांसी,घाघरा हिमालय पर्वत की उत्पत्ति टेथिस सागर में अवसाद होने के कारण हुई है ।
लघु हिमालय
व्रहद्रय हिमालय के दक्षिण में लघु हिमालय का विस्तार है जिसकी ऊंचाई व्रहदय हिमालय से कम और शिवलिंग से अधिक है इसे मध्य का हिमालय भी कहा जाता है । जम्मु कश्मीर में पीर पंजाल जहाँ वनिहाल नामक दर्रा अवस्थित है जिसमें जवाहर सुरंग वनाई गयी है जो भारत की सबसे लंबी सुरंग है ।
भारत के प्रमुख पर्वत ओर पठार – Geography Free Notes 2022-23
शिवलिंग
इसका शाब्दिक अर्थ है सवा लाख पर्वतों के समूह यह हिमालय पर्वत की अंतिम श्रंखला है जिसका विस्तार पंजाब से लेकर पश्चिम वंगाल तक है । शिवलिंग पर्वतीय क्षेत्र में सलग्न बड़ी – बड़ी चट्टाने पायी जाती है जहाँ नदियों का जल विलुप्त हो जाता है जिसे भावर क्षेत्र कहा जाता है ।
भावर से सलंग्न तराई क्षेत्र है जहाँ नदियों का जल मैदानी क्षेत्रों में फेल जाता है यह क्षेत्र धान ओर गन्ना उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है ।
थारमरुस्थल
राजस्थान के पश्चिम में थार मरुस्थल का विस्तार है । थार मरुस्थल का विस्तार भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में है जबकि भारत के गुजरात और राजस्थान में विस्तारित इस मरुस्थल का जनसंख्या घनत्व सवार्धिक है ।
इस मरुस्थल से होकर इंद्रा गांधी नहर निकाली गई है जिसका प्रमुख उद्देश्य सिंचाई ओर पेयजल व्यवस्था के लिये है । इस मरुस्थल से लूनी नदी प्रभाहित होती है ।
अरावली पर्वत
राजस्थान ओर गुजरात मे विस्तारित पर्वत श्रंखला जो भारत मे सबसे प्राचीन पर्वत है यह मुख्य रूप से तांबा,चांदी,सीसा ओर जस्ता उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है ।
इसके दक्षिणी भाग को माउण्ट आबू कहा जाता है इसकी सर्वोच्चतम चोटी गुरु शिखर है ।
मालवा का पठार
मध्य प्रदेश में विस्तारित पठार जहाँ वेसाल्ट चट्टानों से निर्मित संरचना का विकास हुआ है जिस कारण से यहाँ काली मिट्टी पायी जाती है जो दलहनों तथा तिलहनों के उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है ।
इस पठार से होकर की चम्बल नदी प्रवाहित होती है और इस नदी द्वारा कटाव अधिक किया जाता है जिसे बीहड़ कहते है ।
बुंदेलखंड का पठार
मालवा पठार के पूर्वी भाग में बुंदेलखंड के पठार का विस्तार है जो चुना पत्थर और वलुआ पत्थर के उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है । इस पठार का सम्बंध वेतवा ओर उसकी सहायक नदियों से है जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में विस्तारित है ।
वघेलखण्ड का पठार
इसका विस्तार पूर्वी उत्तर प्रदेश और विहार में है जो सोन ओर उसकी सहायक नदियों का अपवाह क्षेत्र है ।
विंध्याचल पर्वत
गंगा मैदान के दक्षिण में विंध्याचल पर्वत ओर पठार का विस्तार है जो दक्षिण भारत की नदियां ओर उत्तर भारत की नदियों के बीच जल विभाजित के रुप मे कार्य करता है । यह पर्वत चुना पत्थर के उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है ।
इसका विस्तार उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, ओर विहार के कैमूर पर्वत तक है ।
छोटा नागपुर का पठार
झारखण्ड राज्य में विस्तारित पठार जिसे दामोदर नदी दो भागों में विभाजित करती है । दामोदर के उत्तर में हजारी वाग का पठार जहाँ राजमहल की पहाड़ियां अवस्थित है जबकि दामोदर के दक्षिण में राँची का पठार अवस्थित है ।
छोटा नागपुर का पठार भारत का खनिज संपदा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है और भारत के प्रमुख उद्योग यही लगाये जाते है लेकिन यह क्षेत्र सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है यहाँ नक्सलियों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है ।
भारत के प्रमुख पर्वत ओर पठार – Geography Free Notes 2022-23
छत्तीसगढ़ का मैदान
छोटा नागपुर पठार के दक्षिण में छत्तीसगढ़ राज्य में इसका विस्तार है जो महानदी का अपवाह क्षेत्र है यह मैदान भारत मे चावल उत्पादन के लिये प्रसिद्ध है जिसे चावल का कटोरा भी कहा जाता है ।
दण्ड का रण
यह पथरीली चट्टानी संरचना है जिसका विस्तार महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना ओर उड़ीसा राज्य में है ।यहाँ वनस्पति के रूप में झाड़ियां पायी जाती है ।
सतपुडा पर्वत
इसका विस्तार गुजरात,मध्यप्रदेश ओर छत्तीसगढ़ राज्य में अवस्थित है जो अवरोध पर्वत का उदाहरण है जिसके उत्तर में नर्मदा, दक्षिण में ताप्ती नदी प्रवाहित होती है ।
इसकी सर्वोच्चतम चोटी धूपगढ़ जबकि अन्य चोटियों में पचमढ़ी ओर अमरकंटक है ।
दक्कन ट्रेप
इसका विस्तार महाराष्ट्र राज्य में है जो वेसाल्ट चट्टानों से निर्मित है जिस कारण से काली मिट्टी का विकास हुआ है यह मिट्टी मूंगफली ओर कपास उत्पादन के लिये महत्वपूर्ण है ।
कर्नाटक का पठार
इसका विस्तार मुख्य रूप से कर्नाटक राज्य में है जहाँ धारवाड़ संरचना का विकास हुआ है जो उच्च किस्म की धातुओं के लिये प्रसिद्ध है जैसे सोना,चांदी,ताबां आदि।
आंद्रा का पठार
कृष्णा नदी आंद्रा के पठार को दो भागों में विभाजित करती है जिसके उत्तरी भाग को तेलंगना का पठार दक्षिणी भाग को रॉयल सीमा का पठार कहा जाता है ।
तेलंगना के पठार पर वनस्पतियों की संघनता कम पायी जाती है जवकि रॉयल सीमा क्षेत्र में वनस्पति की संघनता अधिक पायी जाती है यह क्षेत्र खनिज संसाधन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है ।
भारत के प्रमुख पर्वत ओर पठार – Geography Free Notes 2022-23
दक्षिण पर्वतीय क्षेत्र
दक्षिण पर्वतीय (पर्वत ओर पठार) क्षेत्र का विस्तार केरल और तमिलनाडु में है जिसके अंतर्गत नीलगिरी पर्वत, अन्नामलाई की पहाड़िया ओर इलायची की पहाड़ियां कहा जाता है ।
इस क्षेत्र की सबसे ऊंची चोटी अनाई मुड़ी है जो दक्षिण भारत की सर्वोत्तम चोटी है इस पर्वतीय क्षेत्र पर सदाबहार संघन वन पाये जाते है इनमे से कार्डेमम दक्षिणतम पर्वत श्रंखला है ।
पश्चिमी घाट
पश्चिमी घाट का विस्तार ताप्ती नदी से लेकर नीलगिरी पर्वतीय क्षेत्र तक एकान्तर क्रम में विस्तार है इसे सहयाद्रि की पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है ।
जहाँ महाकालेश्वर तथा उद्रेमुख नामक चोटियां है तथा तालघाट , वोरघाट प्रमुख दर्रे है इसी पर्वत श्रंखला से लगा हुआ समुद्र तट का विस्तार है जिसे कोंकड, कंनार तथा मालावार तट के नाम से जाना जाता है ।
पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा ऊँचा तथा संग्लन तटीय मैदान सकरा है
पूर्वी घाट
नीलगिरि पर्वतीय क्षेत्र से लेकर उत्तर में गंगा नदी डेल्टा तक विस्तार है जो पश्चिमी घाट की अपेक्षा कम ऊँचा बीच मे मैदान तथा मैदान अधिक चौड़ा है ।
तटीय मैदान को दो भागों में विभाजित किया जाता है । कन्याकुमारी से लेकर कृष्णा नदी के मैदान को कोरोमंडल तट जिसका विस्तार तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में है जबकि कृष्णा नदी से गंगा नदी के डेल्टाई के तटीय क्षेत्र को उत्तरी सरकार तट कहा जाता है ।
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भारत के प्रमुख पर्वत ओर पठार – Geography Free Notes 2022-23 के बारे में सुझाव जरूर दें
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